फिलिस्तीनियों ने खोले सीरियाइयों के लिए ‘दिल के दरवाजे’, बोले- टेंट में नहीं घर में रहो

0
1387

कभी यासिर अराफात ने कहा था, ‘मेरे एक हाथ में बंदूक और दूसरे हाथ में जैतून की डाल है, जैतून की डाल मेरे हाथ से गिरने मत देना।’ ऐसा कहकर उन्होंने साफ किया था कि खुशहाली, शांति की कोशिशों को रोकने की कोशिश मत करना। ‘हमारे साथ वे सब हैं, जिन्होंने हमारी तरह तकलीफ देखी है, हम भी उनके साथ हमेशा हैं, जो हमारी तरह तकलीफ में हैं।’  (Palestinians For Syrians)

यासिर अराफात के ये बोल फिलिस्तीन की आवोहवा में समाए हुए हैं। एक ओर जहां वे हमलों से मुकाबला करते हैं तो दूसरी ओर अपने जैसों की हमदर्दी में कसर बाकी नहीं रखते। जंग से बेहाल सीरिया से दर-बदर हुए सीरियाई लोगों के जख्मों पर उन्होंने तसल्ली का वह फाहा रखा है, जिसकी उन्हें वाकई बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा, आपके लिए टेंट नहीं, घर हैं।

इदलिब में विस्थापित सीरियाई लोगाें की मदद को मुहिम चल रही है। इजरायली कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सीरियाई शरणार्थियों के लिए घर बनाने को 10 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता 33 वर्षीय इब्राहिम खलील ने कहा, “हमने सोचा था कि 100 घरों के लिए 100 हीटर जुटाने हैं, तभी हमने देखा कि लोग दिल खोलकर मदद कर रहे हैं और हमारे पास मदद देने को बहुत सामान जमा हो चुका है।

पिछले छह साल से फ़िलिस्तीनी मर्सीफुल सोल्स नामक एक गैर-लाभकारी समूह तुर्की की सीमा से लगे इदलिब क्षेत्र में सीरियाई शरणार्थियों को भोजन और अन्य जरूरी चीजें दान लेकर मुहैया करा रहा है। (Palestinians For Syrians)

लेकिन इस बार सर्दी के मौसम में दान अभूतपूर्व रहा। संगठन के प्रमुख रायद बद्र ने कहा, शायद बर्फ में ठंड से पीड़ित बच्चों के सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो ने लोगों को प्रेरित किया।

अपनी दादी के साथ रहने वाली एक यतीम लड़की 11 वर्षीय नाडा ने एक वीडियो में कहा, “मुझे उम्मीद है कि शायद वह दिन भी आएगा, जब वे हमें एक घर में ले जाएंगे, क्योंकि बारिश ने हमारे तंबू को डुबो दिया है।”

बद्र ने कहा कि करीब 3000 आवास बनाने की योजना है। निर्माण में संगठन की वेबसाइट पर प्रकाशित मॉडल की बुनियाद पर क्लीनिक और स्कूल भी शामिल होंगे। (Palestinians For Syrians)

खलील ने कहा, उम्मीद है कि घरों का निर्माण छह से आठ महीने में पूरा हो जाएगा।

योगदान के लिए एक कॉल सोशल मीडिया पर अरबी हैशटैग “टेंट के बजाय घर” के साथ वायरल हो गई, जिसका बहुत असर हुआ। सीरियाइयों का दर्द फिलिस्तीनियों को अपना लगा।

विस्थापित परिवारों की तस्वीरें फिलिस्तीनियों जैसी ही लगती हैं, क्योंकि वे खुद बरसों से टेंट में रहने वाले शरणार्थियों जैसे ही पीड़ित रहे हैं।

खलील ने कहा, फिलिस्तीनी 1948 में इजरायल बनने के बाद जंग और लगातार अपना वजूद बचाने को दर-बदर हुए हैं। उनकी जिंदगी में भी बर्फबारी और ठंड के मौसम ने तकलीफ पैदा की। ऐसा ही इदलिब के टैंट में रहने वाले सीरियाई महसूस करते हैं, तेज हवाओं, ठंड, बरसात ने उनकी दुश्वारियों को बहुत बढ़ा दिया। ठंड से बचने को बच्चे प्लास्टिक, पुराने जूते और लकड़ी का कबाड़ इकट्ठा कर जलाते हैं।

तुर्की की सहायता एजेंसियां ​​और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) उत्तर-पश्चिमी सीरिया में बेहद जरूरत वाले लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्राधिकरण (AFAD), टर्किश रेड क्रिसेंट (किज़िले) और ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ फ़ाउंडेशन (IHH) सहित कई तुर्की एनजीओ और राज्य एजेंसियां, लगभग 40 लाख लोगों की जरूरी मानवीय सहायता देती रहती हैं। (Palestinians For Syrians)

इदलिब क्षेत्र में लगभग 28 लाख विस्थापित लोगों को पनाह मिली है। इदलिब मार्च 2020 में तुर्की और रूस के बीच एक समझौते के तहत जाली डी-एस्केलेशन ज़ोन के तहत आता है। हालांकि, सीरिया के असद शासन ने लगातार संघर्ष विराम की शर्तों का उल्लंघन किया है, डी-एस्केलेशन ज़ोन के अंदर भी हमले किए हैं।


यह भी पढ़ें: तुर्की में बढ़ रही सीरियाई शरणार्थियों से बेरुखी: सर्वे


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here