द लीडर : Delhi riots Student activists Devangana Kalita Natasha Narwal released from Tihar jail on bail. दिल्ली दंगों में पिछले करीब एक साल से तिहाड़ जेल में बंद स्टूडेंट्स एक्टिविस्ट नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवंगना कलिता जेल से रिहा हो गए हैं. गुरुवार को ही दिल्ली की एक कोर्ट ने इनकी रिहाई का आदेश जारी किया था. इससे पहले छात्रों ने अपनी तत्काल रिहाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
दरअसल, दिल्ली दंगा मामले में इन तीनों छात्रों को 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. लेकिन नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवंगाना गुरुवार दोपहर तक जेल से नहीं निकल पाए. इसलिए क्योंकि इनके स्थायी पते सत्यापित नहीं हो पाए थे. और ये मामला एक स्थानीय अदालत में पहुंचा था.
जेल के ताले टूटे. नताशा, देवांगना और आसिफ छुटे pic.twitter.com/N50sCEP0OT
— Mandeep Punia (@mandeeppunia1) June 17, 2021
बुधवार को अदालत में पते सत्यापित किए जाने के मामले पर सुनवाई हुई थी. इसी बीच आरोपी छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस अपील के साथ कि जमानत के बाद उन्हें अतिशीघ्र रिहा कराया जाए.
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इस मामले को लेकर दिल्ली की एक अदालत में गुरुवार को भी सुनवाई हुई और अदालत ने तीनों छात्रों की रिहाई का आदेश जारी कर दिया. अदालत ने अपने आदेश की कॉपी ई-मेल के जरिये जेल प्राधिकरण को भेज दी है.
फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में ये तीनों छात्र पिछले एक साल से जेल में बंद थे. 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने इनके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम-यूएपीए के तहत कार्रवाई किए जाने पर सख्त टिप्पणी करते हुए जमानत को मंजूरी दी थी.
नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय-जेएनयू के पीएचडी स्कॉलर हैं. वहीं, आसिफ इकबाल तन्ताह जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से अरबिक में बीए कर रहे हैं.
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इस सबके बीच दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मंजूर किए जाने के फैसले को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है.
नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के विरोध-प्रदर्शनों के बीच फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. इसमें जामिया, जेएनयू के कई छात्रों को आरोपी बनाया गया था. इसी मामले से जुड़ी एफआइआर 59 में देवंगाना और नताशा पर ये आरोप लगाया गया था कि योजनाबद्ध तरीके से अशांति फैलाने के लिए इन्होंने महिलाओं को इकट्ठा किया था.
हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर व्याख्या की है. और ये सामान्य अपराधों में यूएपीए जैसी राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों की धारा को नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
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अदालत के इस फैसले का छात्रों और एक्टिविस्टों ने स्वागत किया. इसके साथ ही गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाही पर एक नई बहस छिड़ गई थी. यही कारण है कि दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चैलेंज किया है.
गुरुवार को कड़कड़डूमा कोर्ट में छात्रों की जमानत को लेकर स्थायी पते मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा है कि समय की कमी के कारण नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवंगाना कलिता के स्थायी पतों का सत्यापन नहीं हो सका है.
पुलिस ने अदालत से देवंगाना कलिता और आसिफ इकबाल के पतों के सत्यापन के लिए 21 जून तो नताशा का अड्रेस सत्यापित किए जाने के लिए 19 जून तक का समय मांगा था. लेकिन अदालत ने छात्रों की रिहाई का आदेश जारी कर दिया. और गुरुवार की शाम को तीनों जेल से रिहा हो गए हैं.