MP आजम खान का आज जन्मदिन है, दुआ कीजिए तालीम की रौशनी देने वाला ये चिराग सलामत रहे

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Rampur MP Azam Khan
मुहम्मद जौहर अली यूनिवर्सिटी रामपुर.

अतीक खान


 

आजम खान, सर सय्यद अहमद खान की उस रिवायत के वारिस हैं. जिसमें भारतीय मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने का ख्वाब और जुनून है. 14 अगस्त 1948 को जन्में आजम खान का आज जन्मदिन है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से पढ़ाई की. जहां से उन्होंने LLB की. सियासत में बेशुमार शोहरत-रुतबा पाया. लेकिन सर सय्यद का एजुकेशन मिशन (Education Mission) नहीं भूले. 2006 में रामपुर में मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी बनवाई. आज वे जेल में हैं. जिसकी वजह, सिर्फ यूनिवर्सिटी है. (Rampur MP Azam Khan )

समाजवादी नेता के तौर पर आजम खान दम भरकर ये दावा करते रहे हैं कि उनके दामन पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं है. न ही उन्होंने कोई कंपनियां बनाईं और न ही मल्टीनेशनल कंपनियों में निवेश किया. अगर कुछ बनाया है तो वो है गरीबों के बच्चों के लिए स्कूल. एक आलीशान यूनिवर्सिटी बनाई है.

चूंकि मुस्लिम समुदाय शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर पिछड़ेपन की गिरफ्त में फंसा है. और इसका मुख्य कारण है अशिक्षा. आजम खान इस समुदाय को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना चाहते हैं. इसीलिए उन्होंने स्कूल और यूनिवर्सिटी तामीर कराई.

देश में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) -दिल्ली. यही दो प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान हैं, जो मुस्लिम समाज को शिक्षा की तरफ आकर्षित करते हैं.

जौहर अली यूनिवर्सिटी की लैब में छात्र.

मुसमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है? 2006 में लोकसभा में पेश सच्चर समिति की रिपोर्ट ये सब कुछ बता चुकी है.

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोनह सिंह ने 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस राजिंदर सच्चर (Justic Rajinder Sachar) की अध्यक्षता में ये समिति बनाई थी.(Rampur MP Azam Khan )


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तब पहली बार मुसलमानों के हालात का इतनी बारीकी से अध्ययन किया गया. जिसमें सामने आया कि मुस्लिम समाज की स्थिति दलितों से भी बदतर है.

समिति ने करीब 15 बिंदुओं पर काम करने की सिफारिश की थी. ये अलग बात है कि इसकी सिफारिशों पर कभी गंभीरता से गौर नहीं किया गया. (Rampur MP Azam Khan )

पिछले साल ही एक रिपोर्ट सामने आई है. जिससे ये साफ होता है कि दलित और मुस्लिम, दोनों की शैक्षिक स्थिति लगभग एक जैसी है. (Rampur MP Azam Khan )

भारत में मुस्लिम पुरुषों की साक्षरता दर (Muslims Literacy rate In India) 81 प्रतिशत है, एससी 80 और एसटी की साक्षरता दर 77 प्रतिशत है. वहीं मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर 69 प्रतिशत, एससी 64 और एसटी 61 प्रतिशत है.

देश में 3 से 35 साल के ऐसे 17 प्रतिशत मुस्लिम बच्च्चे हैं, जिनके मां-बाप स्कूल में उनका नाम ही नहीं लिखा पाते हैं. लड़कियों की संख्या 22 प्रतिशत, जो लड़कों की अपेक्षा और दयनीय है.

ऐसे हालात में मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी एक उम्मीद की जगाती है. जो कम से कम रुहेलखंड के खित्ते में अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिए बड़ी उपलब्धि है. (Rampur MP Azam Khan )


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आजम खान रापमुर से सांसद हैं. उन पर 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इस आरोप में कि जौहर यूनिवर्सिटी के लिए उन्होंने जमीन के बंदोवस्त में गड़बड़ी की है.

आजम खान इन आरोपों को सिरे से नकाराते रहे हैं. बहरहाल, ये मामला कोर्ट में हैं. और वे जेल में. इसलिए इसका पटाक्षेप भी केवल अदालत से ही होना है.

जौहर अली यूनिवर्सिटी में उद्घाटन करते आजम खान.

लेकिन यहां एक बात याद करना जरूरी है. आजम खान मंच से जब दहाड़ा करते. तो अपने प्रतिद्वंद्वियों को ये चुनौती देते-मेरा दामन साफ है.

