पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन

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द लीडर देहरादून।

देश के जानेमाने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का 94 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के कारण उनका पिछले 12 दिन से एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा था। इससे पहले भी पिछले काफी समय से वे बीमार ही थे। वह डायबिटीज के पेशेंट थर और उन्हें कोविड के साथ ही निमोनिया भी हो गया था। वह सिपेप पर थे और उनका ऑक्सीजन लेवल 86 प्रतिशत पर था।  21 मई की दोपहर 12 बजकर पांच मिनट पर उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विश्व ने अपने शोक से देश में कहा कि चिपको आंदोलन को जन जन का आंदोलन बनाने वाले श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन न केवल उत्तराखंड और भारतवर्ष, बल्कि समस्त विश्व के लिये अपूरणीय क्षति है। सामाजिक सराकारों व पर्यावरण के क्षेत्र में आई इस रिक्तता को कभी नहीं भरा जा सकेगा।
गौरा देवी के चिपको आंदोलन को जनांदोलन वाले पर्यावरणविद,  पदमविभूषण और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म नौ जनवरी 1927 को टिहरी जिले में भागीरथी नदी किनारे बसे मरोड़ा गांव में हुआ। उनके पिता अंबादत्त बहुगुणा टिहरी रियासत में वन अधिकारी थे।13 साल की उम्र में अमर शहीद श्रीदेव सुमन के संपर्क में आने के बाद उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। सुमन से प्रेरित होकर वह बाल्यावस्था में ही आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। उन्होंने टिहरी रियासत के खिलाफ भी आंदोलन चलाया।
बाद में वह लाहौर चले गए और वहीं से बीए किया। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए। उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उत्तराखंड में बड़े बांधों के विरोध में उन्होंने काफी समय तक आंदोलन भी किया। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उन्हें पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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