कौन है मुल्ला बरादर, जो चलाने जा रहा है अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ?

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | अमेरिका के अफगानिस्तान से पूरी तरह वापस लौटने के बाद अब नई तालिबानी सरकार के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं. तालिबानी सूत्रों के मुताबिक तालिबान के संस्थापक सदस्य मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तालिबान सरकार की कमान मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक शेर मोहम्मद अब्बास और मुल्ला याकूब को भी अहम ज़िम्मेदारी मिलेगी और सरकार का गठन दो से तीन दिनों के अंदर कर दिया जाएगा.


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कौन है मुल्ला बरादर

मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर उन 4 लोगों में एक है, जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था. साल 2001 में जब अमेरिकी नेतृत्व में अफगानिस्तान में फौजों ने कार्रवाई शुरू की तो वो मुल्ला बरादर की अगुवाई में विद्रोह की खबरें आने लगीं. अमेरिकी सेनाएं उसे अफगानिस्तान में तलाशने लगी, लेकिन वह पाकिस्तान भाग निकला था.

साल 2010 में बरादर को आईएसआई ने कराची से गिरफ्तार कर लिया था. अमेरिका के अनुरोध पर उसे 2018 में रिहा कर दिया गया. मौजूदा समय में बरादर तालिबान का राजनीतिक मुखिया और समूह का सार्वजनिक चेहरा है. बरादर ने साल 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी थी. साल 1992 में रूस के बाहर निकलने के बाद प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया था. उस समय बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और रिश्तेदार मोहम्मद उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था.

जब अफगानिस्तान में 90 के दशक में तालिबान बना था. तब उसके प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर थे. कहा जाता है कि बरादर की बहन मुल्ला उमर की बीवी थीं. तालिबान के 90 के दशक के ताकतवर कुख्यात राज में वो दूसरे बड़े नेता थे. जिलों और प्रांतीय राजधानियों पर जीत के लिए बरादर को प्रमुख से जिम्मेदार माना जाता है.


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पाकिस्तानी जेल में 8 साल रहा कैद

मुल्‍ला बरादर तालिबान का नंबर दो नेता है और दोहा में राजनीतिक कार्यालय का अभी प्रमुख है. उसका पूरा नाम मुल्ला अब्दुल गनी बिरादर है और करीब 20 साल बाद पहली बार अफगानिस्‍तान पहुंचा है. मुल्ला बरादर ने ही अपने बहनोई मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी.

तालिबान का सह-संस्थापक और मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश और तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तान ने इसे 2018 में रिहा कर दिया था.

मुल्ला मोहम्मद याकूब बन सकते हैं मंत्री

सूत्रों ने बताया कि तालिबान के दिवंगत संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई सरकार में बड़ा पद संभालेंगे. सूत्रों ने ये भी बताया कि तालिबान अफगानिस्तान के मौजूदा संविधान को रद्द कर 1964-65 के पुराने संविधान को हीं फिर से लागू कर सकता है क्योंकि तालिबान का मानना है कि नया संविधान विदेशी मुल्कों के आधीन बनाया गया था.


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4 दिनों से कांधार में बैठक जारी

सरकार गठन को लेकर पिछले 4 दिनों से तालिबानी नेता कांधार में आपसी चर्चा कर रहे हैं. हालांकि सूत्रों ने बताया है कि तालिबान का हार्डलाइनर गुट सत्ता में किसी और को शामिल नहीं करना चाहता. लेकिन दोहा आफिस के तालिबानी नेता दूसरे पक्षों को भी शामिल करना चाहते हैं.

सूत्रों के मुताबिक तालिबानी सरकार में गैर तालिबानी पक्षों को सुप्रीम काउंसिल और मंत्रालयों दोनों में हीं जगह दी जा सकती है. हालांकि देखना ये दिलचस्प होगा कि नार्दन एलायंस और तालिबान के बीच बातचीत में कोई समझौता हो पाता है या नहीं, क्योंकि नार्दन एलायंस सरकार में बराबर की हिस्सेदारी चाहता है और तालिबान इसके लिए फिलहाल राज़ी है.

अफगानिस्तान को लाखों डॉलर की मदद की जरूरत

अफगानिस्तान की स्थिति काफी खराब है, ऐसे में तालिबान की निगाहें अंतरराष्ट्रीय डोनर्स और निवेशकों पर टिकी हुई हैं. अगर सरकार को दुनियाभर के देशों से मान्यता मिलती है तो इससे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधर सकती है. मानवीय समूहों ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान को लाखों डॉलर की सहायता की जरूरत है.

अगर ऐसा नहीं होता है तो अर्थव्यवस्था बुरी तरह ढह सकती है. तालिबान के कब्जे से पहले ही बहुत से अफगान अपने परिवारों को रोटी मुहैया कराने में संघर्ष कर रहे थे, क्योंकि देश में सूखा पड़ा हुआ था. यही वजह है कि अब लाखों लोग भुखमरी की कगार पर हैं.


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