मोना अल-खुरैस: सऊदी अरब को मिली पहली ‘बंदूकबाज’

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अरबी दुनिया में बदलाव की बयार खासी तेजी से चल रही है। पारंपरिक सऊदी राजशाही में महिलाओं के प्रति नजरिया बदल रहा है। जिस सऊदी अरब में कुछ साल पहले तक महिलाएं कार नहीं चला सकती थीं, वहां आज सैकड़ों लड़कियां महिला आर्मी यूनिफॉर्म में नजर आ रही हैं। अब सऊदी अरब को पहली महिला फायर आर्म ट्रेनर भी मिल गई, जिनका नाम है मोना अल खुरैस। एक ऐसी युवती जो आधुनिक बंदूक-पिस्तौल को चलाने की ट्रेनिंग देना शुरू कर चुकी हैं। सऊदी हूकूमत ने कानून में बदलाव करके दूसरी युवतियों और महिलाओं को भी आगे बढ़ने का एक नया रास्ता खोल दिया है। (Saudi Firearms Instructor Khurais)

मोना अल-खुरैस को हथियारों के प्रति आकर्षण तब से था, जब वह छोटी बच्ची थीं, जब उनके पिता सऊदी अरब में शिकार अभियानों पर ले जाते थे और निशानेबाजी का हुनर भी सिखाते थे। बचपन में मिला हुनर उनके दिल से कभी जुदा नहीं हुआ, लेकिन एक कसमसाहट थी, क्योंकि इस हुनर को दिखाने का मौका 31 साल की उम्र तक पहुंचने पर भी नहीं मिल सका।

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आखिरकार उन्होंने पांच साल पहले हथियारों से मुहब्बत को कॅरियरमें तब्दील कर लिया। काबिल हथियार प्रशिक्षक बनने के लिए विदेशों में जाकर ट्रेनिंग ली। आज उनकी उम्र 36 साल हो चुकी है और रियाद की टॉप गन फायरिंग रेंज में शूटिंग सिखाती हैं। उनकी काबिलियत, हुनर, मकसद के लिए जूझने की जिद छात्राओं, युवतियों और महिलाओं को लुभा रही है। वे भी ऐसा ही कुछ करने के लिए राह पकड़ने को तैयार हैं। (Saudi Firearms Instructor Khurais)

खुरैस ने कहा, “मैं एक कोच और रेंज सुरक्षा अधिकारी के रूप में अपने जुनून और शौक का अभ्यास करके बहुत खुश हूं।”

“मैं सऊदी लड़कियों के साथ अपना तजुर्बा साझा करके उन्हें इस कठिन क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूं, जो पहले पुरुषों के लिए आरक्षित था। मुझे उम्मीद है कि इससे लड़कियों को तरक्की करने का मौका मिलेगा।”

वे बताती हैं, “बंदूक और शूटिंग के लिए मेरा जुनून तब शुरू हुआ जब मैं बचपन में शिकार पर अपने पिता के साथ जाती थी। मैंने पांच साल पहले सऊदी और गैर-सऊदी कोचों के साथ प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में आधिकारिक तौर पर शुरुआत की थी, आधुनिक शूटिंग प्रशिक्षक बनने के लिए विदेशों में प्रशिक्षण लेना पड़ा।” (Saudi Firearms Instructor Khurais)

खुरैस का कहना है कि इस साल उनके कॅरियर के लिहाज से अहम मोड़ आया, क्योंकि सरकार ने महिलाओं को भी बंदूकें खरीदने की मंजूरी दे दी।


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