असम: लड्डू से नहीं पीठा से होगा मुंह मीठा, पर किसका!

श्रीपति त्रिवेदी

गुवाहाटी। असम भारत के पूर्वोत्तर का एक सांस्कृतिक समृद्ध राज्य। असम हमेशा से ही अपनी संस्कृति के लिए, अपनी चाय के लिए और राज्य में होने वाली घुसपैठ के लिए हमेशा चर्चा में रहता है। असम भारत के उन पांच राज्यों में है जहां इस वक्त चुनाव हो रहे हैं। हालांकि असम में चुनाव हो चुके हैं। बस परिणाम आने बाकी हैं। 2 मई को जिस दिन परिणाम आएंगे, उस दिन लड्डू बंटेंगे लेकिन असम में लड्डू का ज़्यादा चलन नही है। यहां खुशी के मौके पीठा से मुंह मीठा किया जाता है।

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पीठा असम की पारंपरिक मिठाई है। असम वैसे तो चाय के बागानों के लिए मशहूर है लेकिन पूरे राज्य में धान की खेती भी किसानों के जीवनयापन का बड़ा जरिया है। पीठा मिठाई चावल के आटे से ही बनती है।

वैसे आमतौर पर पीठा बिहू त्योहार के दौरान या फिर किसी बड़ी खुशी के मौके पर बनाया जाता है। सभी जानते हैं कि बिहू असम का पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है, जो फसल कटने पर खुशियां मनाते हुए नाच गाकर मनाया जाता है। शायद ही कुछ लोगों को पता हो कि असम में बिहू एक बार नहीं बल्कि सालभर में तीन बार मनाया जाता है। तीनों बिहू के नाम अलग-अलग है। माघ बिहू,  बोहान बिहू और कटी बिहू। इन तीनों मौकों पर असम के लोग एक दूसरे का मुंह पीठा से मीठा कराते हैं।

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पीठा कई तरीके का होता है लेकिन सबसे आम और सबसे खास है नारीकोल पीठा। नारीकोल पीठे में चावल का आटा, नारियल और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। यह बहुत जायकेदार व्यंजन है। पीठे को बनाने के लिए चावल के आटे में घिसा हुआ नारियल, थोड़े से तिल और चीनी मिलाकर उसे खास आकार दिया जाता है। इसे फिर धीमी आंच पर डीप फ्राई किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए खाने के समय उस पर थोड़ी सी इलायची डाल दी जाती है।

यह व्यंजन असम की संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इसलिए जब कभी भी आप असम जाएं तो यह देख कर जाएं, उस समय मौसम बिहू का हो। इस वक्त आपको न केवल असम को करीब से जानने का मौका मिलेगा बल्कि आप असम के पारंपरिक व्यंजन नारीकोल पीठा से अपना मुंह भी मीठा कर पाएंगे।

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