द लीडर, मुंबई: जैसे-जैसे दुनिया में रहमत बनाकर भेजे गए पैगंबर-ए-इस्लाम की विलादत यानी ईद मिलादुन्नबी का दिन क़रीब आ रहा है, जुलूस निकालने की इजाज़त को लेकर मुस्लिम गलियारों में बेचैनी बढ़ रही है. बरेली की बात करें तो यहां भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है. जुलूसे मुहम्मदी निकलेगा तो उसकी रूपरेखा क्या होगी. कितने लोग शामिल हो सकेंगे. इस संबंध में बैठक बुलाई थी लेकिन दरगाह आला हज़रत और जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों के पदाधिकारी नाराज़ होकर कलेक्ट्रेट से वापस आ गए. इसलिए क्योंकि एक सीनियर पीसीएस अफसर ने बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे लोगों से कह दिया कि इतनी फौज लेकर आने की क्या ज़रूरत थी. बहिष्कार के सबब बैठक टल गई. अभी फिर से नहीं हो सकी है. उससे पहले यह मामला मुम्बई में भी विवाद का सबब बन गया है.
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ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को लेकर दरगाह आला हज़रत से जुड़े संगठन रज़ा एकेडमी की गुरुवार को सुन्नी बिलाल मस्जिद छोटा सोनापुर में बैठक हुई। जिसमें आल इंडिया सुन्नी जमीयत उलमा के अध्यक्ष मौलाना मोईनउद्दीन अशरफ और एकेडमी के प्रमुख मुहम्मद सईद नूरी ने भी हिस्सा लिया। बैठक में करीब 60 संगठनों के नेता भी शरीक हुए। जुलूस की अनुमति नहीं दिये जाने को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की गई। कहा गया कि सरकार ने बाजार, शॉपिंग मॉल, सार्वजनिक स्थान, मस्जिद और मंदिर भी खोल दिए हैं। इसी तरह जुलूस को निकालने की अनुमति देनी चाहिए। कोरोना वायरस को लेकर सभी चिंतित हैं. इससे बचने के उपाय भी किए जा रहे हैं। सरकारी दिशानिर्देश का पूरा पालन करते हुए जुलूस निकालेंगे।
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इस मौके पर मुहम्मद सईद नूरी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को ईद मिलादुन्नबी के जुलूस निकालने की अनुमति और इसकी गाइडलाइन जारी कर देनी चाहिए थी। चेतावनी दी कि महाराष्ट्र की हर गली की मस्जिद से जुलूस निकाला जाएगा। बेहतर होगा कि जुलूस को जल्द से जल्द निकालने की अनुमति जारी की जाए। यदि अनुमति नहीं देते हैं तो इसे लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे। जुलूस निकालना हमारा संवैधानिक अधिकार है। मौलाना अब्बास ने कहा कि हमें हजरत मोइनुल मशाईख के संदेश का पालन करना चाहिए। 12 रबीउल अव्वल के अवसर पर ईद मिलादुन्नबी मनाने की तारीख सदियों से मौजूद है। ऐसे में जुलूस की गाइडलाइन में देरी समझ से परे है।
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सय्यद मोइन मियां ने कहा कि शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बातचीत चल रही है। मंत्री असलम शेख को मुस्लिमों की भावनाओं से अवगत करा दिया गया है। इस दौरान मौलाना, शकील रजा, मौलाना सय्यद तुफैल, मौलाना मुहम्मद आलम रशीदी, मौलाना सूफी मुहम्मद उमर, मौलाना फय्याज बरकती, मौलाना वलीउल्लाह शरीफी, मौलाना इकबाल, मौलाना मोइनुद्दीन, मौलाना रजब अली फैजी, कारी अली हसन, मौलाना रजब अली फैजी, कारी अली हसन आदि मौजूद रहे।