इन 7 में एक भी पाप करने वाला मुसलमान भी काफिर

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नाम या सरनेम लगाने या फिर हुलिया और पांच सिद्धांतों को मानना ही इस्लाम में काफी नहीं है। भले ही सौ अच्छी बातों को सुना, कहा या पढ़ा जाए, पूरी कुरान कंठस्थ कर ली जाए, लेकिन उन बाताें का नहीं पता जो नहीं करना है, तो सारा किया धरा मिट्टी ही माना जाएगा। (Should Be Considered Kafir)

काफिर को ईमान पर ले आने से सवाब मिलने की उम्मीद होती है, जबकि खुद ऐसे पाप पर पाप करे जा रहे हैं तो कोई फायदा नहीं। मुसलमान तभी सच्चा मुसलमान है, जब वह उन पापों से दूर रहे। यह समस्या नहीं है कि कुछ अच्छा करना भूल गए, क्या नहीं करना है, यह भूल जाना सबसे बड़ी समस्या माना गया है।

क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में किन बातों या हरकतों को सबसे बड़ा पाप माना जाता है! इस्लाम में 7 सबसे बड़े पाप माने जाते हैं, जिन्हें कभी भी माफ नहीं किया जा सकता, चाहे कितनी भी बड़ी दुआ पढ़ ली जाए, कोई भी जतन कर लिया जाए। (Should Be Considered Kafir)

चलिए बिंदुवार बताते हैं कि कुरआन के हिसाब से यह सात सबसे बड़े पाप क्या हैं, जिनको इस्लामिक मान्यताओं के बीच रत्ती भर जगह या छूट नहीं हैं।

1. बहुदेववाद (शिर्क)

यह इस्लाम की बुनियादी शर्त है। कुरान के अनुसार, अल्लाह एक है और उसके बराबर या उस जैसा कुछ भी मानना विनाशकारी पाप है। इस शर्त पर ढुलमुल होना महापाप है, जिसकी कोई माफी नहीं है।

2. सिहर (जादू-पाखंड)

दूसरा विनाशकारी और प्रमुख पाप जादू या पाखंड करना है, जो इस्लाम में सख्त वर्जित है। पाखंड या चमत्कार के नाम पर टोना-टोटका कर लोगों कुदरत के चमत्मकारों से दूर ले जाना और उनको समानान्तर कुछ ताकतों का प्रदर्शन कर भ्रम पैदा करना है। इसके लिए भी कोई माफी नहीं है।

3. किसी की अन्यायपूर्ण हत्या

इस्लाम के अनुसार, किसी की हत्या करना या किसी की जान लेना अन्यायपूर्ण है। यह समाज में हिंसा, अराजकता और अव्यवस्था को बढ़ाता है। इस्लाम निर्दोष लोगों का खून बहाने से मना करता है।

4. रिबा

रिबा धन और वस्तुओं को गलत तरीके से जुटाने का एक शब्द है। साफ शब्दों में सूदखोरी या शोषण करके कमाया गया माल। कुरान और पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इसको बेहिसाब विनाशकारी पाप माना है, जिसकी माफी नहीं है। यहां तक कि यह भी मान्यता है कि सूद खाना अपनी मां के साथ गलत काम करने, अल्लाह और रसूल के साथ जंग करने के बराबर है। (Should Be Considered Kafir)

5. अनाथ का हिस्सा हड़पना

इस्लाम में अनाथों के धन और संपत्ति की दृढ़ता से देखभाल की हिदायत दी गई है। संरक्षक या सहयोगी उस धन का इस्तेमाल हकदार अनाथ की तकलीफ कम करने, शिक्षा-दीक्षा कराने को कर सकते हैं। एक अनाथ के धन-संपत्ति को गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण तरीके से हड़पना इस्लाम में निषिद्ध है, ऐसा करने वाले को कोई माफी नहीं मिल सकती।

6. युद्ध के मैदान से भागना

लगातार विनाशकारी मकसद से हो रहे युद्ध के दौरान इंसाफ के साथ खड़े न होकर युद्ध के मैदान से दूर भागना भी महापाप है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने ऐसे लोगों को गंभीर चेतावनी दी है और इस पाप की भी कोई माफी नहीं है। (Should Be Considered Kafir)

7. महिलाओं पर व्यभिचार का आरोप लगाना

जो लोग चरित्रवान महिलाओं पर व्यभिचार, अवैध संभोग का आरोप लगाते हैं, वे एक तरह से शापित हैं और गंभीर सजा के हकदार हैं। कुरान में इसका भी उल्लेख है। ऐसे लोगों को भी किसी तरह माफी नहीं मिल सकती।


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