Gandhi Jayanti : दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग, बिना ढाल… साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, गांधी जयंती पर बापू को नमन

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द लीडर। देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मना रहा है. आज ही के दिन 1869 में गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था. अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने वाले महात्मा गांधी का पूरा जीवन ही प्रेरणा से भरा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं ने बापू को जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है. महात्मा गांधी की जयंती मौके पर शनिवार को राजघाट स्थित गांधी समाधि पर सर्व-धर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया है. इस खास मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी.


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पीएम मोदी ने महात्मा गांधी को दी जयंती

महात्मा गांधी को जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर पर लिखा कि, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी जन्म-जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि. पूज्य बापू का जीवन और आदर्श देश की हर पीढ़ी को कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने लिखा, ‘गांधी जयंती पर मैं आदरणीय बापू को नमन करता हूं. उनके महान सिद्धांत विश्व स्तर पर प्रासंगिक हैं और लाखों लोगों को ताकत देते हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैं गांधी जयंती पर पूज्य बापू को नमन करता हूं. जबरदस्त इच्छाशक्ति और अपार ज्ञान के धनी एक विशाल व्यक्तित्व ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को अनुकरणीय नेतृत्व प्रदान किया. आइए हम उनकी जयंती पर खुद को ‘स्वच्छता और आत्मनिर्भर भारत’ के लिए फिर से समर्पित करें.’

बता दें कि, अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी दिलवाने वाले और ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि से सम्मानित महात्मा गांधी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। सत्य और अहिंसा के पुजारी गांधी जी ने भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाया था। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टबर 1869 को हुआ था। इसलिए हर साल 2 अक्टूबर को दुनियाभर में ‘गांधी जयंती’ मनाई जाती है, इस दिन को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है।


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आजादी में गांधी जी का महत्वपूर्ण योगदान

आज हम एक आजाद भारत में सांस लेते हैं क्योंकि अंग्रेजों से हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी. देश को आजाद कराने में न जाने कितने लोगों ने अपना जीवन तक न्यौछावर कर दिया था. यहां भी आजादी के लिए लड़ने वाले खासकर दो अलग-अलग विचारधाराओं में बंटे हुए थे. जिनमें से एक तरफ तो वो लोग थे जो कि आजादी को अपनी ताकत के दम पर छीनना चाहते थे तो वहीं कुछ लोग अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आजादी हासिल करना चाहते थे और इन्ही हिंसकवादी में से एक थे राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें हम आम तौर पर महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं. गांधी जी वह व्यक्ति हैं जिन्होंने देश हित के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी और उन्हीं की तरह हजारों वीरों की वजह से हमारा देश 1947 को आजाद हो सका था। आज महात्मा गांधी जी की जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है.

महात्मा गांधी की लिखी हुई कुछ बेहतरीन कवितायें ये है- सत्य अहिंसा के दम से, लेकर गांधी तेरा नाम, हे बापू मेरे, देख गांधी की चाल और बापू देख तेरा हिन्दूस्तान इनमें से एक खास कविता ये है-

”बापू देख तेरा हिंदुस्तान”

बापू देख तेरा हिंदुस्तान
याद रखे तेरी पहचान
नोटों में है तेरी फोटो
वोटों में है तेरा नाम

बच्चे जपते सुबह शाम
नेता भी निकाले काम
सारा देश करे प्रणाम
छिपा तुझ में हिंदुस्तान

आजादी तूने दिलाई
अंग्रेजों को धूल चटाई
ना बम फोड़ा बंदूक चलाई
अंग्रेजी हुकूमत की हुई लड़ाई

तु भारत की गौरव गाथा
तु भारत का है अभिमान
बन भारत का भाग्य विधाता
बना स्वतंत्रता कि तू पहचान


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कौन है महात्मा गांधी ?

