महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के 5 ठिकानों पर ED की छापेमारी

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द लीडर हिंदी,मुंबई | महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के पांच ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम छापेमारी कर रही है.

जानकारी मिली है कि मुंबई के चार ठिकानों और एक नागपुर के ठिकाने पर ईडी तलाशी अभियान चला रही है. अधिकारियों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (PLMA) के प्रावधानों के तहत देशमुख के आवास पर तलाशी ली जा रही है.

ED की टीम भारी संख्या में पुलिस और केंद्रीय पुलिस बल के साथ देशमुख के आवास पर पहुंची, जिससे मामले में और कड़ी कार्रवाई की अटकलें तेज हो गईं.

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4 जगह मुंबई में और 1 जगह नागपुर में ED की रेड

  1. ज्ञानेश्वरी बंगलो, सरकारी निवास
  2. सुखदा टावर, वरली निजी निवास
  3. कुंदन शिंदे , देशमुख के PA
  4. संजीव पलांडे, देशमुख के PS
  5. नागपुर निजी निवास

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अनिल देशमुख इस वक्त ED अधिकारियों की निगरानी में हैं. देशमुख 12.25 बजे वर्ली के अपने आवास पहुंच गए. पिछले महीने मुंबई के 10 बड़े बार मालिकों ने अनिल देशमुख को 4 करोड़ रुपए देने की बात कही थी.

इस पैसे के लेंन देन संबंधी जानकारी ED को मिली है इसी आधार पर रेड की गई है. वहीं मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर पुलिस के जरिए हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का आरोप लगाया है.

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भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई भी देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की जांच कर रही है.

हाल ही में सीबीआई ने बंबई हाईकोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र सरकार राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच में एजेंसी के साथ ‘सहयोग नहीं’ कर रही है. देशमुख भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

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क्या है पूरा मामला

परमबीर सिंह ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने और राज्य होम गार्ड का डीजी बनाए जाने के बाद 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था.

सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कुछ पुलिस अधिकारियों को हर महीने मुंबई के बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था.

इस पूरे मामले की जांच के लिए सरकार ने एक आयोग का गठन किया था. इस पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि समिति को न्यायिक आयोग नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसे जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत शक्तियां नहीं दी गई हैं. इसके बाद सरकार ने आयोग को सिविल कोर्ट की शक्तियां दे दी थी.

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