सुप्रीमकोर्ट के वकील और जमीयत उलमा की टीम ने त्रिपुरा में हिंसा के फैक्ट जुटाए, जलाई गईं मस्जिदें

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(Tripura Violence Mosques Burnt)
त्रिपुरा पहुंची सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की टीम स्थानीय लोगों से बात करके फैक्ट जुटाती.

द लीडर : त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा ठंडी जरूर पड़ने लगी है. लेकिन इसके जख्मों के निशाना ताजे हैं. जिन पर न तो सरकारी मल्हम लगा, न ही कोई तसल्ली मिली. यहां तक कि पुलिस के आला अफसर राज्य में हिंसा की खबरों को सिरे से ही खारिज करते रहे. जबकि राज्य के रिमोट इलाकों के हालात भयावह थे. सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है, जो तथ्य सामने रखे हैं. वे झकझोरने वाले हैं. (Tripura Violence Mosques Burnt)

एडवोकेट एहतिशाम हाशमी के नेतृत्व में सुप्रीमकोर्ट के वकील मुकेश और अंसार की टीम त्रिपुरा के दौरे पर है. उन्होंने कई क्षेत्रों का भ्रमण किया है. अल्पसंख्यक मुस्लिम और गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है.

दिल्ली हाईकोर्ट के वकील अमित श्रीवास्तव भी टीम का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि, हमारी जांच में एक वारदात सामने आई है. पीड़ित से मुलाकात में हमने ये महसूस किया कि यहां सुनियोजित तरीके से दंगा भड़काया गया है. रोवा में करीब 10 हजार की भीड़ प्रोटेस्ट में शामिल हुई. और उसने मुस्लिम समुदाय की दुकानों को निशाना बनाया. एक दुकान में आग आग लगा दी. (Tripura Violence Mosques Burnt)


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एडवोकेटे मुकेश ने कहा कि, जब हम पीड़ितों से मुलाकात कर रहे थे. तो उन्होंने बताया कि यहां से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर बांग्लादेश का बॉर्डर है. हमारे कुछ रिश्तेदार बांग्लादेश चले गए थे. लेकिन बीमारियों की वजह से अब वे दुनिया में नहीं रहे. अल्लाह की दुआ से हम यहां हैं और सलामत हैं. तो मुझे लगता है कि उन लोगों को अपने भारतीय होने पर कितना गर्व है. बतौर एक हिंदुस्तानी नागरिक हमारी भी जिम्मेवारी बनती है कि हम उनके साथ खड़े हों.

एडवोकेट अंसार ने कहा कि हमारी जांच में दो चीजें सामने आई हैं. पहली ये कही कि प्रदर्शन में भीड़ आनी थी. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रोटेस्ट में जेसीबी लेकर आए हैं. इसका क्या औचित्य था. मतलब दुकानों को तोड़ना चाहते थे. दूसरी बात ये है कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. पीड़ितों ने पुलिस को शिकायत तो दी है लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं हुई.

एडवोकेट एहतिशाम ने कहा कि हम लोग फैक्ट फाइंडिंग के लिए यहां आए हुए हैं. ये संविधान को बचाने की कोशिश है. घटना में जो भी आरोपी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए. जांच में जो तथ्य सामने आए हैं. जल्द ही उन्हें मीडिया के सामने रखा जाएगा. (Tripura Violence Mosques Burnt)

जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम भी त्रिपुरा के दौरे पर है. टीम पाल बाजार के पानी सागर मस्जिद भी गई, जिसे जला दिया गया है. खास बात ये है कि पुलिस प्रशासन ने इस मस्जिद को नहीं जलाए जाने का दावा किया था. और ये कहा था कि भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं. जमीयत ने एलान किया है कि राज्य के जिन अल्पसंख्यक धार्मिक स्थल या समुदाय के लोगों के मकान-दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया है. उनकी मरम्मत जमीयत कराएगी.


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त्रिपुरा में 21 अक्टूबर से हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं. बांग्लादेश में 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया था. इसके विरोध में त्रिपुरा में हिंदुत्वादी संगठनों ने रैलियां निकाली, जो हिंसक होकर राज्य के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने लगी. करीब सप्ताह भर तक राज्य में हालात भयावह बने रहे. आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ने हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए. न ही आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई एक्शन लिया गया है.

इस बीच राहत की बात ये है कि त्रिपुरा हाईकोर्ट ने हिंसा का स्वता: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू कर दी है. और शासन से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है. (Tripura Violence Mosques Burnt)

 

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