दुबई ।
आखिर पहेली अधिकृत रूप से सुलझ गई कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर दो साल से जमी बर्फ कैसी पिघली। नियंत्रण रेखा पर फरवरी में 2003 के समझौते के अनुरूप युद्ध विराम कैसे हुआ। ये हुआ सयुंक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता से।
अमेरिका में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राजदूत यूसेफ अल-ओतैबा ने खुलासा किया है कि उनके देश ने भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम करने और और उनके द्विपक्षीय संबंधों को ‘स्वस्थ कामकाजी स्तर’ पर वापस लाने में भूमिका निभाई। अल-ओतैबा ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के हूवर इंस्टिट्यूशन के साथ एक डिजिटल चर्चा में बुधवार को कहा, ‘वे (भारत और पाकिस्तान) शायद बहुत अच्छे दोस्त नहीं बन सकते, लेकिन हम इसे कम से कम ऐसे स्तर पर पहुंचाना चाहते हैं, जहां वे एक-दूसरे से बात करते हों।’
भारत और पाकिस्तान ने 25 फरवरी को एक अचानक की गयी घोषणा में कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर सहमत हुए हैं। अल-ओतैबा ने खुद ही एक सवाल का जवाब देते हुए इस मुद्दे को उठाया और दोनों पड़ोसियों के बीच ‘तनाव को कम करने’ में अपने देश की भूमिका को स्वीकार किया।
इससे पहले दोनों देशों की सरकारें किसी मध्यस्थ की बात से इनकार कर रही थीं । बीच में मीडिया में यह भी खबर आई कि मध्यस्थता सऊदी अरब ने की। नयी दिल्ली में जब इन मीडिया खबर के बारे में पूछा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले एक साल से अधिक समय से परदे के पीछे बातचीत हो रही थी तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। बागची ने 9 अप्रैल को कहा था की ‘अगर आप इस मुद्दे पर संचार चैनलों के आ रही अटकलों के बारे में बात करते हैं, तो मुझे यही कहना है कि हमारे संबंधित उच्च आयोग मौजूद हैं और वे काम कर रहे हैं।
उसी दिन, पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने भारत के साथ परदे के पीछे किसी प्रकार की बातचीत में अपनी भागीदारी से स्पष्ट रूप से इनकार किया था।
इसी बीच रायटर ने खबर दी थी कि इस साल जनवरी में भारत और पाकिस्तान की खुफिया सेवा के बड़े अधिकारी दुबई में गोपनीय ढंग से मिले थे और दोनों ने कश्मीर में हो रही दो तरफा गोलाबारी रोकने पर बात की।
इस अधिकृत बयान के बाद साफ हो गया कि बीच में मध्यस्थ था।
पुलवामा हमला और फिर बालाकोट पर सर्जीकल स्ट्राइक के बाद बिगड़े संबंधों पर जम्मू कश्मीर तो भागों में बांटने के बाद और तल्खी आ गई थी।
भारत को चीन सीमा जबकि पसकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान सीमा ने भी परेशान कर रखा था, इसलिए दोनों ओर से युद्ध विराम की मंशा थी।