बिहार में 78 % ग्रैजुएट बेरोजगार, क्या तेजस्वी के CM न बनने का खामियाजा भुगत रहे नौजवान!

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बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव. फोटो साभार ट्वीटर

द लीडर : बिहार में बेरोजगारी का आलम क्या है? इसका अंदाजा आप इसी तथ्य के साथ लगा सकते हैं कि अकेले मई महीने में 1.35 लाख कामकाजी लोगों ने अपनी नौकरी खोई है. सबसे चिंताजनक जो बात है-वो ये कि बेरोजगारों की लंबी होती फौज में करीब 78 % ग्रैजुएट शामिल हैं. ये हाल तब है-जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD)ने बीता विधानसभा चुनाव सिर्फ और सिर्फ रोजगार के मुद्दे पर लड़ा था. तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में बेरोजगारी का मसला उठाते थे. लेकिन आज वे विपक्ष में हैं और नीतीश कुमार सीएम हैं. राज्य में रोजगार के हश्र पर एक सवाल उठा रहा है. क्या बिहार के नौजवान तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री न बनाए जाने का खामियाजा भुगत रहाे हैं?

सीएमआइ ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक बिहार की बेरोजगारी दर 13.8 प्रतिशत है, जोकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 11.9 प्रतिशत से कहीं अधिक है. लॉकडाउन में हालात और खराब हो गए हैं.

एक इंसान की साल भर की औसत कमाई के मामले में राज्य फिसड्डी है. बिहार में प्रति व्यक्ति औसत आमदनी 31,287 रुपये है, जबकि देश की प्रति व्यक्ति 94,954 है. यानी देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार के लोगों की आमदनी 63,667 रुपये कम है.


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बिहार में जिस तेजी के साथ लोगों के काम-धंधे प्रभावित हो रहे हैं. उससे ये संभावना जताई जा रही है कि प्रति व्यक्ति आमदनी में और गिरावट आएगी. ऐसा होता है तो इसका बिहार के आम लोगों की जिंदगी पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है. बेरोजगार दर में बढ़ोत्तरी के तमाम कारणों में लॉकडाउन भी है. हाल में जो नौकरियां गई हैं. वे इसी लॉकडाउन की वजह से ही गई हैं.

बेरोजगारी के इस हालात पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. तेजस्वी ने कहा, ग्रैजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रैजुएट वाले 78 प्रतिशत बेरोजगार हैं. इस तरह बिहार बेरोजगारी का मुख्य केंद्र है. पिछले 16 सालों से एनडीए सरकार जो एक काम कर रही है-वो सिर्फ बेरोजगारी बढ़ाने का कर रही है. चुनाव में 19 लाख नौकरियां देने का वादे पर खामेशी है. इन्होंने युवाओं को ठग लिया.

पिछले साल जब विधानसभा चुनाव हुए थे. उसमें आरजेडी का जो सबसे प्रमुख मुद्दा-रोजगार था. तेजस्वी हर रैली में युवाओं को ये भरोसा दिलाते थे कि राज्य में बेरोजगारी का जो माहौल है. उसे खत्म करेंगे. सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरी दिलाएंगे. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर तेजस्वी की सभाओं में उमड़ती भीड़ को देखते हुए जेडीयू गठबंधन ने भी 19 लाख नौकरियों का वादा किया था.

चुनाव के बाद भी तेजस्वी यादव राज्य में बेरोजगारी के मुद्दे को उतनी ही शिद्दत के साथ उठा रहे हैं. और नीतीश सरकार से रोजगार दिए जाने की मांग उठा रहे हैं. वे सड़क पर उतरकर भी ये लड़ाई लड़ रहे हैं.

हाल ही में भाजपा के एमएलसी रहे टुन्ना पांडेय ने कहा था कि जनता ने तेजस्वी को चुना था लेकिन नीतीश कुमार जुगाड़ करके मुख्यमंत्री बन गए. इनके इस बयान के बाद पार्टी से निकाल दिया गया है.

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