द लीडर हिंदी. दहेज लिया और न दिया गया. फिजूल की रस्मों से परहेज हुआ. अमूमन दिखने वाली मेहमानों रेलमपेल भी नहीं थी. शादी का यह वह मॉडल था, जिसके लिए दरगाह आला हजरत की तरफ से मुसलमानों के लिए अपील जारी की गई है. जब ऐसी मिसाल पेश की गई तो सज्जादानशीन मुफ्ती मुहम्मद अहसन रजा कादरी निकाह पढ़ाने के लिए तहरीक तहफ्फुज-ए-सुन्नियत के चंद अहम लोगों के साथ पहुंचे. खुश होकर दुल्हा-दुल्हन को नेक दुआओं से नवाजा. हिस्सा लेने आए तमाम लोगों से इसी अंदाज की शादियां करने पर जोर दिया.
अपनी तरह की यह अलग शादी दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी के भाई शारिब कुरैशी और उनकी बहन फरहा कुरैशी की थी. शारिब का निकाह आफरीन कुरैशी और फरहा का आरिफ कुरैशी के साथ हुआ। शादी में शामिल होने के लिए दोनों तरफ से 20-20 मेहमान बुलाए गए थे. सभी को दावतनामा भी वाट्सएप के जरिये भेजा गया था. शादी से पहले ही तीनों खानदानों के बीच तय कर लिया गया था कि दहेज दिया और न लिया जाएगा. गैर शरई कोई रस्म भी नहीं होगी.
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बरेली के मुहल्ला गढ़ी स्थित शादीहाल में पहले निकाह और मेहमानों को खाना खिलाया गया. उसके फौरन बाद बहन को विदा करके बहू को घर ले आया गया. सज्जादानशीन ने निकाह पढ़ाने के बाद खुशी का इजहार किया. दुआ की कि अल्लाह तमाम मुसलमानों को इस तरह से शादी करने की तौफीक अता फरमाए.
समाज से दहेज की लानत मिट जाए. दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन के एलान को सामने रखकर सादगी से शादी के लिए कोशिश की. खुश हूं इसमें कामयाबी मिली. बहन के ससुराल वालों ने भी खुद आगे आकर दहेज लेने से साफ इन्कार कर दिया. हमने भी लड़की वालों से दहेज देने के लिए मना कर दिया था.
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