द लीडर हिंदी. अगर ऐसा रणनीति के तहत हुआ तो कांग्रेस में यह बड़ा बदलाव है. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम दो दिन पहले समीक्षा बैठक और दरगाह ताजुश्शरिया पर प्रियंका गांधी की तरफ से चादरपोशी के लिए यूपी के जिला बरेली आए थे. वह यहां करीब 48 घंटे रुके. बहुत से पार्टी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया लेकिन अपने दो बड़े नेताओं के घर शोक जताने के लिए नहीं गए.
नवाब मुजाहिद हसन खां के छोटे भाई नवाब अय्यूब हसन खां का कोरोना पॉजीटिव होने के बाद इंतकाल हो गया था. इसी तरह प्रेमप्रकाश अग्रवाल की माता का पिछले दिनों ही स्वर्गवास हुआ है.
कांग्रेस में ही राष्ट्रीय सचिव के इस कदम को लेकर विरोध के स्वर भी उठ रह रहे हैं. यह मामला तब और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया, जब द लीडर ने कांग्रेस जिला प्रवक्ता से बात की तो उनका तर्क बहुत ज्यादा चौंकाने और हैरान करने वाला था.
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कांग्रेस प्रवक्ता राज शर्मा ने फोन पर बात करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम, नवाब मुजाहिद हसन खां के घर इसलिए नहीं गए, क्योंकि उनके जिन भाई का स्वर्गवास हुआा है, वह सपा के नेता थे. हां, प्रेमप्रकाश अग्रवाल के घर जाने के लिए फोन पर बात की तो उन्होंने बिजी कार्यक्रम को देखते हुए खुद ही आने से मना कर दिया.
बता दें कि जब नवाब अय्यूब हसन का इंतकाल हुआ तो सभी प्रमुख दलों के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पुराना शहर में रजा चौक स्थित उनकी कोठी गए थे. इनमें भाजपा के बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल भी शामिल थे.
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कांग्रेस की बात करें तो नवाब मुजाहिद हसन हो या फिर प्रेमप्रकाश अग्रवाल दोनों पार्टी के बहुत पुराने सिपहसालार हैं. एआइसीसी के सदस्य भी हैं. पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर एक ने कैंट और दूसरे नेता ने शहर विधानसभा सीट से लड़ा था. जीत तो नहीं पाए लेकिन दूसरे स्थान पर रहे थे.
कांग्रेस के पूर्व जिला महासचिव एडवोकेट काजी जुबैर अहमद ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि अपने कार्यकतार्ओं के दुःखदर्द में साथ खड़े होना पार्टी की रिवायत रही है. अब आकर अहसास हो रहा है कि कांग्रेस ने अपनी इस रिवायत को भुला दिया है, जो अफसोसनाक है.