संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल के हथियार निर्माताओं ने दुबई एक्सपो में रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर करके रक्षा उत्पादन क्षेत्र में नई इबारत लिखने की तैयारी शुरू कर दी है। अब इन दोनों देशों की कंपनियां साझे तरीके के मानवरहित सैन्य और कॉमर्शियल जहाज-विमानों के साथ-साथ कई अनोखी युद्ध सामग्री बनाएंगी। जिसमें पनडुब्बी युद्ध में सक्षम मानव रहित जहाजों को डिजाइन करना खास होगा। (UAE Israel Unmanned Vessels)
संयुक्त अरब अमीरात रक्षा समूह EDGE और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने गुरुवार को द्विवार्षिक दुबई एयरशो के अंतिम दिन नई साझेदारी का ऐलान किया। संयुक्त बयान में फर्मों ने कहा कि वे “170 एम” उन्नत मॉड्यूलर मानवरहित जहाजों को डिजाइन करेंगे, जो सैन्य और वाणिज्यिक दोनों मकसद से इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
साझेदारी से विकसित होने वाले यह मानवरहित जहाज पनडुब्बी का पता लगाने और पनडुब्बी रोधी युद्ध मिशन को अंजाम देंगे। खुफिया, निगरानी, टोही, खान का पता लगाने और व्यापक रूप से उपयोग करने योग्य होंगे। कुछ इस तरह के मानवरहित विमान होंगे, जिन्हें बाकायदा तैनात किया जा सकेगा। व्यावसायिक रूप से तेल और गैस की खोज के लिए उपयोग हो सकेगा। (UAE Israel Unmanned Vessels)
अबू धाबी शिप बिल्डिंग (ADSB) प्लेटफॉर्म को डिजाइन करेगा और नियंत्रण प्रणाली और पेलोड को एकीकृत करेगा, जबकि IAI स्वायत्त नियंत्रण प्रणाली विकसित करेगा और इसमें पेलोड को एकीकृत करेगा।
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गुरुवार के सौदे पर टिप्पणी करते हुए, ईडीजीई के सीईओ फैसल अल बन्नई ने कहा: “अब्राहम समझौते और इजरायल के साथ यूएई के नए बने रिश्तों और सहयोग के लिहाज से आईएआई के साथ सैन्य मामलों में साझेदारी हमारे लिए निर्णायक क्षण है। चूंकि EDGE क्षमताओं के विकास में बड़े पैमाने पर निवेश करता है, साझेदारी से उन्नत प्रौद्योगिकी पोर्टफोलियो को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
बन्नई ने कहा, “ये घटनाक्रम स्थानीय के साथ ही सैन्य और वाणिज्यिक क्षेत्र के वैश्विक बाजारों में हमारे लिए नए दरवाजे खोलेगा।”
आईएआई के अध्यक्ष बोअज़ लेवी ने कहा कि समझौता “हमारे देशों के बीच व्यापार और रणनीतिक गठजोड़ में मील का पत्थर” है।
बयान में यह नहीं बताया गया है कि परियोजना के लिए कितनी पूंजी लगाई गई जाएगी और यह उत्पादन कब से शुरू होगा।
इजरायली रक्षा उत्पादन कंपनी IAI ने मार्च में कहा था कि वह EDGE के साथ संयुक्त रूप से उन्नत ड्रोन रक्षा प्रणाली विकसित करेगी।
मौजूदा साझेदारी संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल द्वारा पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन की कोशिश से राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद हुआ है। जिसके बाद अमेरिका अबू धाबी को F-35 युद्धक विमान बेचने पर राजी हुआ।
यूएई, अरब राज्यों में पहला ऐसा देश था, जिसने पिछले साल इज़राइल के साथ संबंधों को सामान्य किया। पड़ोसी बहरीन ने भी उसी समय ऐसा किया। कथित अब्राहम समझौते के तहत सूडान, मोरक्को, जॉर्डन भी इजरायल से नजदीकी बना चुके हैं। (UAE Israel Unmanned Vessels)
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फ़िलिस्तीनी रिश्ते सामान्य करने के इन समझौतों को अरब देशों की एकता के कमजोर होने के रूप में देखते हैं, क्योंकि इससे फिलिस्तीन में इजरायली कब्जे वाले क्षेत्रों से इजरायल की वापसी न होने की खामोशी से मंजूरी मिलती है।
अब्राहम समझौते के एक साल के तजुर्बे पर संयुक्त अरब अमीरात में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अब्दुल खालिक अब्दुल्ला का कहना है, दोनों देशों ने राष्ट्रीय हितों को तवज्जो देकर इसे अपनाया है, जिसकी वजह से राजनयिक रिश्ते ही नहीं, अर्थव्यवस्था और व्यापार आशाजनक तरीके से विकसित होते दिखाई दे रहे हैं। इससे शांति, क्षेत्रीय स्थिरता और लोगों की मानसिकता को बदलने की शुरुआत कर दी है, ऐसी मानसिकता, जो दुश्मन को दोस्त बना देती है।
