आसिफ इकबाल तन्हा का कुबूलनामा मीडिया में लीक होने की जांच रिपोर्ट पर हाईकोर्ट की दिल्ली पुलिस को फटकार

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Asif Iqbal Tanha Delhi Police
पिछले साल फरवरी में दिल्ली में भड़के दंगों की फाइल फोटो. साभार ट्वीटर

द लीडर : दिल्ली दंगा आरोपियों के कुबूलनामे (Statements) मीडिया में लीक होने और उसके ट्रायल (Media Trial) की जांच रिपोर्ट पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने पुलिस को जमकर लताड़ लगाई है. ये कहते हुए कि ये जांच रिपोर्ट ‘अधपकी और कागज के बेकार टुकड़े के समान है.’ हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट पर स्पष्टीकरण देने के लिए विजिलेंस के कमिश्नर को 5 मार्च को अदालत में तलब किया है. (Asif Iqbal Tanha Delhi Police)

दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, दिल्ली दंगें के आरोप में जेल में बंद हैं. एफआइआर 59 के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई थी.

दिल्ली दंगों की फाइल फोटो, साभार ट्वीटर.

इसके साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) कार्रवाई शामिल है. इसी एफआइआर में जेएनयू के पूर्व छात्रनेता उमर खालिद का भी नाम है, जिसमें वे जेल में बंद हैं. पिछले साल आसिफ इकबाल ने पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था.

आसिफ का ये कबूलनामा मीडिया में लीक हो गया. एक न्यूज चैनल समेत अन्य पोर्टल पर कथित रूप से गलत तरीके से खबर चलाई गई थी. इस मीडिया ट्रायल के खिलाफ आसिफ कोर्ट गए और याचिका दायर की.


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जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को जांच करने के निर्देश दिए थे. ये पता लगाने के लिए कि आसिफ इकबाल का कुबूलनामा मीडिया में कैसे लीक हुआ? कोर्ट ने पुलिस के साथ संबंधित न्यूज चैनल को भी नोटिस भेजा था.

पुलिस ने इसी मामले की जांच रिपोर्ट अब कोर्ट में पेश की है. मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस जांच रिपोर्ट को देखा और सख्त टिप्पणी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई है. चूंकि जांच हाईकोर्ट की निगरानी में हुई थी.

इसके बावजूद रिपोर्ट में कई अहम पहलू शामिल नहीं थे. हालांकि पुलिस ने अपने बचाव में कोर्ट को अवगत कराया कि इकबाल के बयान की रिपोर्ट दिल्ली सरकार के साथ गृहमंत्रालय को भी भेजी गई थी. और पुलिस के स्तर से बयान लीक नहीं हुए हैं.

आसिफ इकबाल ने ये उठाए थे सवाल

आसिफ इकबाल तन्हा ने कबूलनामा, मीडिया में लीक होने पर कोर्ट में कहा था कि ये निष्पक्ष जांच पर प्रभावित कर सकता है. दूसरा उनकी छवि भी खराब हो रही है. इससे पहले उमर खालिद भी अपने बयान के मीडिया में लीक होने के मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं.


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एक अन्य आरोपी खालिद सैफी के मामले में भी ये बयान लीक होने का मामला सामने आ चुका है. यानी दिल्ली दंगा मामले की जांच में मीडिया ट्रायल समय-समय पर सामने आता रहा है और पुलिस की अदालत में किरकिरी होने का सिलसिला बना है.

दिल्ली में पिछले साल फरवरी में दंगे भड़क गए थे. इसमें करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे. इस प्रकरण में जामिया, जेएनयू समेत अन्य शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं, सामाजिक कार्यकर्ता जेल में बंद हैं.

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