दिल्ली दंगा 2020 : आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता को मिली जमानत

द लीडर : दिल्ली दंगों की साजिश में बंद नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवंगाना कलिता को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. अदालत ने अपने आदेश में तीनों से पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा है. ये भी निर्देशित किया है कि वे ऐसी किसी गतिविधि में शामिल न हों, जो जांच में बाधक बने.

ये तीनों छात्र हैं. जो पिछले साल दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में गिरफ्तार हुए थे और तब से जेल में हैं. आसिफ इकबाल तन्हा दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से बीए अरबिक भाषा के छात्र हैं. जबकि देवंगाना कलिता और नताशा नरवाल जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU)की पीएचडी स्कॉलर हैं.


इसे भी पढ़ें आसिफ इकबाल तन्हा का कुबूलनामा मीडिया में लीक होने की जांच रिपोर्ट पर हाईकोर्ट की दिल्ली पुलिस को फटकार


 

नताशा और देवंगाना, महिलाओं के मुद्​दों को आवाज देने के लिए गठित पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं. पिछले दिनों ही नताशा के पिता और वैज्ञानिक महावीर नरवाल का देहांत हो गया था. तब तनाशा पैराल पर जेल से बाहर आई थीं. हाल ही में पैरोल खत्म होने के बाद वह जेल लौटीं.

पैरोल खत्म होने के बाद जेल के दरवाजे पर कुछ इस तरह हौसला दिखातीं नताशा नरवाल. फोटो साभार ट्वीटर

नताशा और देवंगाना पर पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगें की साजिश रचने के आरोप हैं. इसमें नताशा और देवंगाना पर महिलाओं को एकत्रित करके उन्हें तय स्थल पर लाने का आरोप शामिल है. दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनिम (UAPA) के तहत इनके विरुद्ध कार्रवाई की गई थी. इसी मामले से जुड़ी एफआइआर 59 में उन्हें जमानत मिली है.

पिछले एक साल से ये तीनों जेल में हैं और लंबी सुनवाई के बाद इन्हें अदालत से राहत मिली है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने 50 हजार रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत दी है. बता दें कि दिल्ली दंगा-2020 में जामिया और जेएनयू के कई छात्रों को आरोपी बनाया गया था. इसमें कुछ को पहले जमानत मिल चुकी है. अन्य अभी भी बंद हैं.


इसे भी पढ़ें – उमर खालिद समेत यूएपीए के तहत बंद अन्य आरोपियों को जेल में मिलेगी चार्जशीट की सॉफ्ट कॉपी


 

जेएनयू के पूर्व छात्रनेता और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के उमर खालिद भी दिल्लद दंगों की साजिश के आरोप में जेल में हैं. उमर को कई मामलों में जमानत भी मिल गई है. लेकिन कुछ मामलों पर अभी सुनवाई जारी है. इस सबके बीच जेएनूय, जामिया के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से इनकी रिहाई की आवाज उठती रही है.

स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन-एसआइओ ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. एसआइओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद सलमान अहमद ने कहा कि सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान युवा नेतृत्व को कुचलने के लिए छात्र और एक्टिविस्टों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था.

हमें ख़ुशी है कि माननीय उच्च न्यायालय ने युवा नेतृत्वकर्ताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को खोखला क़रार दिया. उम्मीद है कि यह फ़ैसला कठोर क़ानूनों के तहत निर्दोष व्यक्तियों की लंबी और अन्यायपूर्ण क़ैद पर अंकुश लगाने में एक मिसाल बनेगा.

Ateeq Khan

Related Posts

बरेली के क़ातिलाना हमले में क्यों सुनाई उम्र क़ैद की सज़ा?

द लीडर हिंदी: क़ातिलाना हमले के मामले में उम्र क़ैद की सज़ा उमूमन नहीं होती. ऐसा फ़ैसला बहुत कम केसेज़ में देखने को मिलता है. यूपी के ज़िला बरेली में…

बरेली में वारदात अंजाम देने जा रहे चार बदमाशों को पुलिस ने मुठभेड़ में दबोचा

यूपी में बरेली पुलिस की वारदात की फिराक में निकले बाइक सवार बदमाशों से मुठभेड़ हो गई.