अल्पसंख्यक मुसलमानों की हिफाजत में फेल त्रिपुरा सरकार, लागू करें राष्ट्रपति शासन : रजा अकादमी

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Tripura Muslims Raza Academy
रजा एकेडमी के पदाधिकारी.

द लीडर : त्रिपुरा में भड़की मुस्लिम विरोधी हिंसा को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में आक्रोश है. एक्टिविस्ट और सामाजिक संगठनों के साथ धार्मिक तंजीमें भी हिंसा के विरोध में मुखर होकर आवाजें उठा रही हैं. दरगाह आला हजरत से जुड़ी, मुंबई की रजा एकेडमी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक मांग पत्र भेजा है. जिसमें राज्य की बिप्लब देव सरकार पर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में विफल रहने का आरोप लगाया है. (Tripura Muslims Raza Academy)

एकेडमी के अध्यक्ष सय्यद मोईनुद्​दीन अशरफ और मुहम्मद सईद नूरी को ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. जिसमें मस्जिदों को निशाना बनाया. अल्पसंख्यकों के मकान और दुकानों पर हमले किए गए.

रैलियों में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारेबाजी की गई. और पवित्र किताब कुरान का अपमान किया गया. अब तक 16 मस्जिदों में आगजनी की बात सामने आई है. जिनमें 3 मस्जिदें पूरी तरह से जला दी गईं.


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ये बेहद गंभीर मामला है. इस विफलता पर सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए. और अल्पसंख्यकों के नुकसान की भरपाई की जाए. (Tripura Muslims Raza Academy)

वहीं, बरेली में ऑल इंडिया रजा एक्शन कमेटी ने मौलाना अदनान रजा कादरी की अध्यक्षता में एक बैठक की, जिसमें हिंसा की निंदा की गई है. मौलाना अदनान रजा ने हिंसा को लेकर विपक्ष की खामोशी पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के मुद़्दों को लेकर हमें खुद ही आवाज उठाने की जरूरत है. इसलिए क्योंकि त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ एक-दो दलों को छोड़ कोई भी राजनीतिक पार्टी बोलने को तैयार नहीं है.

बैठक में अब्दुल्ला रजा कादरी, मुफ्ती उमर रजा, मौलाना कमरुज्जमा, हाफिज इमरान रजा आदि मौजूद रहे. एक दिन पहले ही बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल और तंजीम उलमा-ए-इस्लाम ने हिंसा के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था. और राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र भेजा था. (Tripura Muslims Raza Academy)

अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में त्रिपुरा से सांप्रदायिक हिंसा की खबरें सामने आई थीं. बांग्लादेश में 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर हिंसा भड़क गई थी. इसी के विरोध में त्रिपुरा में प्रदर्शन शुरू हुए, जो हिंसक को होकर अपने राज्य के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो गए.


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हालांकि पुलिस अफसरों का दावा है कि राज्य में हिंसा जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं. उसमें अफवाह भी है. इसलिए अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है.

दूसरी ओर सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग ने त्रिपुरा का दौरा करके ये दावा किया है कि राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. जिसमें कई मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया है. (Tripura Muslims Raza Academy)

 

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