सावधान ! कोरोना काल में बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाओं का न करें सेवन

लखनऊ। कोरोना वायरस नए-नए रूप लेकर लगातार सामने आ रहा है. और कोरोना का ये नया रूप बेहद खतरनाक माना जा रहा है. जिसको लेकर अब आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. वहीं कोरोना काल में बिना डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयां नहीं खानी चाहिए.

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इन दिनों ज्यादा देखा जा रहा है कि, कोरोना से बचाव के लिए लोग खुद ही दवाइयां खरीदकर ऐसे ही खा रहे है. वह भी बिना डॉक्टरी सलाह के. जिस कारण लोग ज्यादा बीमार हो है.

दवाइयों का ज्यादा सेवन पहुंचाता है नुकसान

डॉक्टरों का कहना है कि, मरीज कोविड-19 के नाम से दवा जैसे आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लेरेक्वीन का इस्तेमाल बीमारी को रोकने के लिए कर रहे है. लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयों का इस्तेमाल आपके शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है.

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दवा क्या है और कैसे बनाई जाती है?

दवा केमिकल या यौगिक होते हैं जिसका इस्तेमाल रोकथाम, इलाज, बीमारी की पहचान पर लक्षणों को हल्का करने में किया जाता है. दवाइयों के विकास ने डॉक्टरों को बहुत सारी बीमारियों का इलाज करने और जिंदगी बचाने में सक्षम बना बना दिया है. ये दवाएं विभिन्न स्रोतों से आती है.

कुछ दवाइयां विभिन्न प्रकार के केमिकल मिलाए जाते है

कुछ दवाइयों का विकास प्रकृति में पाए जानेवाले घटक से हुआ, और यहां तक कि आज भी बहुत लोग पौधों से अर्क निकालते हैं. कुछ दवाइयां विभिन्न प्रकार के केमिकल को एक साथ मिलाकर तैयार की जाती हैं. कुछ को आनुवांशिक रूप से बैक्टीरिया में जीन दाखिल कर वांछित घटक बनाया जाता है.

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सेहत की चिंता है तो दवाइयों को लेने से बचें

लेकिन, अगर आप अपनी सेहत की चिंता करते हैं, तो इन दवाओं को लेने से बचें क्योंकि उससे समस्या पैदा हो सकती है. अगर आपको दवाई लेने की जरूरत पड़े तो आप डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई लें.

डॉक्टरी सलाह के बिना इन दवाइयों का न करें प्रयोग

रेमडेसिविर- रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल घरेलू इस्तेमाल के लिए नहीं है. उसे सिर्फ अस्पताल के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए. कोविड-19 के मध्यम या गंभीर लक्षण में पूरक ऑक्सीजन के जरूरतमंदों को रेमडिसिविर का इंजेक्शन लगाया जाता है.

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स्टेरयॉड्स- स्टेरयॉड्स जैसे डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल अस्पताल में सिर्फ नाजुक या गंभीर स्थिति के लिए है. 60 साल से ज्यादा समय से बाजार में उपलब्ध है. आमतौर पर सूजन कम करने के लिए उसका उपयोग होता है. इसलिए, खुद से दवा को निर्धारित न करें.

एंटीकोआगुलंट्स- ये दवाइयां क्लॉटिंग को कम करती हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर की सिफारिश पर मध्यम या गंभीर मामलों में दी जाती है. रसायनिक पदार्थ एंटीकोआगुलंट्स यानी आमतौर पर ब्लड पतला करने के रूप में जाना जाता है, जो रक्त के जमाव को रोकते हैं या कम करते हैं, थक्के के समय को बढ़ाते हैं.

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टोसिलिजुमैब- इम्यूनोसपरसेंट का मतलब सिर्फ गंभीर या नाजुक स्थिति के लिए होता है. स्टेरयॉड्स दिए जाने के 24-48 घंटे बाद मरीज की स्थिति में कोई सुधार न होने पर ये दवा दी जाती है.

indra yadav

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