द लीडर देहरादून।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपनी घोषणाओं पर टिक नहीं पा रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार के विवादित फैसलों को वापस लेने की घोषणा कर कुछ दिन वाहवाही लूटी लेकिन वे फैसले अपनी जगह बने हुए हैं। देवस्थानम बोर्ड का मामला भी वैसा ही है। कहाँ तो इसे भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितो से वादा कर उन्होंने हरिद्वार में मालाएं पहनी और आज इसमें तीन उद्यमियों को सदस्य बना कर जाहिर कर दिया कि वह कुछ नहीं बदलने जा रहे हैं।
सरकार भले ही देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुनर्विचार करने की बात कर रही हो लेकिन बोर्ड का गठन होने के बाद से ही लगातार बोर्ड में सदस्यों को शामिल किया जा रहा है। हाल ही में राज्य सरकार ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में देश के 3 बड़े उद्योगपतियों को बतौर सदस्य शामिल किया है। पंडा-पुजारी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच पुजारियों को भी बतौर सदस्य नामित किया गया है।
धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर की ओर से आज जारी आदेश के अनुसार उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में हिंदू धार्मिक मामलों में विशेष रूचि रखने वाले दानदाता की श्रेणी में उद्योगपति अनंत अंबानी पुत्र मुकेश अम्बानी, उद्योगपति सज्जन जिंदल और उद्योगपति महेंद्र शर्मा को सदस्य नामित किया गया है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में पुजारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए देहरादून के आशुतोष डिमरी, रुद्रप्रयाग के श्रीनिवास पोश्ती, उत्तरकाशी के कृपाराम सेमवाल, उत्तरकाशी के जयप्रकाश उनियाल और जोशीमठ, चमोली के गोविंद सिंह पवार को सदस्य नामित किया गया है।बोर्ड में नए सदस्यों के शामिल होने के बाद एक बात तो साफ़ हो गई है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर फिलहाल कोई भी पुनर्विचार सरकार के स्तर पर नहीं चल रहा है। सरकार ने बोर्ड को और मज़बूत बनाने के लिए बोर्ड में 8 लोगों को सदस्य बनाकर एक ओर जहां त्रिवेंद्र सिंह का उद्यमियों से किया वादा पूरा किया है वहीं पंडा समाज के कुछ असरदार और सरकार हितैषी लोगों को शामिल कर विरोध दबाने की भी कोशिश की है।
उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्री की बोर्ड पर विचार न करने संबंधी बयान पर तीर्थ पुरोहितों ने मंगलवार को गंगोत्री में उनका पुतला फूंका था। इस पर महाराज ने शाम को बयान जारी कर सफाई भी दी लेकिन आज के आदेश से साफ है कि सरकार त्रिवेंद्र के फैसले पर ही आगे बढ़ेगी।