लखनऊ : ATS के आतंकी नेटवर्क पकड़ने की कार्रवाई पर क्यों शक, इन IPS और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उठाए सवाल

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UP ATS Terrorist IPS Akhilewsh Yadav Mayawati
एटीएस द्वारा पकड़े गए संदिग्ध. फोटो साभार ट्वीटर

अतीक खान


 

– उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS)ने दो संदिग्ध गिरफ्तार किए गए हैं. जिनके तार कथित रूप से आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े होने का दावा है. लेकिन पुलिस की कार्रवाई और मीडिया ट्रायल पर सवाल उठने लगे हैं. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इससे जुड़े एक सवाल पर साफ कह दिया कि, ” मैं पुलिस और भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता.”


लखनऊ में संदिग्धों के यहां छापेमारी के लिए पहुंची पुलिस. फाइल फोटो साभार ट्वीटर

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी कुछ सवाल उठाए हैं. अपने बयान में मायावती ने कहा, ‘लखनऊ में आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करने और इस मामले में गिरफ्तार दो लोगों के तार, अलकायदा से जुड़े होने का, यूपी पुलिस का दावा अगर सही है. तो ये गंभीर मामला है. और जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन इसकी आड़ में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है.’

मायावती ने एक और सवाल उठाया, ‘यूपी विधानसभा चुनाव के नजदीक आने पर ही इस तरह की कार्रवाई लोगों के मन में शक पैदा करती है. अगर इस कार्रवाई के पीछे सच्चाई है तो पुलिस इतने दिनों तक क्यों बेखबर रही? ये वो सवाल है, जो लोग पूछ रहे हैं. सरकार ऐसी कोई कार्रवाई न करे, जिससे जनता में बेचैनी बढ़े.’


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इस कार्रवाई पर राजनीतिक नहीं बल्कि कुछ ब्यूरोक्रेट्स ने भी प्रश्न उठाए हैं. जिसमें केरल के पुलिस महानिदेशक (DGP) रहे डॉ. एनसी अस्थाना और महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस रहे अब्दुर्रहमान शामिल हैं.

द लीडर से बातचीत में पूर्व आइपीएस अब्दुर्रहमान ने कहा, ‘इस तरह के मामलों में कुछ महत्वपूर्ण चीजें हैं, जिनका ख्याल रखना होता है. पहली बात, घटनास्थल के आसपास की जानकारी समझनी बेहद जरूरी है. वहां जाकर ये देखना चाहिए कि जो लोग अरेस्ट हुए हैं. उनका बैकग्राउंड क्या है? क्या वे चोरी, मारधाड़, गुंडई के किसी मामले में शामिल रहे हैं. ई-रिक्शा चलाने वाले का, क्या कोई आपराधिक रिकॉर्ड है? ई-रिक्शा के अलावा वो और क्या करता था. क्या उसकी ऐसी सोच थी. ये सारी बातें जांच के लिहाज से आवश्यक हैं.’

अब्दर्रहमान कहते हैं कि, ”अगर किसी व्यक्ति की कोई आपराधिक हिस्ट्री नहीं है. तो अचानक वो ऐसा क्राइम नहीं कर सकता. इसी तरह अगर वो रेडिकल नहीं है, और आतंकी गतिविधि में शामिल हो जाए. तो ऐसा नहीं हो सकता. व्यक्ति के व्यवहार, मिजाज से ही इसके संकेत मिलने लगते हैं.”


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दूसरी बात-उसका और परिवार का रहन-सहन कैसा है? अभी वहां पर (लखनऊ में) जो घटना हुई है. उसमें एजेंसी को लेकर भी कुछ बातें सामने आ रही हैं. इसलिए स्थानीय स्तर पर गंभीरता से छानबीन करके तथ्यों को बाहर लाना जरूरी रहता है.

पूर्व आइपीएस अब्दुर्रहमान जोर देकर कहते हैं कि, ‘ आतंकवादी गतिविधि तो किसी भी सूरत में होनी ही नहीं चाहिए. इसको लेकर हमारी एजेंसियां बेहद सक्षम होनी चाहिए. लेकिन घटना से पहले उन्हें सूचना नहीं मिलती. और जैसे ही कोई घटना हो जाती है, तो हजार-दो हजार किलोमीटर दूरी का लिंक जुड़ जाता है.’

