द लीडर। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव-2022 के मद्देनजर सियासी पार्टियों ने अपनी तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। हर कोई पार्टी 2022 में अपनी जीत का दावा कर रही है. इसके साथ ही विपक्ष पर हमला बोलने और जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 से पहले उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार पर विपक्ष गंभीर आरोप लगा रहा है. विपक्ष का कहना है कि, 2022 में राज्य विधान सभा चुनावों से पहले, वो हिंदू-मुस्लिम तनाव को हवा दे रही है.
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राज्य में मुसलमानों की आबादी बढ़ रही…
बता दें कि, उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सूबे के स्थानीय अधिकारियों को उन जगहों की पहचान करने को कहा है, जहां कथित रूप से एक संप्रदाय विशेष की आबादी बढ़ रही है, जिसके बाद विपक्ष ने आरोप लगाए हैं. सरकारी आदेश इस पृष्ठभूमि में आया है, जब बीजेपी के सदस्यों ने शिकायत की थी कि, राज्य में कथित रूप से मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है और मस्जिदों का अवैध निर्माण हो रहा है. 24 सितंबर को जारी एक आदेश में, राज्य के गृह विभाग ने ज़िला मजिस्ट्रेटों और एसएसपीज़ को निर्देश दिया कि, राज्य में रह रहे बाहरी व्यक्तियों की पहचान करें और कमेटियां बनाकर सांप्रदायिक मसलों का समाधान कराएं, जो एक संप्रदाय की आबादी में वृद्धि होने के बाद कथित रूप से बढ़ गए हैं.
बाहरी लोगों की तैयार होगी सूची
आदेश में ये भी कहा गया कि, डीजीपी, ज़िला मजिस्ट्रेट्स और एसएसपीज़ को निर्देश दिया गया है कि, ऐसे बाहरी लोगों की पहचान करके उनकी सूचियां तैयार करें, जो दूसरे राज्यों से आकर उत्तराखंड में रह रहे हैं और जिनका आपराधिक इतिहास है. उनकी तमाम कारोबारी गतिविधियों, और सत्यापित निवास स्थान के रिहायशी इलाक़ों का पूरा लेखा-जोखा तैयार किया जाए. एक ज़िला-स्तरीय कमेटी गठित की जानी चाहिए, जो एक संप्रदाय की आबादी में वृद्धि से पैदा हुए, सांप्रदायिक मुद्दों को सुलझाने के उपाय सुझाएगी.
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ज़मीनों की अवैध ख़रीद-फरोख्त पर नज़र
पुष्कर सिंह धामी सरकार ने ज़िला अधिकारियों से ये भी कहा है, कि जिन इलाक़ों में कथित रूप से आबादी बढ़ रही है, वहां ज़मीनों की अवैध ख़रीद-फरोख्त पर नज़र रखें. आदेश में कहा गया कि, ये देखा जाना आवश्यक है कि लोग अपनी संपत्तियां, किसी दबाव या डर के तहत न बेंचें. इन ज़िलों में रहने वाले विदेशियों का, जिन्होंने भारतीय वोटर और अन्य पहचान पत्र हासिल कर लिए हैं, पूरा ब्यौरा तैयार किया जाए, और क़ानूनी कार्रवाई शुरू की जाए. 24 सितंबर को जारी सरकार के एक बयान में भी, मुसलमानों की आबादी में कथित बढ़ोतरी की तरफ, छिपे तौर पर इशारा किया गया है.
राज्य के गृह विभाग की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया, उत्तराखंड के कुछ इलाक़ों में आबादी में ज़्यादा बढ़ोतरी की वजह से, जनसांख्यिकीय बदलाव देखा गया है. इसका परिणाम एक संप्रदाय विशेष के सदस्यों का, अपने जन्मस्थानों से प्रवास के रूप में देखने को मिलता है. बयान में आगे कहा गया, इसके अलावा, मौजूदा हालात में इन इलाक़ों में सांप्रदायिक कलह के बढ़ने की पूरी संभावना है.
आपराधिक तत्वों को उत्तराखंड में पनाह लेने से रोका जाए
सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव और गृह विभाग के प्रमुख आनंद बर्धन ने कहा कि, डीजीपी, ज़िला मजिस्ट्रेटों और तमाम 13 एसएसपीज़ को, राज्य सरकार की चिंताओं से अवगत करा दिया गया है, जो कुछ चुनिंदा इलाक़ों में आबादी बढ़ने के नतीजे में पैदा हुई हैं, जैसा कि आदेश में कहा गया है. उनसे कहा गया है कि, वो सतर्क रहें, और पत्र में लिखित निर्देशों के अनुसार समुचित कार्रवाइयां करें. उन्होंने ये भी कहा कि, ये एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें प्रवर्त्तन एजेंसियों को अलर्ट मोड में रहना है, और सरकार को फीडबैक देना है. इससे पहले, डीजीपी से भी कुछ विशेष शिकायतों पर अपनी राय देने के लिए कहा गया था, जो मुख्यमंत्री को प्राप्त हुईं थीं. उन्होंने आगे कहा कि, सरकार ये भी चाहती है, कि आपराधिक तत्वों को उत्तराखंड में पनाह लेने से रोका जाए.
