द लीडर हिंदी, इस्लामाबाद। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव जल्द ही सजा-ए-मौत के फैसले के खिलाफ अपील कर सकेंगे। 4 साल पहले जासूसी के आरोप में उन्हें मिलिट्री कोर्ट ने यह सजा सुनाई थी।
सजा के खिलाफ अपील कर सकेंगे जाधव
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली ने कुलभूषण जाधव को उच्च अदालतों में अपील करने की मंजूरी देने वाले बिल को अपनी स्वीकृति दे दी।
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सैन्य अदालत की ओर से मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव को अपील करने का अधिकार नहीं था। इस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी।
मौत की सजा की समीक्षा करने और पुर्नविचार करने का अधिकार
इस बिल में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप मौत की सजा की समीक्षा करने और पुर्नविचार करने के ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। जानकारों का कहना है कि, कुलभूषण जाधव के पाकिस्तान की उच्च अदालतों में अपील करने पर उनके भारत वापस भेजे जाने की संभावना बन सकती है।
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पाकिस्तान का दावा है कि, कुलभूषण जाधव को वर्ष 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था और उसे जासूसी के आरोप में उसी साल एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया है। और कहा कि, कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से किडनैप किया गया।
क्या फायदा होगा ?
अब तक पाकिस्तानी जेलों में बंद विदेशी कैदी जिन्हें सैन्य अदालतों ने सजा सुनाई है, इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील नहीं कर पाते थे। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में सुनवाई करते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने पाकिस्तान से इस मामले में सुधार करने को कहा था ताकि दूसरे देशों के नागरिकों के इंसाफ मिल सके।
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21 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी बनाने को मंजूरी
भारत ने कहा कि, कुलभूषण जाधव ईरान में अपना बिजनस चला रहे थे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव के फांसी की सजा पर वर्ष 2018 में रोक लगा दी थी। पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नैशनल असेंबली ने गुरुवार को 21 सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी बनाने को मंजूरी दे दी।
पूरे पाकिस्तान में लागू होगा कानून
इसका नाम इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ऐक्ट नाम दिया है। यह कानून बनने के बाद पूरे पाकिस्तान पर लागू होगा। इससे पहले पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप एक अध्यादेश भी ला चुकी है।
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इससे पहले पाकिस्तान सरकार भारत से लगातार वकील नियुक्त करने की अपील कर रही है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने पिछले दिनों इस मामले की सुनवाई करते हुए विदेश कार्यालय से कहा था कि, वह भारत से वकील नियुक्त करने के लिए संपर्क करे और मामले की इस अदालत द्वारा सुनवाई के न्यायाधिकार क्षेत्र पर भारत की गलतफहमी दूर करे।
पाकिस्तान अदालत के साथ सहयोग करने का आह्वान
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जहीद हफीज चौधरी ने इस मामले में कहा था कि, हमने भारत से एक बार फिर कुलभूषण जाधव मामले में वकील नियुक्त कर पाकिस्तान अदालत के साथ सहयोग करने का आह्वान किया है ताकि मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेश को पूरी तरह से प्रभावी बनाया जा सके।
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‘पाकिस्तान जाधव को फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए मंच दे’
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी 50 वर्षीय जाधव को अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया था और पाकिस्तान द्वारा राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी थी।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा था कि, पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने के फैसले और सजा की ‘प्रभावी तरीके से समीक्षा और पुनर्विचार करे’ और साथ ही बिना देरी के भारत को राजनयिक पहुंच दे। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पाकिस्तान जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच मुहैया कराए।
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