Cop26 के लिए मिसाल बनेगी मस्जिद अल-हरम

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जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आज वैश्विक चर्चा है और दुनियाभर में इस बदलाव का असर भी साफ दिखाई दे रहा है। लेकिन मस्जिदों के मार्फत साफ-सुथरा वातावरण हासिल किया जा सकता है, इसको लेकर शायद किसी न सोचा हो। अलबत्ता, यह हकीकत दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिदें सामने लाने जा रही हैं, जिनमें मस्जिद अल हरम यानी ग्रैंड मस्जिद मिसाल बनने जा रही है। (Masjid Al-Haram Cop26)

ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व, अफ्रीका, पूर्वी एशिया और यूरोप की दस खास मस्जिदों में सौर पैनल स्थापित करने से एक साल में हजारों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा। पर्यावरण समूहों का कहना है कि मस्जिदों के पारिस्थितिकी सजगता के इस प्रदर्शन के फायदे दूरगामी होंगे, खासतौर पर इतने बड़े समुदाय का इस लिहाज से यह संदेश ही आने वाले वक्त का रुख बदल सकता है।

ग्रीनपीस ने जिन मस्जिदों का विस्तार से विश्लेषण किया है उनमें दुनिया की सबसे अहम और बड़ी मस्जिदें मक्का में मस्जिद अल हराम और मदीना में नबवी मस्जिद है। इसके अलावा स्कॉटिश शहर में ग्लासगो सेंट्रल मस्जिद भी है, जहां Cop26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ। इन मस्जिदों में इस्लामिक रिलीफ द्वारा वित्त पोषित सौर पैनल स्थापित किए जा रहे हैं। (Masjid Al-Haram Cop26)

द ग्रीन मस्जिद इनिशिएटिव रिपोर्ट ग्रीनपीस और उम्माह फॉर अर्थ ने प्रकाशित की है, जो पर्यावरण समूहों और विशेषज्ञों का अलाएंस है, जिसका मकसद दुनियाभर में मुस्लिम समुदायों के सहयोग और समर्थन से हरित मुद्दों को मुखर बनाना है।

रिपोर्ट में ग्रीनपीस के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के कार्यकारी निदेशक घिवा नाकात ने समुदाय-संचालित नवाचार और समाधानों को सबकी नजरों के सामने लाने की अहमियम पर जोर दिया हैं।

उनका कहना है कि यह रिपोर्ट मुस्लिम समुदाय की न सिर्फ सीधे तौर पर पर्यावरणीय फायदे के हिसाब से उनकी भागीदारी और क्षमता को, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामुदायिक जीवन में बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करने की क्षमता को भी प्रदर्शित करती है। (Masjid Al-Haram Cop26)

मस्जिदों में सौर पैनलों को स्थापित करने से अनुमान है कि नबवी मस्जिद और सीरिया के दमिश्क में उमय्यद मस्जिद में क्रमश: लगभग 373,200 डॉलर और 375,420 डॉलर की सालाना बचत होगी।

अगर इन 10 मस्जिदों में फोटोवोल्टिक (पीवी) पैनल लगा दिए गए तो कार्बन उत्सर्जन प्रति वर्ष 12,035 टन कम हो जाएगा। सिर्फ नबवी मस्जिद से एक साल में 3,199 टन तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम हो जाएगा।

रिपोर्ट में सूचीबद्ध आंकड़े बेरूत के अमेरिकी विश्वविद्यालय, लेबनानी अक्षय ऊर्जा फाउंडेशन और लेबनान में वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद के शोधकर्ताओं के शोध का हिस्सा हैं। (Masjid Al-Haram Cop26)

ग्रीनपीस में पृथ्वी के लिए उम्माह परियोजना के प्रचारक नौहाद अवध ने कहा कि जब जलवायु नीतियों की बात होती है तो भी पहल भी करना चाहिए और समाधान स्थापित करना चाहिए, जैसा कि ग्लासगो सेंट्रल मस्जिद में किया गया।

पिछले साल जकार्ता की इस्तिकलाल मस्जिद में सौर पैनल स्थापित किए गए थे, जो अपनी बिजली आपूर्ति को खुद पैदा करने में सक्षम हैं।


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