द लीडर। आज पूरा देश बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडर की 132वीं जयंती मना रहा है। बाबा साहेब आज भी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। भारत में दूरदराज तक के पिछड़े गांवों में ऐसी कोई जगह मिलना असंभव है जहां आंबेडकर की गौरवशाली प्रतिमा न मिले।
मायावती ने आंबेडकर जयंती पर अर्पित की पुष्पांजलि
वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आंबेडकर जयंती पर लखनऊ में गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी प्रदेश कार्यालय पर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधा।
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आंबेडकर जयंती की बधाई देते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि, संविधान शिल्पी परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उनके अनुयाइयों की ओर से उन्हें शत्-शत् नमन व हार्दिक श्रद्धा-सुमन। करोड़ों कमजोर व उपेक्षित वर्गों तथा मेहनतकश समाज आदि के हित व कल्याण के प्रति उनके महान व ऐतिहासिक योगदान के लिए देश हमेशा ऋणी व कृतज्ञ रहेगा।
1. संविधान शिल्पी परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर उनके अनुयाइयों की ओर से उन्हें शत्-शत् नमन व हार्दिक श्रद्धा-सुमन। करोड़ों कमजोर व उपेक्षित वर्गों तथा मेहनतकश समाज आदि के हित व कल्याण के प्रति उनके महान व ऐतिहासिक योगदान के लिए देश हमेशा ऋणी व कृतज्ञ।
— Mayawati (@Mayawati) April 14, 2022
बीएसपी मूवमेन्ट रुकने व झुकने वाला नहीं
विपक्षी दलों पर हमला करते हुए बसपा प्रमुख मायावती बोलीं कि, जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त विरोधी पार्टियों व इनकी सरकारें बाबा साहेब डा. आंबेडकर के संघर्षों व संदेशों की कितनी ही अवहेलना करके उनके अनुयाइयों पर शोषण, अन्याय-अत्याचार व द्वेष आदि जारी रखें, किन्तु उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का बीएसपी मूवमेन्ट रुकने व झुकने वाला नहीं है।
2. जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त विरोधी पार्टियों व इनकी सरकारें बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के संघर्षों व संदेशों की कितनी ही अवहेलना करके उनके अनुयाइयों पर शोषण, अन्याय-अत्याचार व द्वेष आदि जारी रखें, किन्तु उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का बीएसपी मूवमेन्ट रुकने व झुकने वाला नहीं है।
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इतना ही उन्होंने यह भी कहा कि, ‘जातिवादी सरकारें उपेक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज का भला करने की छूट नहीं देती हैं। यदि कोई कुछ करने का प्रयास करता है तो उसको दूध की मक्खी की तरह निकाल-बाहर कर दिया जाता है, जैसाकि अब तक यहां होता रहा है। इसीलिए इन वर्गों की हालत अभी तक मजबूर व लाचार, यह अति-दुःखद है।’
3. जातिवादी सरकारें उपेक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज का भला करने की छूट नहीं देती हैं। यदि कोई कुछ करने का प्रयास करता है तो उसको दूध की मक्खी की तरह निकाल-बाहर कर दिया जाता है, जैसाकि अब तक यहाँ होता रहा है। इसीलिए इन वर्गों की हालत अभी तक मजबूर व लाचार, यह अति-दुःखद।
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डॉ. भीमराव आम्बेडकर जिन्हें डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है, इनका जन्म दिन 14 अप्रैल को पर्व के रूप में भारत समेत पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को ‘समानता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले अम्बेडकर को समानता और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है।
आम्बेडकर को विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन संविधान निर्माता और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। अम्बेडकर की पहली जयन्ती सदाशिव रणपिसे इन्होंने 14 अप्रैल 1928 में पुणे नगर में मनाई थी।
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