मैंने भ्रष्टाचार का रास्ता नहीं चुना. यहां तक कि संसद में भी उन्होंने यही दम भरा था कि एक भी आरोप सिद्ध हो जाए. तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा. (Rampur MP Azam Khan )

आजम खान को लेकर आक्रोश में बदलती खामोशी

-समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता आजम खान पिछले सालभर से जेल में बंद हैं. अभी 3 महीने से उनकी तबीयत खराब है.

लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा है. आजम खान की रिहाई को लेकर उनके समर्थक अपने खून से पत्र लिख रहे हैं.


आजम के ‘जौहर’ से ‘2022 में साईकिल’ का दम भरने रामपुर आ रहे अखिलेश यादव


 

ट्वीटर पर उनकी रिहाई का ट्रेंड सबसे ऊपर चल रहा. यूपी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के मुस्लिम एक्टिविस्ट, लीडर, छात्र और आम लोग उन्हें रिहा करने की मांग उठा रहे हैं. इसे ऐसे देख सकते हैं कि अब तक जो खामेशी बनी थी. वो अब आक्रोश में बदलती नजर आने लगी है.

आजम खान केवल एक ही उपलब्धि गिनाते

राजनीतिक रैली हो, सभा या कोई दूसरा मंच. आजम खान बड़े गर्व के साथ अपनी एक उपलब्धि बताया करते. रामपुर में उन्होंने गरीब, अनाथ बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की.

यहां तक कि संसद में दिए अपने एक संबोधन में भी उन्होंने शिक्षा का ही सबसे ज्यादा जिक्र किया था.

जौहर अली यूनिवर्सिटी-रामपुर.

समाजवादी पार्टी को आजम खान की जरूरत

72 साल के आजम खान 9 बार विधायक रहे हैं. वर्तमान में सांसद हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि पार्टी में उनके कद का कोई दूसरा मुस्लिम नेता नहीं है.

जिसकी 20 प्रतिशत आबादी वाले समाज पर इतनी गहरी छाप हो. अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव हैं.

हैदराबाद से सांसद और एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्​दीन ओवैसी यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं.

ये 100 सीटों वो होंगी, जहां मुस्लिम जनाधार ज्यादा है. इस स्थिति में आजम खान ही ऐसे नेता हैं, जिनके पास ओवैसी के हर सवाल का जवाब है.

जौहर अली यूनिवर्सिटी में आजम खान-फाइल फोटो.

अखिलेश कर चुके यूनिवर्सिटी बचाने का ऐलान

इसी साल मार्च में सपा प्रमुख अखिलेश यादव रामुपर पहुंचे थे. उन्होंने जौहर अली यूनिवर्सिटी से साईकिल रैली का शुभारंभ किया. मंच से ऐलान भी किया कि पार्टी यूनिवर्सिटी बचाने की लड़ाई लड़ेगी.

मंच पर आजम खान की बीवी डॉ. MLA  तजीन फातिमा और परिवार के सदस्य भी मौजूद थे. दरअसल, उस वक्त पार्टी पर आजम खान के परिवार की अनदेखी के आरोप लग रहे थे.

आरोप-सवालों से पार्टी असहज हो रही थी. लेकिन मई में जब आजम खान की तबीयत बिगड़ी.

समाजवादी पार्टी ने उनके इलाज में सहयोग किया. आजम खान के परिवार ने इस पर पार्टी का आभारा जताया. पिछले दिनों ही आजम खान को मेदांता से सीतापुर जेल में दोबारा शिफ्ट किया गया था.

इस तर्क और दावे के साथ कि उनकी हालत अब ठीक है. चार दिन मुश्किल से जेल में कटे. आजम खान फिर गंभीर रूप से बीमार हो गए. और उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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आजम खान की इस हालत और उस पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की खामोशी से आजम समर्थकों में नाराजगी बढ़ी. ये मांग उठी कि पार्टी उनकी रिहाई और बेहतर इलाज के प्रबंधन को आगे आए. अखिलेश यादव खुद मेदांता अस्पताल पहुंचे.

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी सड़कर पर उतरकर आजम खान की रिहाई के लिए आंदोलन शुरू किए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लेकर, बरेली, बलरामपुर समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों से विरोध-प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र भेजे गए.

हाल ही में आजम खान और अब्दुल्ला आजम खान को सुप्रीमकोर्ट से पैनकार्ड मामले में जमानत मिली है. शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को चार सप्ताह में उनके बयान दर्ज करने को आदेशित किया है. इसके बाद आजम खान की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा. हालांकि उनके खिलाफ और भी मामले हैं, जिनमें अभी जमानत मंजूर होना बाकी है.

लेकिन शीर्ष अदालत के पैनकार्ड वाले मामले में जमानत देने के बाद से ये उम्मीद बन गई कि आजम खान और अब्दुल्ला आजम जल्द ही जमानत पर रिहा हो जाएंगे.

  • (लेखक पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार निजी हैं.)

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