UP Assembly Elections : क्या उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले अकेले रह गए हैं औवेसी ?

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द लीडर। यूपी विधानसभा चुनाव अगले साल 2021 में होना है। जिसको लेकर सभी पार्टियां चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में औवेसी अकेले हो गए है। बता दें कि, भागीदारी संकल्प मोर्चे के साथ और ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले AIMIM के मुखिया सांसद असदुद्दीन ओवैसी फिलहाल अकेले हो गए हैं।


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ओम प्रकाश राजभर का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने के बाद से ओवैसी ने अपनी पार्टी को उनसे और उनके मोर्चे से दूर कर लिया है। हालांकि, ओवैसी यूपी में राजभर के अलावा दो दलों के संपर्क में हैं लेकिन, बात अभी सिर्फ ‘बात’ तक ही सीमित है।

सौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी औवेसी की पार्टी

भागीदारी संकल्प मोर्चे के संयोजक ओम प्रकाश राजभर और असद्दुदीन ओवैसी के बीच मतभेद तो उसी दिन सीटों के बंटवारे को लेकर पैदा हो गए थे, जब ओवैसी ने बिना मोर्चे की सहमति यूपी में सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। हालांकि, दोनों नेता काफी दिनों तक इस मतभेद पर यह कह कर पर्दा डालते रहे कि, उनके बीच कोई मतभेद नहीं है। मोर्चे की बैठक में सीटों को लेकर मसला तय हो जाएगा।

लेकिन राजभर के सपा से चुनावी गठबंधन के बाद यह मतभेद दूरियों में बदल गए। इसका खुलासा 27 अक्टूबर को हलधरपुर में हुई उस रैली से हो गया, जिसमें ओवैसी को भी मोर्चे के अन्य नेताओं के साथ मंच साझा करना था लेकिन अखिलेश यादव के वहां पहुंचने की जानकारी पाकर ओवैसी वहां नहीं गए।


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मोर्चे में रहने के दौरान ही असदुद्दीन ओवैसी प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर से मिलते रहे हैं। ओवैसी कई मंचों से शिवपाल की तारीफ भी कर चुके हैं। ताजा हालात में संभावनाएं इस बात की भी जताई जा रही हैं कि, मोर्चे से अलग होकर ओवैसी, प्रसपा और भीम आर्मी से समझौता कर मैदान में उतर सकते हैं।

एआईएमआईएम के साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे- सपा प्रमुख

एआईएमआईएम के एक नेता ने माना कि, दोनों नेताओं से गठबंधन को लेकर बात चली थी, लेकिन बात किसी निर्णायक परिणाम तक नहीं पहुंच सकी। हालांकि, इन दोनों नेताओं की सपा से भी गठबंधन की बात चल रही है और सपा प्रमुख ने स्पष्ट कर दिया है कि, वह एआईएमआईएम के साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे।


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दोनों के बीच मतभेद क्या हुए कि, दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर तल्ख टिप्पणियां शुरू कर दीं। सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि, एआईएमआईएम कभी अधिकृत तौर पर मोर्चे में शामिल नहीं हुआ। मोर्चे की मजबूती के लिए जैसे हमारी बात शिवपाल सिंह यादव और चंद्रशेखर से हो रही थी, वैसे ही ओवैसी से भी थी।

पूरी मजबूती से चुनाव की तैयारी

एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि, उनकी पार्टी किसी के साथ गठबंधन की मोहताज नहीं है। राजभर साहब को जो तवज्जो मिली, वह आईएमआईएम के साथ आने पर मिली। शौकत अली ने कहा कि, हमारी पार्टी ने सौ सीटें चिह्नित कर ली हैं, जहां पूरी मजबूती से चुनाव की तैयारी चल रही हैं।


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