द लीडर : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने गृह मंत्रालय की उस अधिसूचना को सुप्रीमकोर्ट में चैलेंज किया है, () जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन पत्र मांगे गए हैं. अपनी याचिका में आइयूएमएल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (CAA)को प्रमुख आधार बनाया है. इस तर्क और तथ्य के आग्रह पर कि जब तक, लंबित सीएए मामले पर, सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला न आ जाए. तब तक इससे जुड़े सरकार के किसी भी नए आदेश के अनुपालन पर रोक लगाई जाए. (Muslim League Challenge Citizenship Notification Supreme Court)
केंद्र सरकार ने साल 2019 में नागरिकता संशोधन कानून बनाया था. जिसके मुताबिक पड़ोसी बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी. इसको लेकर व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे. यहां तक कि फरवरी 2020 में दिल्ली में भड़के दंगे भी इसी का कारण बने.
The legal fight of the IUML against the CAA will undoubtedly, go to the maximum extend.
In our new petition, we demand that the Government should be barred from pursuing any of the new orders, till a final verdict on the pending CAA case is made by the Apex Court.#NoCAA #iuml— E.T Muhammed Basheer (@BasheerEt) June 1, 2021
बीती 28 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की. इसमें कहा गया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और इसाई जोकि गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में निवास कर रहे हैं. वे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2019-कानून की रोशनी में बनाए गए नियमों के तहत इसकी अधिसूचना जारी की. चूंकि सरकार की ओर से पहले ये कहा जा चुका है कि अभी सीएए के नियम नहीं बने हैं. इस स्थिति में अधिसूचना का जारी होना, सवालों में बना है.
बहरहाल, आइयूएमएल के महासचिव और और सांसाद ईटी मुहम्मद बशीर ने अपने एक ट्वीट में कहा कि सीएए के खिलाफ आइयूएमएल पूरी ताकत के साथ कानूनी लड़ाई लड़ेगा. नई याचिका में हम मांग करते हैं कि सरकार के नागरिकता संबंधी किसी भी आदेश के पालन पर रोक लगा देनी चाहिए. जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लंबित सीएए मामले पर आखिरी फैसला न हो आ जाए.
आइयूएमएल ही है, जिसने सीएए के खिलाफ पहला पक्षकार बना था और न्यायालय में याचिका दायर की थी. चूंकि अभी सीएए पर अंतिम फैसला आना बाकी है. इससे पहले इसके क्रियान्वयन को लेकर मुस्लिम समाज में बेचैनी है.
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28 मई को जब से गृह मंत्रालय ने नागरिकता संबंधी अधिसूचना जारी की है. तब से सोशल मीडिया पर सीएए-एनआरसी हैशटैग के साथ विरोध नजर आने लगा है. सामाजिक कार्यकर्ता, खासकर मुस्लिम एक्टिविस्ट इस पर कड़ी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.