द लीडर। देश दुनिया से कोरोना वायरस का खतरा अभी पूरी तरह से टला भी नहीं है कि एक और वायरस की दस्तक ने लोगों का दिल दहला कर रख दिया है। खास बात यह है कि यह वायरस भी कोरोना की ही तरह संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलता है। इस वायरस का नाम है मंकीपॉक्स। बता दें कि, देश में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैसे महंगाई और बीमारियों के बढ़ने से लोगों में सहमे हुए है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार ‘मंकीपॉक्स वायरस’ (Monkeypox Virus) एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है जो आसानी से नहीं फैलता है। यह स्माल पॉक्स या चेचक की तरह ही होता है। लेकिन यह चेचक से कम गंभीर होता है।
ब्रिटेन में तेजी से पैर फैला रहा मंकी पॉक्स
ब्रिटेन में इन दिनों मंकी पॉक्स तेजी से पैर फैला रहा है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के मुताबिक अब तक सात लोगों में यह संक्रमण पाया गया है। अमेरिका में भी मंकी पॉक्स का एक मामला सामने आया है।
मैसाचुसेट्स डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने बुधवार को कनाडा की हालिया यात्रा के साथ एक वयस्क पुरुष में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के एक मामले की पुष्टि की है।
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मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। आम तौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती हैं। चेहरे और शरीर पर दाने निकल आते हैं।
मंकीपॉक्स वायरस बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सूजन लिम्फ नोड्स, सिरदर्द, ठंड लगना और थकावट पैदा कर सकता है। यह बीमारी चूहों या बंदरों जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला इंसानों में साल 1970 में सामने आया था।
विशेषज्ञों ने गे पुरुषों को किया आगाह
चौंकाने वाली बात यह है कि, इस सप्ताह संक्रमित चारों मरीज खुद को गे या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई करते हैं। इसे देखते हुए विशेषज्ञों ने गे पुरुषों आगाह भी किया है। मंकी पॉक्स वायरस के कारण यह बीमारी होती है। यह वायरस स्माॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह इन्फेक्शन ज्यादा गंभीर नहीं है और इसके फैलने की दर भी काफी कम है। मंकी पॉक्स मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के कुछ इलाकों में पाया जाता है। इसकी दो मुख्य स्ट्रेंस भी हैं- पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी।
पहली बार 1970 में बंदर में पाई गई थी ये बीमारी
पहली बार मंकी पॉक्स नाम की यह बीमारी 1970 में एक बंदर के भीतर पाई गई थी जिसके बाद यह दस अफ्रीकी देशों में फैल गई थी। साल 2003 में अमेरिका में इसका पहला मामला सामने आया था। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था जिसके 75 मरीज पुरुष थे। ब्रिटेन में इसके मामले पहली बार साल 2018 में सामने आया था।
विशेषज्ञ मानते हैं कि, मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से फैलता है। यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश करता है। यह संक्रमित बंदर, गिलहरी या मरीज के संपर्क में आए बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है।
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि, मरीजों में मंकी पॉक्स कैसे फैला इसकी जांच की जा रही है। इस सप्ताह मिले चारों मरीज पुरुष हैं और इनमें से तीन लंदन और एक उत्तर पूर्वी इंग्लैंड का है। कहा जहा रहा है कि, इनमें से किसी ने भी हाल में अफ्रीकी देशों की यात्रा भी नहीं की है।
इन सभी ने खुद को गे या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई किया है जिसका मतलब कि, इन पुरुषों ने पुरुषों के साथ संबंध बनाए हैं। हालांकि अबतक मंकी पॉक्स को यौन संबंधित बीमारी नहीं माना गया है। फिर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गे और बायसेक्शुअल पुरुषों को चेतावनी दी है कि, वे कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत सेक्शुअल हेल्थ चेकअप कराएं।
क्या है Monkeypox Virus Infection ?
मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यह एक दुर्लभ संक्रमण है जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखता है।
इस बीमारी में चेचक के लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा इस संक्रामक बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण भी मरीज में दिखाई दे सकते हैं। जिन लोगों में यह बीमारी गंभीर होती है उनमें निमोनिया के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
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इससे संक्रमित होने पर मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद यह बीमारी आंख, नाक या मुंह के जरिए इंसान के शरीर में फैल सकती है।
जानिए Monkeypox Virus के प्रभाव
मंकीपॉक्स से पूरे शरीर पर दाने भी हो सकते हैं। यह चकत्ते पपड़ी में बदल जाते हैं और फिर शरीर में खुजली एवं जलन होती है। मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित व्यक्ति के निकट आने वाले व्यक्ति को हो सकता है। मंकीपॉक्स संक्रमण टूटी हुई त्वचा, श्वसन पथ या आंखों, नाक और मुंह के माध्यम से प्रवेश कर सकता है।
Monkeypox Virus के लक्षण
मरीज के चेहरे और शरीर पर लाल रंग के दानें और रैशेज के साथ ये लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
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शरीर पर गहरे लाल रंग के दानें।
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स्किन पर लाल रंग के रैशेज।
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फ्लू के लक्षण।
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निमोनिया के लक्षण।
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बुखार और सिरदर्द।
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मांसपेशियों में दर्द।
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ठंड लगना।
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अत्यधिक थकान।
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लिम्फ नोड्स में सूजन।
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समय के साथ लाल चकत्ते घाव के रूप में बदलना
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दानों में असहनीय दर्द का होना, जोड़ों में सूजन
क्या है मंकीपॉक्स का इलाज ?
अभी तक मंकीपॉक्स का कोई पुख्ता इलाज नहीं है। जानकारों के अनुसार, चेचक का टीकाकरण मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत कारगर साबित हुआ है।
यूं तो इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति सामान्यतः एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी बहुत गंभीर और जानलेवा भी हो सकती है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का फिलहाल कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है। इस बीमारी से संक्रमित होने पर मरीज के लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है।
संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रखने से अन्य लोगों में इसके फैलने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा सार्वजानिक जगहों पर फेस मास्क का इस्तेमाल, साफ-सफाई का ध्यान रखने की भी सलाह दी जाती है।
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