बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले फादर स्टेन स्वामी का निधन

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Father Stan Swamy Dies Before Hearing Of Bail In Bombay High Court
फादर स्टेन स्वामी. फोटो साभार ट्वीटर

द लीडर : आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी, (Father Stan Swamy Dies Before Hearing ) जोकि भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोप में जेल में बंद थे. सोमवार को जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले दोपहर करीब 1:30 बजे उनका निधन हो गया है. होली फैमिली अस्पताल के डॉक्टर डिसूजा, जो उनका उपचार कर रहे थे, ने अदालत को बताया कि, ” भारी मन से आपको सूचित करना पड़ रहा है कि फादर स्टेन स्वामी का निधन हो गया है. शनिवार को वह कार्डियक अरेस्ट में चले गए थे. उन्हें दोबारा होश में नहीं लाया जा सका. ”

फादर स्टेन स्वामी 31 दिसंबर-2017 को एल्गार परिषद की ओर से भीमा कोरेगांव में आयोजित कार्यक्रम में आरोपी हैं. नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी एनआइए का दावा है कि कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण से 1 जनवरी 2018 को हुए कार्यक्रम में हिंसा भड़की थी. जिसमें बड़े पैमाने पर आग्जनी, हिंसा हुई थी. इसमें कई लोगों को माओवादियों से संपर्क के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.


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करीब 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी हालत के मद्​देनजर देश-दुनिया के मानवाधिकार, सामाजिक संगठन रिहाई के पैरोकार थे. और उन्हें बंद रखे जाने पर चिंताएं व्यक्त कर रहे थे. ्र

सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में दोपहर 2:30 बजे उनकी जमानत याचिका पर विचार किया गया. स्वामी की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मिघिर देसाई ने अदालत से कहा कि, उनका उपचार करने वाले डॉ. कुछ कहना चाहते हैं. इसके बाद डॉक्टर ने अदालत से उनके निधन की खबर साझा की.


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हाईकोर्ट को दो सदस्सीय पीठ, जिसमें जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बैंच ने कहा-हम स्तब्ध हैं. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने कहा, हमारे आदेश पर पूरी विनम्रता के साथ हमें ये जानकर खेद है कि उनका निधन हो गया. हमने पहले ही दिन उनके अस्पताल में भर्ती होने के आदेश पारित किए थे.

एनआइए ने किया था जमानत का विरोध

नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी-एनआइए ने फादर स्टेन स्वामी की जमानत का विरोध किया था. इस तर्क के साथ कि उनकी बीमारी के कोई पुख्ता सबूत नहीं है. एजेंसी ने उनके बारे में भी माओवादी होने की बात कही थी. इस संबंध पिछले महीने ही जांच एजेंसी ने अदालत में एक हलफनामा दायर किया था.

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