बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कब तक : बीते 5 सालों में 2021 सबसे खतरनाक रहा, पढ़ें पूरी खबर

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द लीडर। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कम नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही हिंदूओं के देवी देवताओं की मूर्तियां भी तोड़ी गई हैं। हिंसा फैलने के कारण बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव लगातार बना हुआ है. बांग्लादेश में हिंदुओं का लगातार प्रदर्शन जारी है, लोग सड़क पर उतरकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार अल्पसंख्यकों पर निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को कहा कि, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले उसके संविधान में निहित मूल्यों के खिलाफ हैं. यूएन ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की जरूरत है.

बंग्लादेश SC में वकील विनीत जिंदल ने दाखिल की याचिका

वहीं बांग्लादेश में मंदिरों और हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्या का मामले में बंग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने बंग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की है। वकील विनीत जिंदल ने बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा एक स्वतंत्र कमिटी बनाकर मामले की जांच करने की मांग की है।


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पीड़ित हिंदू परिवार को मुआवजा देने की मांग

इसके साथ ही बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का शिकार हुए पीड़ित हिन्दू परिवार को एक लाख का मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा किए जाने की भी मांग की गई है। इसके अलावा बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा है कि, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ लूटमार, हत्या और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराए जा रहे हैं। साथ ही हिंदू महिलाओं के साथ रेप किया जा रहा है।

हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले थमने का नाम नहीं ले रहे

बता दें कि, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान फैली अफवाह के बाद हिंदू समुदाय पर लगातार हो रहे हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इन हमलों में कई मंदिरों और घरों को छतिग्रस्त किया गया है। वहीं, एक अधिकार समूह ने बताया है कि, पिछले नौ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर लगभग 3,721 हमले हुए है। ऐन ओ सलीश केंद्र के अनुसार 2021 पिछले पांच वर्षों में अब तक का सबसे घातक वर्ष रहा है। ढाका ट्रिब्यून ने ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि, इसी अवधि में हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और आगजनी के कम से कम 1,678 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में 18 हिंदू परिवारों पर हमले हुए हैं। अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन हमलों की संख्या इससे भी अधिक हो सकती है, क्योंकि मीडिया केवल उस बड़ी मामलों को कवर करता है जो प्रकाश में आती है।

2014 में अल्पसंख्यकों के 1,201 घरों और प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ हुई

पिछले नौ वर्षों में सबसे खराब स्थिति 2014 में थी जब अल्पसंख्यकों के 1,201 घरों और प्रतिष्ठानों में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की थी। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, राइट्स ग्रुप के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत तक लगभग 196 घरों, व्यापारिक केंद्रों, मंदिरों, मठों और मूर्तियों को भी तोड़ दिया गया था। इस बीच, कोमिला में कुरान की प्रति को अपवित्र किए जाने की अफवाह ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक हमलों की एक श्रृंखला को शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत भी हुई है।


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रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद ने दावा किया है कि हमलों में लगभग 70 लोग घायल हुए हैं, जबकि देश में हाल ही में हुई हिंसा में लगभग 130 घरों, दुकानों, व्यापारिक केंद्रों या मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। हाल ही में सोशल मीडिया पर कुरान को लेकर फैली अफवाह के बाद बांग्लादेश में कई जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। चांदपुर, चटगांव, गाजीपुर, बंदरबन, चपैनवाबगंज और मौलवीबाजार के इलाकों में कई पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की गई। इन झड़पों में कई लोग हताहत भी हुए।

बांग्लादेश में हर साल हिंदुओं पर होते हैं हमले, यूएन ने जताई चिंता

बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार अल्पसंख्यकों पर निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को कहा कि, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले उसके संविधान में निहित मूल्यों के खिलाफ हैं. यूएन ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की जरूरत है. वहीं बांग्लादेश के Ain o Salish Kendra ने बताया है कि, देश में बीते करीब 9 सालों में हिंदुओं को 3,721 घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ झेलनी पड़ी है.


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बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर मिया सेप्पो ने कहा कि, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हालिया हमले, सोशल मीडिया पर लगातार किए जा रहे अभद्र भाषा का प्रयोग संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं और इसे रोकने की जरूरत है. हम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं. हम सभी से समावेशी सहिष्णु बांग्लादेश को मजबूत करने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान करते है. बांग्लादेश में पिछले कई दिनों के घटनाक्रम ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है. सूत्रों ने बताया कि, इस्कॉन सहित सभी समुदाय के नेताओं ने सोमवार शाम ढाका में भारतीय मिशन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी से मुलाकात की.