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी भले ही पोरबंदर शहर में पैदा हुए थे लेकिन जन्म के कुछ साल बाद ही उनका पूरा परिवार राजकोट में रहने लगा और फिर गांधी जी कि शुरुआती पढ़ाई भी वहीं से हुई थी। 9 साल कि उम्र में पहली बार स्कूल जाने वाले गांधी जी शुरू से ही काफी शरमीले थे। बचपन से ही वह किताबों को अपना दोस्त मानते थे और फिर आगे चलकर महज 13 साल कि उम्र में उनकी शादी उनसे एक साल बड़ी लड़की कस्तूरबा से हो गई। उस समय भारत में शादी काफी छोटे उम्र में ही हो जाया करती थी। जब गांधी जी 15 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया और फिर पिता के निधन के एक साल बाद ही गांधी जी कि पहली संतान हुई लेकिन दुर्भाग्य से जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे कि मृत्यु हो गई थी। इस तरह से गांधी जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी गांधी जी ने खुद को संभाला। उसके बाद 1887 में अहमदाबाद से उन्होंने हाई स्कूल कि पढ़ाई पूरी कि और फिर आगे चलकर कॉलेज कि पढ़ाई पूरी करने के बाद से गांधी जी ने लंदन जाकर लॉ कि पढ़ाई पूरी की। सन् 1888 में गांधी जी दूसरी बार पिता बने और इस वजह से उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूर जाएं लेकिन कैसे भी करके वह चले गए और फिर 1891 में पढ़ाई पूरी करके वह अपने वतन भारत वापस आ गए।

विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद भी भारत आने पर नौकरी के लिए काफी भागा दौड़ी करनी पड़ी। सन् 1893 में दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी नाम के कंपनी में उन्हें नौकरी मिली। इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रिका जाना पड़ा। साउथ अफ्रिका में बिताए गए साल गांधी जी के जीवन के सबसे कठिन समय में से एक था क्योंकि वहां पर उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा हालांकि इन्हीं भेदभाव ने उन्हें इतना सक्षम बना दिया कि वह लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते थे। गांधी जी को 1 साल के लिए ही साउथ अफ्रिका भेजा गया था। लेकिन वहां रह रहे भारतीयों और आम लोगों के हक के लिए वह अगले 20 साल तक लड़ते रहे और इसी दौरान उन्होंने NATAL INDIAN CONGRESS की स्थापना की। अफ्रिका में रहते हुए गांधी जी ने निडर सिविल राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में खुद की पहचान बना ली थी।


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गोपाल कृष्ण गोखले जो कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक सीनियर लीडर थे उन्होंने गांधी जी से भारत वापस आकर अपने देश को आजाद करवाने के लिए लोगों की मदद करने कि बात कही। और फिर 1915 में गांधी जी भारत वापस आ गए। यहां आकर उन्होंने INDIAN NATIONAL CONGRESS ज्वाइन करके भारत की आजादी में अपना सहयोग शुरू कर दिया और फिर कुछ सालों में ही वह लोगों के चहेते बन गए। अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने भारत के लोगों के मन में एकता की गांठ बांध दी। यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग धर्म और जात के लोगों को भी एक साथ लाने का काम किया।

जाने माने आंदोलनकारी महात्मा गांधी चाहे भारत हो या दक्षिण अफ्रिका लगभग स्वतंत्रता आंदोलन में एक अग्रणी व्यक्ति थे। जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अहिंसा का रास्ता चुना… और आंदोलन के जरिए लड़ाई लड़ी….. आइए अब एक नज़र डालते हैं गांधी जी के मुख्य आंदोलनों पर…

चंपारण सत्याग्रह

चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।


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खेड़ा आंदोलन

जब गुजरात का एक गाँव खेड़ा बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया, तो स्थानीय किसानों ने शासकों से कर माफ करने कि अपील की। यहां गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जहां किसानों ने करों का भुगतान न करने का संकल्प लिया। उन्होंने ममलतदारों और तलतदारों के सामाजिक बहिष्कार की भी व्यवस्था की। जिसके कारण 1918 में सरकार ने अकाल समाप्त होने तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों में ढील दी।

असहयोग आंदोलन

महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।


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नमक सत्याग्रह

ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ महात्‍मा गांधी ने नमक सत्‍याग्राह शुरू किया था, महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था। बता दें कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है। दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।

दलित आंदोलन

देश में फैले छुआछूत के विरोध में महात्मा गांधी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। यह आंदोलन पूरे देश में इस तरह फैला कि देश में काफी हद तक छुआछूत खत्‍म हो गई। इसके बाद गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी।

भारत छोड़ो आंदोलन

महत्‍मा गांधी ने अगस्त 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, इस आंदोलन के कारण भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर किया गया। इसके साथ ही एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी आरंभ किया गया, इस आंदोलन के कारण ही देश के आजादी की नींव पड़ी।


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देश को आजादी दिलाने के बाद 30 जनवरी 1948 को गांधी जी पूरी दुनिया को अलविदा कहकर चले गए। और आज देश महात्मा गांधी की 152वीं जयंती बना रहा है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन कर रहा है।

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