भारत में करोड़ों का घोटाला कर बाहर भागे आरोपी, जानिए कितनों को लाना अभी बाकी

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लखनऊ | भारत में 13500 करोड़ के पीएनबी घोटाला कर विदेश भागे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को डोमिनिका देश से लाने की कोशिशें जारी हैं। CBI से लेकर ED जैसी कई एजेंसियों की नजर डोमिनिका में मेहुल चोकसी पर है।

भारत में करोड़ों रुपयों का घोटाला करने के बाद आरोपियों को आसानी से  विदेश में शरण मिलना,दूसरे देशों की नागरिकता मिल जाना यह दर्शाता है कि इस तरह के घोटालेबाज व भगोड़े अपराधियों के लिए दुनियाभर में कई सेफ जगह, जिन्हें सेफ हैवेन कहते हैं, जहां जाकर वह आराम से रह सकते हैं।

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भारत से भागने के बाद एंटीगुआ में शरण लेने, वहां की नागरिकता लेने और अब डोमिनिका में पकड़े जाने के बाद भी चोकसी को वापस भारत लाने में की तरह के अड़ंगों से पता चलता है कि दुनिया में कई सेफ जगह हैं, जो आर्थिक अपराधियों के लिए गढ़ हैं और इन पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का कोई असर नहीं है।

मेहुल चोकसी की तरह ही विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी जैसे कई आरोपी हैं जो देश में घोटालों और आर्थिक अपराध के आरोपी हैं, लेकिन किसी और देश में शरण लेकर आराम की जिंदगी जी रहे हैं।

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भारत की कानून व्यवस्था को हाशिए पर रखकर विदेश फरार होने वाले लोगों की लिस्ट लंबी है।

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी 

साल 2018 के पीएनबी घोटाले के बाद मेहुल चोकसी और नीरव मोदी को फरार हुए करीब 3 साल हो गए हैं। इस घोटाले के खुलासे से कुछ दिन पहले ही जनवरी 2018 में ये दोनों कारोबारी देश छोड़कर जा चुके थे।

नीरव मोदी ने ब्रिटेन में शरण ली और मार्च 2019 में गिरफ्तारी के बाद से वहां की जेल में है। ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि होने के बावजूद नीरव मोदी को लाने की कोशिशें महीनों से लटकी हुई हैं।

कभी वहां की अदालत तो कभी गृह विभाग से उसे राहत मिल जाती है। इसी तरह देश से भागने के बाद मेहुल चोकसी ने कैरेबियाई देश एंटीगुआ की राह पकड़ी और वहां हजारों डॉलर के निवेश के नियम का फायदा उठाकर नागरिकता ले ली।

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विजय माल्या

कुछ ऐसी ही कहानी किंगफिशर के मालिक और कभी कारोबार की दुनिया में किंग ऑफ गुड टाइम्स कहे जाने वाले विजय माल्या की भी है। हजारों करोड़ के लोन गबन के मामले के खुलासे से पहले साल 2016 में माल्या ब्रिटेन भाग गया।

खुलासा हुआ कि माल्या के पास ब्रिटेन की नागरिकता है। ब्रिटेन की अदालत ने 2018 में माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया लेकिन वहां की अदालत में एक के बाद एक याचिकाओं के जरिये माल्या इन कोशिशों को अब तक फेल करता आया है।

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ललित मोदी

इसी तरह, क्रिकेट को आईपीएल जैसे मलाईदार टूर्नामेंट देने वाले ललित मोदी को देश लाने के लिए भी वर्षों से एजेंसियां कोशिश कर रही हैं।

भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपों के बाद 2010 में ललित मोदी ने देश छोड़ दिया था। फिलहाल ललित मोदी ब्रिटेन में है और वापसी की कोशिशें जारी हैं।

RTI से मिली एक जानकारी के मुताबिक पिछले 5 साल में सिर्फ दो आर्थिक अपराधियों को विदेश से लाया जा सका है।

पिछले साल संसद में सरकार ने खुद जानकारी दी थी कि 72 भारतीयों के खिलाफ इस तरह के मामलों की जांच जारी है जिन पर आर्थिक अपराध के आरोप हैं और उन्होंने विदेशों में कहीं और पनाह ले रखी है।

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कैसे मिलती है भगोड़ों को शरण?

भारत ही नहीं कई देशों से भागे हुए लोगों के लिए कुछ देश सेफ हैवेन हैं। सेफ हैवेन ऐसे देशों को कहा जाता है जहां कुछ हजार डॉलर के निवेश के जरिये नागरिकता हासिल की जा सकती है या हवाला के जरिये ले जाकर अपने काले धन का बेधड़क निवेश ये भगोड़े करते हैं।

दो आर्थिक अपराधियों को देश वापस लाया जा सका

पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो इंटरपोल की ओर से भारत के भगोड़े आर्थिक अपराधियों को लेकर 313 रेड नोटिस जारी किए गए जबकि सिर्फ दो आर्थिक अपराधियों को देश वापस लाया जा सका।

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भारत की तुलना में कई देश प्रत्यर्पण संधियों में कहीं आगे हैं। भारत के 58 की तुलना में अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देशों की 100 से अधिक देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां हैं।

यहां तक कि चीन, पाकिस्तान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ भी भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है जिस कारण यहां से अपराध कर चुपके से यह आरोपी पड़ोसी देशों के रास्ते निकल जाते हैं और संधि के अभाव में इन्हें लाना संभव नहीं हो पाता।

पाकिस्तान में शरण पा चुका डॉन दाउद इब्राहिम भी इसका उदाहरण है। भारत में उसके खिलाफ दर्जनों आपराधिक मामले हैं लेकिन पाकिस्तान की सरकार और आर्मी का उसे वहां पूरा संरक्षण मिला हुआ है।

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इन भगोड़ों को वापस लाने में मिली सफलता

  • अंडरवर्ल्ड सरगना छोटा राजन को कई सालों की कोशिशों के बाद नवंबर 2015 में इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित किया गया।
  • अगस्ता केस के सह आरोपी राजीव सक्सेना को कॉरपोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार के साथ 2019 में संयुक्त अरब अमीरात से लाने में सफलता मिली।

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  • अगस्ता केस के बिचौलिए ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन माइकल जेम्स को 2018 में यूएई से प्रत्यर्पित करने में सफलता मिली।
  • फ्रॉड और आपराधिक मामलों में आरोपी मोहम्मद याहया को अक्टूबर 2018 में इंडोनेशिया से लाने में एजेंसियों को सफलता मिली।
  • आतंकी मामलों में वॉन्टेड मंसूर उर्फ फार्रुख टकला को 2018 में यूएई से लाया गया।
  • इसी तरह रोमानिया में नागरिकता ले चुके मरिनो इउ मोहम्मद फार्रूख यासीन को बैंक फ्रॉड केस में मार्च 2018 में निकारागुआ से लाया गया।

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  • हत्या की कोशिश के मामले में वॉन्टेड कुमार कृष्ण पिल्लई को जून 2016 में सिंगापुर से लाया गया।
  • इसी तरह जनवरी 2015 में मर्डर केस के आरोपी जगतार सिंह तारा को थाइलैंड से लाने में एजेंसियों को सफलता मिली।
  • मर्डर, आतंकवाद और बड़े आपराधिक मामलों में कई आरोपियों को देश लाने में एजेंसियों को सफलता मिली है वो भी कई साल की कोशिशों के बाद लेकिन आर्थिक अपराध और करप्शन के आरोपियों को लाने में सेफ हैवेन बाधा बने हुए हैं और एजेंसियों की कोशिशें भी जारी हैं।

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