सोशल मीडिया पर भड़का हिंदू समुदाय का गुस्सा

सोशल मीडिया पर हिंदू समुदाय के लोगों का गुस्सा देखा जा रहा है. एक यूजर्स ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से कहा है कि, यदि हिंदुओं पर हमले को रोका नहीं जा सकता है, तो वह भारत के साथ हिंदू-मुस्लिम विनिमय समझौते के लिए जाएं. हम भारत जाने को तैयार हैं. क्या आप भारत के मुसलमानों को लेने को तैयार हैं? एक अन्य यूजर्स ने कहा है कि, इस बार सबूत है कि यह एक सुनियोजित घटना है.

पिछले एक सप्ताह से भारी तनाव

बांग्लादेश में 13 अक्तूबर से हिंदुओं पर हमले शुरू हुए हैं. पहले अलग-अलग स्थानों पर दुर्गा पंडालों को निशाना बनाया गया था और हिंदुओं पर हमला किया गया था। इसमें चार हिंदुओं की मौत हो गई थी, वहीं 60 से ज्यादा घायल हो गए थे. इसके बाद इस्कॉन मंदिर को भी निशाना बनाया गया और तोड़फोड़ की गई थी. इसके बाद रविवार रात को उपद्रवियों ने रंगपुर के पीरगंज में 65 से ज्यादा हिंदुओं के घरों में आग लगा दी. इस दौरान कम से कम 65 हिंदुओं के घर पर हमला किया गया और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया है. घटना में 20 घर पूरी तरह जल चुके हैं.


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बीते 5 सालों में 2021 सबसे खतरनाक रहा

Ain o Salish Kendra के मुताबिक, बीते करीब 9 सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं को 3,721 घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ झेलनी पड़ी है. ढाका ट्रिब्यून ने आइन ओ सालिश केंद्र की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि, बीते 5 सालों में 2021 सबसे खतरनाक रहा है. इस साल हिंदू समुदाय को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हमले झेलने पड़े हैं. बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्व बीते कुछ सालों में तेजी से मजबूत हुए हैं. जनवरी 2013 और इस साल सितंबर के बीच यानी पिछले नौ वर्षों में बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों ने एक वीभत्स छाप छोड़ी है. प्रमुख अधिकार समूह ऐन ओ सलीश केंद्र के अनुसार, पिछले नौ सालों में हिंदू समुदाय पर 3,721 हमले हुए हैं यानी औसतन 413 प्रति वर्ष हमले किए गए.

हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी के 1678 मामले

ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि में हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और आगजनी के कम से कम 1,678 मामले सामने आए. इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में 18 हिंदू परिवारों पर हमले हुए. हालांकि, जब आंकड़े बताते हैं कि स्थिति में सुधार हो रहा है, तो 2021 पिछले पांच सालों में अब तक का सबसे डरावना साल रहा है. पिछले नौ वर्षों में सबसे खराब स्थिति 2014 में थी जब अल्पसंख्यकों के 1,201 घरों और प्रतिष्ठानों को उपद्रवियों ने तोड़ दिया या आग लगा दी. जबकि वर्ष 2016 आखिरी बार था जब राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने बर्बरता या आगजनी की 300 से अधिक ऐसी घटनाओं की सूचना दी थी. एएसके के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत तक करीब 196 घरों, व्यवसायों या व्यापारिक केंद्रों और मंदिरों, मठों और मूर्तियों में तोड़फोड़ की गई या आग लगा दी गई. इस दौरान करीब सात लोग घायल हो गए.


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तसलीमा नसरीन भी भड़कीं

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले को लेकर लेखिका तसलीमा नसरीन ने हसीना सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर अल्पसंख्यकों पर होने वाले वाले हमले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि, हजारों हिंदू बेघर हो गए हैं, क्योंकि उनके घरों को तोड़ दिया गया या जला दिया गया है जबकि प्रधानमंत्री शेख हसीना आज अपने भाई शेख रसेल की जयंती मना रही हैं. एक अन्य ट्वीट में तसलीमा लिखा है, “दो हिंदू गांवों को जिहादियों ने जला दिया और हसीना बांसुरी बजा रही हैं.” उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा है, ‘लज्जा’ आज भी प्रासंगिक है. गौरतलब है कि लज्जा उपन्यास तसलीमा नसरीन ने लिखा है.

ऐसे हुई आगजनी की घटना

बांग्लादेश में यह हिंसा रंगपुर जिले के पीरगंज में रविवार रात उस समय पहुंची थी जब इलाके के मछुआरों के एक गांव को आगजनी करने वालों के एक समूह ने निशाना बनाया था. रविवार की देर रात लोगों के समूहों ने बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया. रंगपुर में हुए हमलों ने उन घटनाओं की पटकथा का अनुसरण किया जो पहले कोमिला, नोआखली, चटगांव और अन्य क्षेत्रों में सामने आई थीं. गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने मीडिया से कहा, कोमिला में हुई घटना जिसने हिंसा को भड़काया था, कुछ लोगों ने अंतर-सामुदायिक संबंधों को बिगाड़ने और हमारी सरकार को बदनाम करने के लिए साजिश रची थी.


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