किदाम्बी श्रीकांत ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में रचा इतिहास : फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष

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द लीडर | स्टार भारतीय शटलर किदांबी श्रीकांत ने इतिहास रच दिया है. किदांबी श्रीकांत BWF विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरष बन चुके हैं. उन्होंने सेमीफाइनल में हमवतन लक्ष्य सेन को 17-21, 21-14, 21-17 से हराकर खिताबी मैच में प्रवेश किया.

यह पहला मौक़ा होगा, जब भारतीय पुरुष खिलाड़ी इस चैंपियनशिप में दो पदकों के साथ लौटेंगे. पहली बार विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने वाले लक्ष्य सेन का कांस्य पदक पक्का हो गया है. पर श्रीकांत के लिए अभी स्वर्ण पदक जीतने का मौक़ा है.


पूर्व नंबर-1 खिलाड़ी को सेन ने पहले गेम में आसानी से हराया. लेकिन अनुभव का फायदा उठाते हुए श्रीकांत ने दूसरे गेम में सेन को पछाड़कर मैच में बराबरी हासिल की. निर्णायक गेम में दोनों खिलाडि़यों ने एक दूसरे के सामने कठिन चुनौती पेश की. एक समय सेन ने बढ़त बना ली, लेकिन श्रीकांत ने वापसी करने में ज्यादा देर नहीं लगाई और लगातार अंक जुटाकर तीसरा गेम अपने नाम किया और फाइनल में जगह बना ली.

फाइनल जीतने का यह महत्त्व

श्रीकांत रविवार को होने वाले फाइनल में अगर जीत हासिल कर लेते हैं तो वह महिला सिंगल्स खिलाड़ी पीवी सिंधू के बाद दूसरे भारतीय होंगे जिसने इस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया है. हालांकि, खिताबी मुकाबले में पहुंचने के साथ ही श्रीकांत ने देश के लिए कम से कम रजत पदक पक्का कर लिया. श्रीकांत से पहले 1983 में प्रकाश पाडुकोण और 2019 में बी साई प्रणीत ने पुरुष सिंगल्स में कांस्य पदक अपने नाम किया था.

19 दिसंबर को खेला जाएगा फाइनल

अब 19 दिसंबर को किदांबी श्रीकांत खिताबी मैच में सिंगापुर के लोह कीन यू (Loh Kean Yew) से भिड़ेंगे, जिन्होंने डेनमार्क के एंडर्स एंटोनसेन (Anders Antonsen) को दूसरे सेमीफाइनल मैच में 23-21, 21-14 से मात दी है.

ऐसे बनी श्रीकांत की ज़िदगी

किदाम्बी श्रीकांत गुंटूर के रहने वाले हैं. उनके पिता 2008 में जब उन्हें गोपीचंद अकादमी में ले गए, उस समय उनके बड्रे भाई नंदगोपाल इसी अकादमी में खेला करते थे. गोपीचंद ने उन्हें युगल और मिश्रित युगल में खिलाना शुरू कर दिया.

इसी दौरान 2013 में इंडियन बैडमिंटन लीग का आयोजन हुआ. श्रीकांत और उस समय दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी किदाम्बी श्रीकांत एक ही टीम में थे. दोनों को एक दिन साथ अभ्यास करते देख ली चोंग वेई के कोच तेई जो बोक को लगा कि श्रीकांत बिलकुल ली चोंग वेई की तरह खेलते हैं.

उन्होंने उसे एकल में खेलने की सलाह दी. वहीं गोपीचंद भी उनके स्पार्क से वाकिफ थे, उन्होंने श्रीकांत को एकल का अभ्यास कराना शुरू कर दिया, जिसका परिणाम आज सभी के सामने है.


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