स्वीडिश सरकार ने क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग की भारत के किसान आंदोलन पर किए गए ट्वीट पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। मीडिया से बातचीत में स्वीडिश विदेश मंत्रालय ने कहा कि “इस मामले में हमारी ओर से कोई कमेंट नहीं है।”
साथ ही कहा, एक नागरिक होने के नाते उनकी निजी टिप्पणियों और ट्वीट्स से विदेश नीति पर कोई असर नहीं पड़ता है, हालांकि एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में उनका प्रभाव पड़ता है।
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भारत-स्वीडन के बीच अच्छे रिश्ते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वीडन का दौरा किया। पिछले 30 वर्षों में स्वीडन का दौरा करने वाले वह पहले भारतीय पीएम बने। उस यात्रा के दौरान स्टॉकहोम में पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन को आयोजित किया गया था।
स्वीडन विस्तृत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR)में भारत की सदस्यता का समर्थन करता है, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG)के लिए भी नई दिल्ली का समर्थन किया है।
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ग्रेटा ने हाल ही में भारत में जारी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था, जिसके बाद मेगास्टार रिहन्ना ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया। अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने भी किसानों का समर्थन किया।
इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने मामले को जाने बगैर टिप्पणी करने को गलत करार दिया। जिस हैशटैग का प्रयोग मंत्रालय ने किया, उसी हैशटैग से भारत के कई खिलाड़ियों और फिल्म अभिनेताओं ने भी ट्वीट किए और इसे देश का अंदरूनी मामला बताया।
आंतरिक मामले में दखलंदाजी का मुद्दा बनाकर सरकार समर्थक गुटों ने विश्व हस्तियों के पुतले जलाकर प्रदर्शन किया।
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