”ये जो लखनऊ की घटना है. अगर वो सही है. तो ये देश और समाज दोनों के लिए खतरनाक है. इस ऑपरेशन में एजेंसी को थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए. वो ये कि अपने हर मूवमेंट की जानकारी मीडिया को न दे. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस तरह की घटनाओं में कोई एक-दो लोग शामिल नहीं होते हैं. बल्कि बहुत सारे होते. कोई स्लीपर सेल होता है तो कोई फाइनेंस करता और घटना को अंजाम देना वाले अलग.


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”आपने दो लोगों को पकड़ा है. पूरी टीम को गिरफ्तार नहीं किया. अभी बहुत बड़ा टास्क पूरा करना है. जिसमें सभी लोगों की गिरफ्तारी की जानी है. ऐसे में अगर हर छोटी-बड़ी सूचना मीडिया में आती रहेगी. तो ये जांच के लिए ठीक नहीं है. और आरोपी सतर्क हो जाएंगे. एजेंसी को मीडिया में जानकारी देने से हिचकना चाहिए. ऐसा नहीं होता है तो समझ लीजिए कि एजेंसी, जांच में कम और राजनीतिक और डिफेम करने में ज्यादा इंटरेस्टेड है.”

वहीं, केरल के डीजीपी रहे डॉ. एनसी अस्थाना ने भी इस घटना पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, ‘ अलकायदा, आइएसआइएस, पीएलओ आदि इन सब का भले ही दुनिया से नामोनिशान मिट जाए. या मिट गया हो. लेकिन हमारी पुलिस के लिए उसके मॉड्यूल, इस देश में हर समय अवश्य ही पाए जाते हैं. जब जरूरत पड़े, प्रस्तुत कर दो. एक ही घिसापिटा झूठ बोलते ये लोग, बोर नहीं होते? कुछ नया सोचो. कोई नई कहानी बनाओ.’

लखनऊ के काकोरी इलाके से गिरफ्तारी

एटीएस ने लखनऊ के बाहरी इलाके-काकोरी से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. ये मसरुद्​दीन और मिन्हाज हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनके घर से प्रेशर कुकर बम, डेटोनेटर और कुछ विस्फोटक बरामद हुआ है.

आरोप है कि पकड़े लोगों के घर में वसीम नामक एक किरायेदार भी रहा करता था. मकान में गैराज है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गिरफ्तार संदिग्ध किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे.

और इनके निशाने पर एक बीजीपे सांसद थे. इन दोनों संदिग्धों को 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.

परिवार ने बताया बेकसूर

एक न्यूज चैनल से बातचीत में मसरुद्​दीन की बीवी ने अपने शौहर के किसी भी आतंकी गतिविधि से जुड़े होने के आरोपों से इनकार किया है.

उन्होंने कहा, ”पुलिस जब घर आई. तो मेरे शौहर ने ही उन्हें अंदर बुलाया. वह ई-रिक्शा चलाते हैं. इसी से घर का गुजर चलता. लॉकडाउन में रिक्शा नहीं चला तो बैट्री की दुकान पर काम करने लग गए थे. पुलिस हमारे यहां से एक कुकर लेकर गई है.”

द लीडर ने इस मामले में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहाकार और बीजेपी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी से बात करने का प्रयास किया. लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उनका जवाब आने पर खबर में शामिल किया जाएगा.

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने अपने एक बयान में कहा है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है. कई टीमें जांच और छापेमारी में सक्रिय हैं. अन्य लोगों को भी जल्द पकड़ा जाएगा.

भाजपा का विपक्ष पर निशाना

लेकिन राज्य के दो प्रमुख विपक्षी दल-सपा और बसपा के मुखिया की ओर से संदिग्धों की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए जाने को लेकर भाजपा आक्रमक हो गई है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने अखिलेश यादव के बयान का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है-, ‘आप किस देश के लिए बैटिंग कर रहे हैं. ये सवाल सभी के मन में है.’ वहीं, भाजपा नेता मायावती के बयान की भी आलोचना कर रहे हैं.

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