सूडानी सेना की गिरफ्त से अल जज़ीरा के ब्यूरो चीफ रिहा

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सूडान में सैन्य हिरासत में लिए गए अल जजीरा नेटवर्क के ब्यूरो चीफ अल मुसलमी अल कब्बाशी को दो दिन बाद आज रिहा कर दिया गया। उन्हें आधी रात को घर पर छापा मारकर गिरफ्तार किया गया था। सेना ने अभी तक उनकी गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया है। (AlJazeera Bureau Chief Released)

पिछले महीने सैन्य तख्तापलट के बाद तमाम पत्रकारों को भी प्रदर्शनकारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। अल जज़ीरा ने ब्यूरो चीफ की गिरफ्तारी के बाद सूडानी सेना की कार्रवाई की “कड़े शब्दों” में निंदा करके पत्रकारों को बिना किसी बाधा के काम करने देने की मांग की थी।

कतर स्थित नेटवर्क ने यह भी कहा कि वह अपने सभी कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सूडानी सेना को जिम्मेदार ठहराता है। (AlJazeera Bureau Chief Released)

अल जजीरा ने ब्यूरो चीफ की गिरफ्तारी के बाद जारी बयान में कहा था, “दुनियाभर में मीडिया और पत्रकारों को बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ रहा है, अल जज़ीरा इसे पूरी तरह से प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देखता है और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मीडिया संगठनों से पत्रकारों की सुरक्षा के उल्लंघन की निंदा करने की अपील करता है।”

अल कब्बाशी को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद सुरक्षाबलों ने खार्तूम और इससे सटे शहर ओमदुरमन में तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसमें कम से कम छह लोग मारे गए।

डॉक्टरों के अनुसार, सुरक्षाबलों ने ओमडुरमन के एक अस्पताल में भी धावा बोला और कई घायल लोगों को हिरासत में लिया। मेडिक्स के एक स्वतंत्र संघ के अनुसार, शनिवार को पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि एक की “आंसू गैस से घुटन” से मौत हो गई। तख्तापलट के विरोध में हुए प्रदर्शनों में मारे गए लोगों की संख्या 23 हो गई है।

प्रदर्शनकारियों ने इस सप्ताह सेना प्रमुख द्वारा एक नई गवर्निंग काउंसिल के निर्माण का भी विरोध किया, जिसमें नागरिक संगठनों के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया था।

25 अक्टूबर को हुए मौजूदा तख्तापलट की वैश्विक निंदा हो रही है और सैन्य शासन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के कदम उठाए जा रहे हैं। (AlJazeera Bureau Chief Released)

वहीं, सैन्य तख्तापलट करने वाले जनरल अल-बुरहान बार-बार कह रहे हैं कि यह अधिग्रहण तख्तापलट नहीं, बल्कि “नागरिक सत्ता में संक्रमण के सिलेबस को सुधारने के लिए झटका” है और आने वाले समय में बेहतर तरीके से यह काम किया जाएगा।

गौरतलब है, उन्होंने यह कदम तब उठाया, जब सेना आने वाले महीनों में संप्रभु परिषद का नेतृत्व नागरिक सरकार को सौंपने वाली थी।


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