औरतों की खातिर जान जोखिम में डालने वाली यह महिला फिर देगी सऊदी हुकूमत को चुनौती

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सऊदी अरब में महिलाओं के हक की आवाज उठाने की वजह से क्रूर यातनाओं को सहकर महज 31 साल की उम्र में बूढ़ी जैसी दिख रहीं लुजैन अल-हथलौल सऊदी अरब की हुकूमत को फिर नई चुनौती देने जा रही हैं। तीन साल बाद बमुश्किल पिछले दिनों उनकी रिहाई हुई।

अब वह दी गई सजा में बदलाव के खिलाफ लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रही हैं। इस सिलसिले में उन्होंने अदालत में अपील दायर की है।

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सामााजिक कार्यकर्ता लुजैन अल-हथलौल को महिलाओं को ड्राइविंग के अधिकार के लिए उकसाने के आरोप में मई 2018 में हिरासत में लिया था और दिसंबर में साइबर क्राइम और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत सजा सुनाई गई।

बाद में अदालत ने उसकी सजा के दो साल 10 महीने कम कर दिए, जबकि इतना समय पहले ही जेल में कट चुका था। अल-हथलौल पर पांच साल तक विदेश यात्रा प्रतिबंध बना हुआ है।

लुजैन ने 2013 से सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकार के लिए सार्वजनिक रूप से अभियान शुरू किए थे, तभी से वे सरकार की नजर में अखरने लगीं। ड्राइविंग कर संयुक्त अरब अमीरात बॉर्डर पार करने के प्रयास के आरोप में उन्हें पहली बार 2014 में गिरफ्तार किया गया था।

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इसकी सजा मिली और उन्हें बिना किसी सुविधा के 73 दिन हिरासत में गुजारने पड़े। इस कड़वे तजुर्बे के बाद उन्होंने देश की पुरुष वर्चस्व की प्रणाली के खिलाफ अभियान चलाने की ठान ली।

2016 में सऊदी अरब में नगरपालिका चुनावों के लिए खड़े होने वाली पहली महिलाओं में से एक बनने के एक साल बाद उन्होंने किंग सलमान को पुरुष वर्चस्व प्रणाली को समाप्त करने 14 हजार महिलाओं के हस्ताक्षर की याचिका भेजी। यह मामला जैसे-जैसे अभियान की शक्ल में महिलाओं के बीच लोकप्रिय हुआ, लुजैन को निशाने पर लेने की कोशिश होने लगी।

2018 में हथलौल के साथ कम से कम एक दर्जन अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता की भी गिरफ्तारी हुई, जिनके अंदर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व को लेकर असंतोष था। हालांकि तमाम दबाव और कूटनीति बतौर इससे पहले महिला को ड्राइविंग का हक दे दिया गया।

महिला कार्यकर्ताओं की हिरासत ने सऊदी अरब में मानवाधिकार रिकॉर्ड को नए सिरे से उजागर कर दिया। एक निरंकुश राजशाही, जिसे इस्तांबुल वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की 2018 में हत्या पर सख्त आलोचना का सामना करना पड़ा।

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लुजैन के मामले ने मानवाधिकार समूहों, संयुक्त राज्य कांग्रेस और यूरोपीय संघ के राजनेताओं के सदस्यों ने भी तीखी आलोचना की।

ट्रंप के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का प्रशासन ने भी सऊदी अरब के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर कड़ा रुख अपनाया है, साथ ही रियाद से महिला अधिकार कार्यकर्ताओं समेत राजनीतिक कैदियों को रिहा करने को कहा।

इसके बाद सऊदी अरब ने फरवरी में “आतंक” से संबंधित आरोपों पर लंबित मुकदमों में अमेरिकी नागरिक के साथ दो अन्य को जमानत पर रिहा कर दिया।

जनवरी में सऊदी की एक अदालत ने एक यूएस-सऊदी चिकित्सक के लिए छह साल की जेल की सजा को रोक दिया और शेष को निलंबित कर दिया।

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