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मस्जिदों का अवैध निर्माण हुआ है
पिछले कुछ हफ्तों में राज्य सरकार को मुस्लिम आबादी में कथित वृद्धि के बारे में शिकायतें हासिल हुई हैं. एक दक्षिण-पंथी कार्यकर्त्ता दर्शन भारती ने, जो एक एनजीओ उत्तराखंड रक्षा अभियान के प्रमुख हैं उन्होंने कहा कि, पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत सी जगहों पर जनसांख्यिकी में बदलाव देखने को मिल रहा है. सरकारी ज़मीनों पर अवैध मस्जिदों का निर्माण कर लिया गया है. वहीं एक वरिष्ठ बीजेपी नेता और उत्तराखंड सरकार के पूर्व मीडिया सलाहकार अजेंद्र अजय ने भी, अगस्त में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में मस्जिदों के अवैध निर्माण पर नियंत्रण लगाने की मांग की थी. अजय ने बताया कि, उत्तराखंड में कई इलाक़े हैं, ख़ासकर पर्वतीय क्षेत्रों में, जहां जनसांख्यिकीय अस्थिरता है, और मस्जिदों का अवैध निर्माण हो रहा है. इसकी कुछ मिसालें नेपाल सीमा से सटे पिथौरागढ़ ज़िले के गांवों में देखी जा सकती हैं.
सरकार बनाए एक सख्त कानून
उन्होंने आगे कहा कि, हाल ही में टिहरी में ज़िला प्रशासन ने, अवैध रूप से बनाई गई एक मस्जिद को तोड़ दिया. सरकार को एक क़ानून बनाना चाहिए, जिससे कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को, थोक भाव में ज़मीन ख़रीदने से रोका जा सके. ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है, कि उत्तराखंड दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं साझा करता है.
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पिछले महीने धामी सरकार ने, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार से एक सवाल करते हुए, तथाकथित जनसांख्यिकीय बदलाव पर उनकी राय मांगी थी. राज्य पुलिस की खुफिया विंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पर्वतीय क्षेत्रों में ज़मीन ख़रीद को प्रतिबंधित करने के लिए, अलग से एक कड़े क़ानून की मांग उठाई जा रही है. गृह विभाग द्वारा डीजीपी की राय मांगने के निर्देश को, राज्य पुलिस और प्रशासन की डिवीज़ंस और संबंधित अधिकारियों के बीच जारी किए जाने के बाद, इस मांग पर विचार किया जा रहा था.
जनसंख्या के मुद्दे को सांप्रदायिक बना रही BJP सरकार
कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर, हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को हवा देने, और अगले साल के असेम्बली चुनावों से पहले, एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह ने जो उत्तराखंड अलेम्बली में नेता प्रतिपक्ष भी हैं ने कहा कि, चुनावों के दौरान हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करने के लिए ये बीजेपी का हथकंडा है. धामी सरकार कहती है कि बाहरी लोगों के उत्तराखंड में आकर बसने से, जनसांख्यिकी में बदलाव आया है, और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में, बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यक में बदल गया है.
उन्होंने आगे कहा कि, सरकार को बताना चाहिए कि ये बाहरी लोग कौन हैं, और जनसांख्यिकी में ये बदलाव कहां पर आए हैं. क्या वो विदेशी नागरिक हैं? अगर ऐसा है तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. चुनाव क़रीब हैं और अपने प्रदर्शन के तौर पर, लोगों को दिखाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है, इसलिए ऐसे में बीजेपी सरकार एक समुदाय को निशाना बना रही है. अगर ये मुद्दा इतना ही गंभीर था, तो इसे उठाने में उन्हें साढ़े चार साल क्यों लग गए?
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बता दें कि, 24 सितंबर को पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी, राज्य सरकार के इस क़दम पर ऐतराज़ जताया था, और कहा था कि ये एक ख़ास समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास है. रावत ने कहा कि, अगर सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए समुचित क़दम उठाती है, तो किसी को आपत्ति नहीं होगी, लेकिन अगर राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से राज्य के प्रशासन की सहायता से, किसी एक समुदाय और विशेष क्षेत्रों को निशाना बनाकर ऐसे क़दम उठाए जाते हैं, तो ये एक गंभीर मामला है.
टिहरी बांध झील के किनारे बनी मस्जिद को हटाया गया
बता दें कि, टिहरी बांध झील के किनारे खांडखाला में पर्यटन विभाग की जमीन पर बने अवैध मस्जिद को आखिरकार अधिकारियों ने हटाया दिया. इस टीनशेड में धार्मिक गतिविधियां चलाई जा रही थी। खांडखाला में पर्यटन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से टीनशेड बनाए गए थे. जिनमें धार्मिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा था. इस मामले में बीती 25 सितंबर को स्थानीय निवासियों और कुछ संगठनों ने खांडखाला में हंगामा किया था. प्रशासन ने किसी तरह से स्थानीय निवासियों को शांत किया था. मामले में विवाद बढ़ता देख धार्मिक गतिविधियों का संचालन कर रही समिति ने खुद ही टीनशेड हटाने की बात कही थी. जिसके बाद धार्मिक गतिविधियों का संचालन कर रहे समिति के सदस्यों ने बांध सुरक्षा को देखते हुए टीनशेड को हटाना शुरू कर दिया.
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