मलेशिया में ‘एलजीबीटी’ पर चलेगा ‘शरिया कानून का चाबुक’, जानिए क्या है माजरा

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भारत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिकता अपराध नहीं है, लेकिन मलेशिया में इस्लामी कानून के चाबुक से एलजीबीटी समुदाय पर सख्ती की तैयारी हो गई है। मलेशिया में अब सोशल मीडिया पर भी एलजीबीटी जीवन शैली के प्रचार को बढ़ावा देने वालों को शरिया कानून के तहत सख्ती और कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

मलेशिया में इस्लामी कानून के तहत समलैंगिक कृत्य अवैध हैं। हालांकि, इन तथाकथित अपराधियों को अमूमन दोषी ठहराकर सजा देना मुश्किल होता है। इसी वजह से सोशल मीडिया पर इस संबंध में प्रचार पर लगाम लगाने को कानूनी संशोधन किए जा रहे हैं। एलजीबीटी पहचान होने पर शरिया कानून की रोशनी में बने कड़े नियमों का शिकंजा कसा जाएगा।

मलेशियाई मीडिया की खबरों के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि प्राइड मंथ के जश्न के दौरान समलैंगिक, ट्रांसजेंडर गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट बढ़ रहे हैं, जिसके बाद सख्ती का प्रस्ताव आया। धार्मिक मामलों के प्रभारी उपमंत्री अहमद मरज़ुकी शैरी ने कहा कि इन पोस्टों ने इस्लाम का अपमान किया है।

अहमद ने कहा कि उनकी टीम ने सोशल मीडिया पर इस्लाम का अपमान करने वाले अपलोड किए गए स्टेटस और ग्राफिक्स द्वारा एलजीबीटी जीवन शैली को बढ़ावा देने वालों की निशानदेही की है।

अहमद मरज़ुकी ने कहा, प्रस्तावित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी भी मुस्लिम के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देगा जो इस्लामिक भावना विरोधी पोस्ट, नेटवर्क सुविधाओं, नेटवर्क सेवाओं या एप्लिकेशन का उपयोग करके मजहब का अपमान कर शरई अपराध करता है।

एजेंसी एलजीबीटी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आने वाली समस्याओं को भी हल करेगी। शिकायतों से निपटने के लिए गाइडलाइन बनाई जा रही है। इस सरकारी टास्क फोर्स में कई संस्थान शामिल हैं, जिसमें मलेशिया का इस्लामी विकास विभाग, संचार और मल्टीमीडिया मंत्रालय, अटॉर्नी-जनरल कार्यालय और पुलिस हैं, अहमद ने जानकारी दी।

मलेशिया में लगभग 32 मिलियन लोग रहते हैं, जिनमें मुसलमानों का वर्चस्व है। आबादी में 60 फीसद से ज्यादा मलय मुस्लिम हैं। मलेशिया में नागरिक कानून के साथ-साथ एक दोहरी शासन प्रणाली है, उन्होंने इस्लामिक आपराधिक और पारिवारिक कानून भी लागू किया है।

मलेशिया में एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्रति बढ़ती असहिष्णुता को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना हो चुकी है। इसके बावजूद मार्च में मलेशियाई सरकार ने एलजीबीटीक्यू समूहों के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में भाग लेने पर कई लोगों को गिरफ्तार किया। समलैंगिक यौन संबंध बनाने के आरोप में कई लोगों को सजा भी सुनाई गई है।

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क्या है एलजीबीटी

एलजीबीटी समुदाय किसी की मनमानी का नतीजा नहीं है। यह प्राकृतिक मनोभावना है जो कुदरती तौर पर अंगों या मन मस्तिष्क में होती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया में हर वर्ग-जाति के अंदर ऐसे लोग मौजूद हैं। समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में एलजीबीटी कहा जाता है। यह अंग्रेजी के शब्दों की शॉर्ट फॉर्म है। इसे विस्तार से समझिए।

L मतलब लेस्बियन- इस शब्द का इस्तेमाल उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो दूसरी महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं, उनसे प्यार करती हैं और यौन संबंध बनाना चाहती हैं।

G मतलब गे-  एक आदमी होकर आदमी की ओर आकर्षित होने वाले को गे कहते हैं।

B मतलब बाइ सेक्सुअल- कई बार इन्हें होमो सेक्सुअल भी कहा जाता है।

T मतलब ट्रांसजेंडर- थर्ड जेंडर भी कहा जाता है इनको। इनमें से जिनके जननांग ( प्राइवेट पार्ट) पैदा होते वक्त पुरुष की तरह होते हैं और लड़का माना जाता है, जब ये बड़े होते हैं और अपने अस्तित्व को पहचनाते हैं तो खुद को लड़की मानते हैं, उन्हें ‘ट्रांसवुमेन’ कहा जाता है और इसके उलट हो जाए तो उन्हें ‘ट्रांसमैन’ कहा जाता है।

I- मतलब इंटर-सेक्स- इनको ट्रांसजेंडर का हिस्सा माना जाता है। ये वे लोग होते हैं जिनके पैदा होने के बाद उनके जननांग (प्राइवेट पार्ट) देखकर ये साफ नहीं हो पाता कि वह लड़का है या लड़की।

Q मतलब क्वीयर-  सभी एलजीबीटी समुदाय को एक शब्द में क्वीयर समुदाय कहते हैं। एक तरह से वे इंसान, जो अपनी पहचान पुरुष या महिला बतौर नहीं करते। इनको ‘क्वीयर’ क्वीयर कहा जाता है।


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