अपने बुनियादी मसलों पर एक होकर आवाज़ उठाना चाहते हैं 98 फीसदी देवबंदी और बरेलवी

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Deobandi Bareilvi Muslim Issues
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी-जिनका ताल्लुक देवबंद है, दूसरी तस्वीर नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां हैं, जो बरेलवी विचारधारा के हैं.

द लीडर : इस्लाम एक है. कुरान और पैगंबर भी लेकिन मुसलमान कितने ही फिरकों में बंटे हैं. ये आप जानते हैं. देवबंदी और बरेलवी विचार के बीच मतभेद जगजाहिर है. इस कदर कि किसी भी मुद्​दे पर ये एक साथ नहीं बैठ सकते. फिर चाहे कुरान या पैगंबर-ए-इस्लाम से जुड़ा मुद्​दा ही क्यों न हो. हां, दोनों फिरके अपने-अपने मंच से दीन पर जब कोई आंच आती है तो पूरी ताकत के साथ विरोध जरूर दर्ज कराते हैं. (Deobandi Bareilvi Muslim Issues)

अब जब जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने मुसलमानों के बुनियादी मुद्​दों पर बरेलवियों की कयादत कुबूल किए जाने को लेकर हाथ बढ़ाया है और नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां ने मौलाना मदनी की इस पहल का दिल खोलकर स्वागत किया तो देवबंद और बरेलवी दोनों फिरकों के मानने वाले खुशी से झूम उठे. वे इस रिश्ते को कुबूल कर, एक मंच से मुस्लिम समाज की समस्याओं पर आवाज उठाने की हिमायत कर रहे हैं. इसका अहसास द लीडर के पास पहुंचे कमेंट्स करा रहे हैं.

21 नवंबर को द लीडर ने मौलाना महमूद मदनी के बयान और उस पर मौलाना तौकीर रजा के जवाब के साथ स्टोरी चलाई थी. पिछले पांच दिनों में इस वीडियो पर जो कमेंट आए हैं, उसमें 98 फीसदी लोगों ने फिरकों से ऊपर उठकर मुसलमानों के एक होने की जरूरत जताई है. (Deobandi Bareilvi Muslim Issues)


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इन कमेंट को स्टडी करने से साफ होता है कि सभी फिरकों के मानने वाले मुसलमान अपने समाज के बीच एका चाहते हैं. स्पष्ट मत के साथ कि समाज के जरूरी मुद्​दों पर एक होकर बोला जाए. जहां तक फिरकों की बात है तो जिसका जो मत है, उस पर कायम रह सकते हैं. ऐसे ही कुछ लोगों की राय को हमने यहां पेश किया है. पढ़िए क्या चाहते हैं मुसलमान.

सीखो रॉक्स यूजर दुआ करते हैं-”ऐ मेरे रब, सभी मसलक मिटा दे.”

वली अहमद ने कहा-”सर जोड़कर बैठें उलमा और मुल्क व कौम के लिए कोई जबदस्त फैसला लें.”

सैफ शेख कहते हैं-”आज मुसलमानों को एक होकर लड़ने की जरूरत है.”

अनवर हुसैन कहते हैं-”ये बहुत नेक और अच्छा कदम है. क्योंकि फिरकापरस्ती कोरोना और परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक है, जो मुसलमानों को अंदर ही अंदर खा रही है.”

इब्राहीम आब्दी का मानना है कि, ”वक्त और हालात को देखते हुए सभी मुसलमानों में इत्तेहाद यानी एकता जरूरी है.”

नफीस खान कहते हैं-”अल्लाह की राह एक है. हम सब मिलकर नबी की सुन्नत बचाएं. हम पहल पर आपका स्वागत करते हैं.”

अनीस अहमद ने कहा-”या अल्लाह तमाम मसलकों को अपनी-अपनी जगह पर रहकर, दुनियावी मसलों पर एक साथ रहने की तौफीक अता फरमा.”

अब्दुल रज्जाक इस सोच को मुबारकबाद देते हैं. कहते हैं-देर से आए, दुरुस्त आए. अल्लाह के वास्ते हम एक हो जाएं. फिरकापरस्ती अपनी जगह है. सब एक-दूसरे के लिए जिओ.

एजाज खान कहते हैं-”हमारे नबी पाक ने इस्लाम दिया था. और आज हमने अलग-अलग नाम बना लिए. बस, अपने दुनियावी फायदे के लिए. कृप्या इस्लाम को फालो करो. और गर्व से कहो हम मुसलमान हैं. एक रहो, खुद को केवल मुसलमान कहो.”

खान किंग नामक यूजर लिखते हैं-”सब एक और नेक हो जाओ मेरे भाई-बहनों. जुल्म को रोकने का हुक्म इस्लाम में है.”

हुसैन खान लिखते हैं-”मुसलमान भाईयों को एक ही तो होना है. कोई मसलक नहीं, सिर्फ और सिर्फ मुसलमान बन जाओ. अल्लाह हमें कामयाबी दे.”

मुहम्मद नासिर कहते हैं-”पहले हम सब मुसलमान हैं-बाद में मसलक.”

फहीम अख्तर लिखते हैं-”कृप्या आगे बढ़कर स्वागत कीजिए. मतभेद किनारे रखिए, वरना आने वाली नस्लें हमें माफ नहीं करेंगी. जब जागे, तभी सवेरा.”

रईस अहमद कहते हैं-”कौम में तभी इत्तेफाक होगा, जब एक साथ बैठेंगे. हम एक-दूसरे को बुरा या गलत न कहें.”

सय्यद अफजाल लिखते हैं-”मैं बरेलवी हूं. और इस बात पर पूरी तरह से सहमत हूं कि उम्मत के लिए एक होना जरूरी है.”

निसार अहमद ने लिखा-”बहुत अच्छी बात है, हमारे तो दिल की बात पूरी हो रही है, सब भाई एक साथ खड़े हो रहे.”

एचएमएस यूपी ने इस तरह से कहा- मेरे अल्लाह हिदायत दे दे दोनों मसलक के लोग एक दूसरे की इज़्ज़त करें. (Deobandi Bareilvi Muslim Issues)

 

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