यह सिर्फ अब्राहम समझौते से नहीं हुआ है, बल्कि दोनों देशों के प्रमुख अधिकारियों के बीच लगभग 15 वर्षों के मौन संबंधों और लंबी बातचीत का नतीजा है। ये बातचीत परिपक्व, बहुआयामी, व्यापक और सामान्य रणनीतिक चिंताओं और क्षेत्रीय खतरों पर केंद्रित थी। जाहिर तौर पर इसने ठोस परिणाम दिए।
यूएई द्विपक्षीय शांति संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार था, सार्वजनिक होने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा था। इसी तरह इज़राइल और अधिकांश अरब खाड़ी देशों के बीच भी व्यापक मौन संबंध मौजूद हैं। उनमें से कुछ के लिए इजरायल से संबंध सामान्य बनाना रणनीतिक आवश्यकता बनती जा रही है और लगभग सभी के लिए राजनीतिक रूप से अपरिहार्य है।
यही वजह रही कि यूएई 70 साल पुराने दुश्मन के साथ शांति की घोषणा करने वाला पहला अरब खाड़ी देश बनने का जोखिम भरा निर्णय लेने के लिए आश्वस्त रहा।
अब्राहम समझौते की अनंत संभावनाओं का व्यावहारिक पहलू ऐसे ही विकसित नहीं हुआ। यूएई ने यथार्थवादी सोच से यह नतीजा निकाला। एक यथार्थ यह कि पांच युद्ध और 70 साल के लंबे बहिष्कार ने इजरायल को कमजोर नहीं बनाया। बल्कि इज़राइल 163 देशों द्वारा मान्यता प्राप्त एक मजबूत देश बनकर उभरा।
यूएई ने अपने राष्ट्रीय हित के बारे में भी सोचा। निवेश अवसरों और इज़राइल के साथ एक खुले संबंध रखने के रणनीतिक लाभों को देखा। इस तरह यूएस-यूएई संबंधों को ऊंचाई मिली। अप्रैल 2021 में नए बिडेन प्रशासन ने संयुक्त अरब अमीरात को 23 अरब डॉलर के उन्नत हथियार बेचने की योजना को मंजूरी दे दी, जिसमें 50 अत्याधुनिक एफ-35 हवाई जहाज शामिल हैं। (UAE Israel Unmanned Vessels)
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समझौतों ने विश्व स्तर पर शांति के लिए प्रयासरत देश के रूप में यूएई की भूमिका और छवि को भी मजबूत किया। इसके साथ ही उभरती हुई मध्य पूर्व की ताकत के तौर पर देश की क्षेत्रीय स्थिति को बेहतर हुई। इस समझौते ने संयुक्त अरब अमीरात को इजरायल का रणनीतिक भागीदार बनकर सुरक्षित महसूस कराया, कम नहीं।
तेल के बाद, संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को इज़राइल की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति से बहुत लाभ होगा। समझौते के पहले वर्ष के परिणाम आश्वस्त करने वाले हैं, खासकर जब देश अर्थव्यवस्था और डिजिटल क्षेत्र को विकसित करने पर केंद्रित है।
समझौते के लिए वास्तविक चुनौती खुद इज़राइल है। संक्षेप में कहें तो इजरायल फिलिस्तीनियों के साथ शांति बनाने के मूड में नहीं है। इसकी नई गठबंधन सरकार फिलिस्तीनी भूमि पर नई बस्तियों के निर्माण के पक्ष में है। इज़राइल के 80 प्रतिशत लोग फिलिस्तीनियों के अपने स्वतंत्र देश होने के खिलाफ हैं। इजराइल ने अभी तक बेरूत शिखर सम्मेलन में 22 अरब राज्यों द्वारा अपनाई गई अरब शांति पहल को स्वीकार नहीं किया है।
इजरायल के साथ अब्राहम समझौते की जुगलबंदी में नए शिगूफा भी छोड़े जा रहे हैं और उनका विरोध संवेदनशील मुद्दे पर लाने की कोशिश हो रही है।
चर्चा यह शुरू हो गई है कि अब्राहम को मानने वाले यहूदी, ईसाई और मुसलमान नए धर्म जैसा कुछ बनाने इच्छा रखते हैं, जिसमें विवादित मुद्दे न हों, जो सबका समान है, उसे माना जाए। यह कौन लोग हैं, यह कोई नहीं जानता, लेकिन इसका विरोध मिस्र से हो गया है और शायद अभी दूसरी जगहों से भी हो।
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विरोध में कहा जा रहा है कि इस्लाम के बाद किसी मजहब को नहीं आना है और न किसी पैगंबर को आना है, इसलिए यह सारी कवायद या चर्चा गैर इस्लामी है। (UAE Israel Unmanned Vessels)
बात इसी मुद्दे पर आधारित होकर वैश्विक हो गई तो अब्राहम समझौता नए संकट में आ सकता है। हालांकि यह समझौते का महज लोकप्रिय नाम है, वास्तव में इजरायल से समझौते में देशों के नाम के साथ एग्रीमेंट शब्द जोड़ा गया है।