ज्योति एस हरिद्वार।
हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व कुम्भ के दूसरे शाही स्नान में सोमवती अमावस्या पर अलग भव्यता रहीं। रथों में सवार प्रमुख संत एक एक कर अपने अखाड़ों के साथ ब्रह्मकुंड की तरफ बढ़े । नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र बीर विक्रम शाह के लिए निरंजनी अखाड़े के महंत कैलाशानंद के रथ में स्थान सुरक्षित था। घाट पर हर हर महादेव के नारों के साथ डुबकियां, और खास कर नागा साधुओं का जोश देखते ही बनता था। इस बार 13 अखाड़े 7 जुलुसों में आये।
सबसे पहले निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि हरकी की पैडी ब्रह्मकुंड पर सोमवती अमावस्या का शाही स्नान करने पहुंचे तो उनके साथ नेपाल की पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र बीर विक्रम शाह भी थे।
उनके बाद जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े एक साथ पहुंचे। किन्नर अखाड़ा इस बार भी जूना अखाड़े का हिस्सा बन कर ही शाही स्नान क़रने आया।
इस तरह बारी बारी से अखाड़े स्नान कर वापस जा रहे हैं।
श्रद्धालु सोमवती अमावस्या स्नान पर पुणे लाभ कमाने को हरकी पैड़ी समेत आसपास के गंगा घाटों पर पहुंचने लगे थे। श्रद्धालुओं की आस्था के आगे कोरोना संक्रमण का खौफ कहीं नहीं दिखा। हरकी पैड़ी पर रात 12 बजे के बाद से ही सोमवती अमावस्या का स्नान शुरू हो गया था। पर, इसमें तेजी आई ब्रह्ममूहुर्त के बाद ।इसके हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान का क्रम ओर तेज हो गया। जैसे ही पांच बजे तो पुलिस भी अलर्ट हो गई। और अखाड़ों के शाही स्नान के तय समय को देखते हुए हरकी पैड़ी को आरक्षित करने का सिलसिला शुरू किया गया। हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को एक-दो डुबकी लगाने के बाद दूसरे गंगा घाटों पर भेजना शुरू किया गया।
इस बार लाइव प्रसारण
सुबह 9.00 बजे से सायं 4.00 बजे तक लाईव कवरेज कर दूरदर्शन के नेशनल चैनल एवं ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रसारण हो रहा है। ताकि देश-दुनिया के लोग घर बैठे कुम्भ स्नान का साक्षात्कार कर सकें।
लाईव प्रसारण की क्लीन फीड को सेटेलाईट फ्रीक्वेंसी GSat17 3820mhZ SR 4.25 से डाउनलिंक कर प्राप्त किया जा सकता है। सभी मीडिया प्लेटफार्म इस लाईव फीड का निःशुल्क उपयोग कर सकते हैं।
कुम्भ मेला की लाईव कवरेज एवं प्रसारण को लेकर सूचना विभाग एवं दूरदर्शन के द्वारा अपनी तैयारियों को अंतिम रूप किया जा चुका है। दूरदर्शन के दिल्ली, देहरादून, लखनऊ, अहमदाबाद, रांची आदि केन्द्रों से लगभग 200 कर्मी हरिद्वार पहुंच चुके हैं। जो हरकी पैड़ी सहित मेला क्षेत्र के प्रमुख स्नान घाटों, अखाड़ो, पमुख स्थानों से कुम्भ मेला की विभिन्न रूप छवियों को लोगों के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे।