सरकार को दर्ज करना ही पड़ा कोविड जांच घोटाले में मुकदमा लेकिन बड़ी मछली अभी बाहर

0
330

 

द लीडर देहरादून।

कोविड जांच के नाम पर कागजी खानापूरी कर करोड़ों के घोटाले के मामले में विपक्ष के हमलावर रुख को देख कर सरकार ने सीएमओ हरिद्वार से दिल्ली में रजिस्टर्ड मैक्स कॉर्पोरेट, यहीं की लाल चंदानी लैब और हिसार की नलवा लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया है। तहरीर में इस बात का साफ उल्लेख है कि मैक्स ने सिर्फ सैंपल लिए और जांच बाकी दो पार्टियों से कराई। यह भी संकेत है कि यह ठेका नियम तोड़ कर दिया गया। यदि जांच सही हुई तो मेला प्रशासन का भी लपेटे में आना तय है।
तीन पार्टियों के खिलाफ फर्जी एंट्री करने, सरकारी धन के गबन,लोगों की जान जोखिम में डालने के लिए धारा 270,420,468,471, 120 बी,188, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी अधिनियम1985 के तहत मुकदमा लिखा गया है।
मैक्स कॉरपोरेट ने 13 अप्रैल और 16 मई के बीच 104796 फर्जी सैंपल लिए। पोर्टल में दर्ज 95102 नमूनों में पाजिटिविटी दर मात्र 0.18 बताई गई है। इन एंट्री की वजह से इस दौरान हरिद्वार में पाजिटिविटी की औसत दर 5 .3 दर्ज की गई। ये आंकड़ा ही संदेह पैदा करता है। हरिद्वार कुम्भ के दौरान संक्रमित हो रहा था और पूरे प्रदेश में पाजिटिविटी काफी ज्यादा थी। यानी ये नेगेटिव रिपोर्ट साजिशन तैयार की गई। नेपाली फार्म के एड्रेस पर 3825 लोगों को दिखाना , एक फ़ोन से 76 का रजिस्ट्रेशन औऱ 27198 आई डी पर 735551 लोगों की जांच दिखाना आदि इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि कागजो में फर्जी नाम दर्ज किए गए। प्रारंभिक जांच में ये भी साफ हो गया कि जिनके नाम दर्ज है वे उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान , गुजरात आदि प्रान्तों के लोग हैं जो हरिद्वार आये ही नहीं। कुल मिलाकर मैक्स कॉर्पोरेट ने तीन करोड़ से अधिक का सरकारी धन हड़पने की साजिश की थी।
अभी ये रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर किस बड़े आदमी के कहने पर इस कंपनी को ठेका दिया गया। वह लड़की अभी पर्दे के पीछे ही है जिसने इस कंपनी के अलावा भी कई लोगों को कुम्भ में काम दिलाये। जाहिर है इस घोटाले में मेला प्रशासन सीधे तौर पर जिम्मेदार दिख रहा है।

कांग्रेस ने कहा हाइकोर्ट के सिटिंग जज के कराएं जांच

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अगर सरकार वास्तव में निष्पक्ष जांच कराना चाहती है तो बिना देरी किये इस मामले की न्यायिक जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज की देख रेख में करवाए। क्योंकि उच्च न्यायालय नैनीताल ने राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दे कर पूरे कुम्भ मेले के दौरान पचास हजार आरटीपीसीआर करने के आदेश दिए थे। अतः इस मामले की जांच व समीक्षा माननीय उच्च न्यायालय की देखरेख में ही होनी चाहिए। धस्माना ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये एक बड़ा घोटाला ही प्रतीत हो रहा है, जिसमें बड़े लोगों के लिप्त होने की पूरी संभावना है। ऐसे में कोई सीडीओ स्तर का अधिकारी इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकता।
धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने स्वयं शपथ लेते ही हरिद्वार जा कर बेरोक टोक दिव्य व भव्य कुंभ के आयोजन की न केवल घोषणा की थी, बल्कि श्रद्धालुओं को बेधड़क आने का खुला आमंत्रण भी दिया था। साथ ही उन्होंने यह तर्क दिया था कि जो गंगा में डुबकी लगाते हैं उनको कोरोना नहीं हो सकता। धस्माना ने कहा कि राज्य की सरकार ने कुंभ मेले की कोई व्यवस्था कोविड प्रोटोकॉल का अनुसार नहीं की। इसका परिणाम न केवल उत्तराखंड ने, बल्कि पूरे देश ने भुगता है और अभी भी भुगत रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here