नई दिल्ली। कोरोना वायरस कितनी तेज़ी से फैल रहा है, इसको परखने के कई पैमाने हैं जिनमें से एक रिप्रोडक्शन नंबर (R) है. इसके अनुसार, ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में सबसे तेज़ी से कोरोना वायरस अपने पैर फैला रहा है.
एक व्यक्ति इतने लोगों को कर रहा संक्रमित
कोरोना वायरस ने बीते कुछ दिनों में भारत में जिस तरह से अपने पैर फैलाए हैं, उसने हर किसी का ध्यान खींचा है. करीब दो हफ्तों तक कोरोना के आंकड़ों को ट्रैक करने के बाद ये पता चलता है कि, उत्तर प्रदेश में रिप्रोडक्शन नंबर 2.14, झारखंड में 2.13 और बिहार में 2.09 है. यानी इस जगह पर एक व्यक्ति औसतन इतने लोगों को संक्रमित कर रहा है.
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आंकड़ों के अनुसार, यूपी में अगर एक व्यक्ति को कोरोना हो रहा है, तो वह दो से ज्यादा लोगों को संक्रमण फैला रहा है. अगर R वैल्यू एक से अधिक है, तो वायरस तेज़ी से फैल सकता है और कम है तो ये काबू में हो सकता है. बता दें कि, इस वक्त देश में R वैल्यू का औसत 1.32 है, यानी यूपी-झारखंड और बिहार राष्ट्रीय औसत से भी आगे चल रहे हैं.
क्या है R रेट ?
इसे R नॉट भी कहते हैं, जिसका मतलब है रिप्रोडक्टिव रेट. इसे इस बात की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है कि, एक कोरोना मरीज अपनी बीमारी कितने लोगों तक फैला सकता है. एक्सपर्ट इसकी मदद से ये समझना चाह रहे हैं कि कोरोना संक्रमण कितनी तेजी से और कितनी दूर तक पहुंच सकता है. इसकी मदद से ही लॉकडाउन के नए नियम तय हो सकते हैं या फिर उसमें ज्यादा सख्ती या ढिलाई दी जा सकती है. जैसे अगर किसी वायरस का R रेट तीन है तो इसका मतलब है कि मरीज इसे तीन लोगों तक फैलाएगा. हालांकि R रेट से ये पता नहीं लगता है कि ये कितना घातक हो सकता है.
यूपी-बिहार-झारखंड में डराने वाला है आंकड़ा
चेन्नई के मैथमैटिकल साइंस इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर सिन्हा के मुताबिक, भारत में अभी जो R वैल्यू (1.3) है, वो पिछले साल मार्च (1.92) और अप्रैल (1.53) के मुकाबले कम ही है. पिछले साल अप्रैल के बीच में भारत में ये घटकर 1.29 तक पहुंच गई थी.
यूपी-झारखंड-बिहार में बढ़ रहे मामले
अगर साप्ताहिक औसत को देखें, तो इस वक्त यूपी में हर दिन 3000 केस दर्ज हो रहे हैं. ऐसे ही झारखंड के साथ है, जहां पर इस वक्त 870 केस प्रतिदिन आ रहे हैं, जो वहीं पिछले महीने सिर्फ 45 केस का औसत था. बिहार में इस वक्त 732 केस हर रोज़ आ रहे हैं, मार्च में ये आंकड़ा 31 केस का था यानी एक महीने में 24 गुना मामले बढ़ गए हैं.
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तीनों ही राज्यों का आंकड़ा दिखाता है, कि यहां पर R-वैल्यू फिर लॉकडाउन की शुरुआत वाली जगह पहुंच रहा है. पिछले साल लॉकडाउन की शुरुआत के वक्त जैसे मामले फैल रहे थे, अब वही रफ्तार आती दिख रही है. जब 2020 में लॉकडाउन को बढ़ाया गया, तो मामलों में कमी देखी गई थी.