भाजपा के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या, जो अपने विधायक चाचा को लेकर कैसे एक बड़े विवाद में घिर गए

0
282
एक कार्यक्रम में लोगों का अभिवादन करते तेजस्वी सूर्या-फाइल फोटो, साभार ट्वीटर

द लीडर : बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद तेजस्वी सूर्या भाजपा की अगली जमात के बड़े नेता के रूप में देखे जा रहे हैं. उनके चाचा हैं रवि सुब्रमण्या, जोकि बासवानगुड़ी विधानसभा सीट से विधायक हैं. एक वायरल ऑडियो ने इन चाचा भतीजे या यूं कहें कि भाजपा के दो बड़े नेताओं के साथ पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है. जिसको लेकर कांग्रेस बेहद आक्रामक है. (BJP MP Tejashwi Surya )

वॉयरल ऑडियो के मुताबिक ‘बेंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल की सुपरवाइज एक व्यक्ति को फोन पर ये बता रही हैं कि कोविड वैक्सीन की कीमत 900 रुपये है. जब व्यक्ति रुपये कम करने की बात कहता है तो वह इनकार करती हैं. और बताती हैं कि इसका 700 रुपये विधायक को जाता है.’

बेंगलुरु में एक निजी अस्पताल के वैक्सीनेशन प्रचार पर तेजस्वी सूर्या की तस्वीर छपी है. इसको लेकर कांग्रेस ने उन पर प्रश्न उठाया है कि वे सरकारी अस्पताल के बजाय लोगों को निजी अस्पताल के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जहां 900 रुपये में वैक्सीन लगाई जा रही है. बोर्ड पर कीमत भी लिखी है. Twitter

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तेजस्वी सूर्या और भाजपा को निशाने पर लिया है. खेड़ा ने कहा, ‘स्थानीय मीडिया में जो ऑडियो लीक हुए हैं. वो चौंकाने वाला है. प्रश्न ये है कि सरकारी अस्पतालों में टीके नहीं हैं. दूसरी तरफ निजी हॉस्टपिटल में टीकेे पहुंचाए जा रहे हैं. जहां एक टीके की कीमत 900 रुपये है. आखिर ये टीके निजी अस्पतालों में कैसे जा रहे हैं और इन्हें कौन पहुंचा रहा है? ये जांच का विषय है. क्योंकि ऑडियो में 700 रुपये विधायक सुब्रमण्या को पहुंचाए जाने की बात सामने आई है. ‘


इसे भी पढ़ें : लक्षद्वीप पर केरल का प्रस्ताव : केंद्र सरकार दखल दे और प्रशासक पद से प्रफुल पटेल को हटाए


 

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कुछ दिन पहले सुब्रमण्या के भतीजे सांसद तेजस्वी सूर्या ने अपने क्षेत्र में बड़े विज्ञापन लगवाए थे. जिसमें निजी अस्पताल का प्रचार किया. एक बोर्ड पर टीके की कीमत 900 रुपये लिखी थी. यह वही अस्पताल और संबंधित नर्सिंग होम है, जहां से 700 रुपये विधायक को जाने का ऑडियो लीक हुआ है.

खेड़ा ने प्रश्न उठाया कि,’क्या भाजपा के नेता इसीलिए राजनीति में हैं कि कैसे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जाए? तेजस्वी सूर्या जोकि भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. और पीएम मोमदी के चहेते और आंखों के तारे हैं. उनके चाचा जो तीन बार के विधायक हैं. इस सबके बाद भी लोगों मजबूरी का लाभ उठा रहे हैं.’

बेड बिक्री में मुस्लिम कर्मचारियों का घसीटा था नाम

बेंगलुरु में मई की शुुरुआत से ही बेड घोटाले का विवाद चल रहा है. मई के पहले सप्ताह में बेंगलुरु के एक वॉर रूम को लेकर विवाद पैदा हुआ था. तब, जब सांसद तेजस्वी सूर्या, विधायक रवि सुब्रमण्या और एक अन्य विधायक ने इस वार रूम का दौरा किया था.


इसे भी पढ़ें : क्या 95 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले केंद्र शासित राज्य “लक्षद्वीप’ पर हिंदुत्ववादी एजेंडा थोपना चाहते हैं प्रशासक प्रफुल पटेल


 

इस राजनीतिक प्रतिनिधि मंडल ने वॉर रूम से मरीजों को बेड बेचने का मामला पकड़ा था. लेकिन इसमें कार्यरत 17 मुस्लिम कर्मचारियों को घोटाले के केंद्र में रखा. एक वीडियों में भाजपा नेताओं द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों का नाम लेते सुना गया था. इसको लेकर काफी हल्ला मचा. बाद में सभी मुस्लिम कर्मचारी पूरे घटनाक्रम में निर्दोष साबित हुए थे.

लेकिन पूरे घटनाक्रम को लेकर तेजस्वी सूर्या की काफी आलोचना भी हुई थी. इसलिए क्योंकि इस मामले को हिंदू-मुस्लिम के रूप में प्रचारित करने की कोशिश हुई थी.

संघ और भाजपा में तेजस्वी की लोकप्रियता

तेजस्वी सूर्या ने बैंगलुरु से ही कानून की पढ़ाई की है. तब वह एबीवीपी में सक्रिय थे. बाद में उन्हें युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी मिली. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव तक सूर्या संघ और भाजपा के चोटी के नेताओं की नजर में आ चुके थे.

राजनीतिक विश्लेषक इसका एक कारण भाजपा की राष्ट्रवादी नीति को भी मानते हैं. दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU)के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद विवाद के बाद देश में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे गर्म था. इससे कन्हैया कुमार और उमर खालिद नेता के रूप में उभरे. इस काट के लिए पार्टी ने एक युवा नेता को तलाशा, जो तेजस्वी सूर्या हैं.

कानून का छात्र होने के नाते सूर्या वाकपटु हैं. एबीवीपी और युवा मोर्चा से जुड़े होने के नाते उन्हें पार्टी की नीति, मुद्दों की भी गहरी समझ है. इसलिए पार्टी ने उन्हें साउथ बेंगलुरु सीट से प्रत्याशी बनाया था. ये सीट भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एचएन अनंत कुमार के निधन से रिक्त हुई थी. अनंत कुमार इस सीट से छह बार सांसद रहे हैं.


इसे भी पढ़ें : ये हैं यूपी के दस ग्राम प्रधान, जानिए क्यों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनका हौसला बढ़ाया


 

सूर्या को एक महत्वपूर्ण सीट से मैदान में उतारकर भारी मतों जीत दिलाना, ये पार्टी में उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है. इस आधार पर ये माना जाता है कि भाजपा की अगली जमात के नेताओं में तेजस्वी सूर्या का शीर्ष स्थान होगा.

लेकिन हालिया घटनाक्रम ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है. जिसका असर उनके राजनीति करियर पर पड़ने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है.

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here