जून से 61 फीसदी ज्यादा 50.7 लाख लोगों ने जुलाई महीने में की हवाई यात्रा

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। देश में जब से कोरोना महामारी आई है मानो जैसे सब कुछ बदल गया हो. दूसरी लहर ने तो देश में अपना जमकर कहर बरपाया. इस दौरान कई लोग भी काल के गाल में समा गए. वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई. बता दें कि, जब मार्च 2020 में कोरोना वायरस का फैलाव शुरू हुआ तो किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि, कोरोना वायरस से आगे क्या मंजर देखने को मिलेगा. जिंदगी मानों घरों में कैद हो गई. कोरोना वायरस को शुरू हुए एक साल से ज्यादा का समय बीत गया है. दूसरी लहर ने भी देश में अपना रौद्र रूप दिखाया. हालात काफी भयावह हो गए थे. सभी स्तब्ध थे. और अभी भी है.

जुलाई में 50 लाख से ज्यादा ने की हवाई यात्रा

वहीं जब धीरे धेरी दूसरी लहर काबू में आने लगी तो फिर एक लोगों में एक उम्मीद जगी. देश में अर्थव्यवस्था भी पटरी पर चलने लगी. वहीं कोरोना की दूसरी लहर के कम होने के साथ ही देश में जुलाई महीने में 50.7 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की. जो जून में 31.13 लाख यात्रियों के मुकाबले 61 प्रतिशत ज्यादा है. ये आंकड़े विमानन नियामक डीजीसीए ने शुक्रवार को जारी किए. जिसमें ये देखने को मिला कि, देश में मात्र जुलाई महीने में ही 50.7 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की.


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अब जरा आंकड़ों पर नजर डाले तो कोरोना काल में दूसरी लहर जब काबू में आई तो काफी लोगों ने हवाई यात्रा की. आइए आपको बताते है कि, किस महीने में सबसे ज्यादा यात्रा हुई.

अप्रैल में 57.25 लाख लोगों ने यात्रा की
मई में 21.15 लाख लोगों ने यात्रा की
जुलाई महीने में ही 50.7 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की
जुलाई में 29.32 लाख यानि 58.6 प्रतिशत यात्रियों ने विमानन कंपनी इंडिगो के जरिए यात्रा की
स्पाइसजेट के जरिए 4.56 लाख लोगों ने यात्रा की, जो बाजार का 8.1 प्रतिशत है
एयर इंडिया से 6.7 लाख लोगों ने यात्रा की
गो फर्स्ट ( पूर्व में गो एयर ) से 3.42 लाख लोगों ने यात्रा की
विस्तारा से 4.07 लाख लोगों ने यात्रा की
एयर एशिया इंडिया के जरिए 1.65 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई सफर किया

जनवरी, फरवरी और मार्च 2021 में विमानन चरण में प्रत्येक महीने में 77 लाख से अधिक घरेलू यात्रियों के साथ एक स्मार्ट रिकवरी देखी गई. फिर जैसे-जैसे विनाशकारी महामारी की दूसरी लहर तेज हुई, अप्रैल में यह संख्या गिरकर 57.2 लाख हो गई और मई में 21.1 लाख पर घातक गिरावट आई. उसके बाद से जैसे-जैसे स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ, संख्या बढ़ने लगी. पहले जून में बढ़कर 31.1 लाख और फिर पिछले महीने 50 लाख का आंकड़ा छू लिया.


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बता दें कि, आंकड़ों के अनुसार इन छह विमानन कंपनियों का घरेलू विमानन बाजार में कुल हिस्सा जुलाई के दौरान 53.6 से 74.6 प्रतिशत के बीच में रहा है. देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण लगाए गए प्रतिबंधों में ढील के बाद 25 मई को घरेलू स्तर पर उड़ानों का संचालन फिर से शुरू हुआ था. भारतीय कंपनियों को महामारी से पहले की तुलना में अधिकतम 72.5 प्रतिशत घरेलू उड़ानों को संचालित करने की अनुमति है. डीजीसीए ने बताया कि, जुलाई में इंडिगो के चार प्रमुख हवाई अड्डों बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई में सबसे अच्छा प्रदर्शन 97.3 प्रतिशत रहा.

अब सिर्फ दो घंटे में पहुंचे बरेली से मुंबई

बता दें कि, बरेली से मुंबई तक का सफर अब और आसान हो गया है. अब मुंबई सिर्फ दो घंटे में पहुंचा जा सकेगा. इंडिगो एयरलाइन की मुंबई के लिए पहली उड़ान गुरुवार से शुरू हो चुकी है. अब बरेली से दो घंटे का सफर तय कर मुंबई आसानी से पहुंचा जा सकेगा. शनिवार यानी आज से बरेली से बेंगलुरु के लिए भी फ्लाइट शुरू हो गई है. मुंबई और बेंगलुरु के लिए बरेली से अब नियमित फ्लाइट शुरू कर दी गई हैं. बुधवार कोएडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने बरेली एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस के टिकट काउंटर की शुरुआत की. जहां अब हवाई यात्रा के लिए ऑफलाइन टिकट भी बुक कराए जा सकेंगे. मुंबई से बरेली के लिए पहली फ्लाइट में आने वाले यात्रियों कोबरेली एयरपोर्ट पर आयोजित समारोह में स्वागत किया गया. समारोह में प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी के साथ बरेली के सांसद और विधायकों के साथ प्रशासन के वरिष्ठ अफसर भी मौजूद रहे. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समारोह में वर्चुअली हिस्सा लिया.

लॉकडाउन ने तोड़ी थी अर्थव्यवस्था की कमर

बता दें कि, पिछले साल कोरोना की लहर के शुरुआत में देश भर में लॉकडाउन लगाते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि, ‘जान है तो जहान है’. यानी पहले जान बचाओ और फिर बाद में व्यापार और व्यवसाय पर ध्यान देंगे, डॉक्टर और स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि, दूसरी लहर अधिक घातक है. वहीं दूसरी लहर काफी घातक भी साबित हुई. जब अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है, आईसीयू में और मरीज़ नहीं भर्ती किए जा सकते, दवाइयों की कमी है और सबसे अहम ऑक्सीजन की सख़्त क़िल्लत थी. लोग अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ रहे थे. जिस वजह से लोगों की सुरक्षा को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया. लेकिन इस लॉकडाउन ने कई लोगों से उनका रोजगार, नौकरी सब कुछ छीन लिया. लोगों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा. इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई. फिलहाल अब देश में दूसरी लहर कम होती दिख रही है. लेकिन अभी भी खतरा बरकरार है. अभी भी हम लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. क्योंकि छोटी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है.


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