द लीडर : आला हज़रत ख़ानदान की बहू रहीं निदा ख़ान के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वक़्त भाजपा के साथ की ख़बर सामने आ रही है. ट्रिपल तलाक़ क़ानून पर विवाद के समय से ही निदा भाजपा सरकार की नीतियों की हिमायत करती रही हैं. लेकिन अब यूपी चुनाव में भी उन्होंने पार्टी को समर्थन देने की बात कही है. (Nida Khan Triple Talaq)
आपको बता दें कि निदा ख़ान तीन तलाक़ के ख़िलाफ लड़ाई से चर्चा में आई थीं. वह ट्रिपल तलाक़ पर रोक के लिए क़ानून की हिमायत में आवाज़ बुलंद कर रही थीं. इसी को लेकर जुलाई 2018 में उनके ख़िलाफ मरक़जी दारूल इफ़्ता से एक फ़तवा जारी हुआ था. जिसमें उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया गया था. ये फतवा पूरी दुनिया में आलोचना का सबब बना था. जिसके ख़िलाफ निदा ने एफआइआर दर्ज कराई थी. बहरहाल, ये मामला अभी कोर्ट में है.
निदा ख़ान मूल रूप से बरेली के मुहल्ला शहदाना की रहने वाली हैं. साल 2015 में उनकी शादी आला हज़रत ख़ानदान के शीरान रज़ा ख़ान से हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों में विवाद हो गया. और मामला तलाक़ तक जा पहुंचा. तलाक़ का यह विवाद भी कोर्ट में है. इस बीच शीरान रज़ा दूसरी शादी कर चुके हैं. (Nida Khan Triple Talaq)
इसे भी पढ़ें-हिजाब पहनकर कॉलेज आने वाली मुस्लिम छात्राओं को क्लासरूम में क्यों नहीं मिल रही एंट्री
निदा ख़ान सोशल एक्टिविस्ट हैं. आला हज़रत हेल्पिंग सोसायटी चलाती हैं. जिसके जरिये तीन तलाक़ और घरेलू हिंसा पीड़ितों के लिए काम कर रही हैं. महिलाओं को क़ानूनी मदद उपलब्ध कराने के लिए वह एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से एलएलएबी की पढ़ाई कर रही हैं.
दरअसल, बरेली स्थित दरगाह आला हज़रत सुन्नी-बरेलवी मुसलमानों का मरक़ज (केंद्र) है. बरेली से ही तीन तलाक़ के ख़िलाफ एक बड़ी आवाज़ उठी थी. यह और बात है कि 2019 में तीन तलाक़ पर रोक के लिए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम बनने के बावजूद भी तलाक़ के मामलों में कोई अप्रत्याशित कमी नहीं है. (Nida Khan Triple Talaq)
निदा ख़ान के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को क्या लाभ होगा. मोटे तौर पर इसका जवाब भी तीन तलाक़ कानून ही है. जिसे भाजपा पूरे दमखम के साथ प्रचारित भी कर रही है. इस दावे के साथ कि सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को हक में ये बड़ा काम किया है, जो शाहबानो के मामले में कांग्रेस नहीं कर पाई थी.