तालिबान से जुड़े बयान के बाद मचे बवाल के बीच नसीरुद्दीन शाह और जावेद अख्तर के बचाव में आए जानी मानी हस्तियां संग 150 लोग

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। तालिबान को लेकर पिछले दिनों दिए गए बयान के बाद कई नामचीन हस्तियों समेत अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े 150 से ज्‍यादा लोगों ने गीतकार जावेद अख्तर और अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के पक्ष में आवाज उठाई है. बता दें कि, इन सभी ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के संबंध में अख्तर और शाह के हाल के बयानों को लेकर दोनों हस्तियों को कथित रूप से ‘सताने’ की मंगलवार को निंदा की. गीतकार-शायर अख्तर अपनी उस टिप्पणी को लेकर शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के निशाने पर आए गए हैं, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों की तुलना की है.


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जानी-मानी हस्तियों संग 150 से ज्‍यादा ने उठाई आवाज

वहीं, बॉलीवुड एक्‍टर नसीरुद्दीन शाह ने अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने पर जश्न मनाने के लिए भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग की आलोचना की थी और इसे चिंता का कारण बताया था। बस फिर क्या था. इस बयान के बाद कई लोग इसके विरोध में उतर आए. वहीं कई लोगों ने इनके बयान का स्वागत भी किया है. बता दें कि, एक्टर नसीरुद्दीन शाह की टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर मुसलमानों और कई अन्य लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. वहीं अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े 150 से अधिक नागरिकों ने एक बयान में अख्तर और शाह के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया की निंदा की और कहा कि, वे उनके साथ खड़े हैं. अख्तर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान में कहा गया, ‘हम उन्हें डराने-धमकाने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं और अपने विचार रखने के उनके अधिकार के साथ खड़े हैं.’

सपोर्ट में आए ये लोग

शाह की टिप्पणी को लेकर बयान में कहा गया कि, वह केवल भारतीय इस्लाम की लंबी, जीवंत और सहिष्णु परंपरा को दोहरा रहे हैं, जो हाल के दशकों में सऊदी के प्रभाव वाले वहाबी इस्लाम से प्रभावित हुई है. यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसे भारतीय मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग पहचानता है और निंदा भी करता है। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) लक्ष्मीनारायण रामदास, डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन, फिल्म लेखक अंजुम राजाबली, लेखक जॉन दयाल और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ शामिल हैं।


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नसीरुद्दीन शाह ने क्या कहा था ?

पिछले दिनों नसीरुद्दीन शाह का एक वीडियो खूब वायरल हुआ. जिसमें वो कहते सुनाई और दिखाई दे रहे हैं कि,”हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान का दोबारा हुकूमत पा लेना दुनियाभर के लिए फिक्र का बाइस (कारण) है.” शाह आगे कहते हैं कि इससे कम खतरनाक नहीं है हिंदुस्तानी मुसलमानों के कुछ तबकों को उन वहशियों (तालिबान) की जीत पर जश्न मनाना. आज हर हिंदुस्तानी मुसलमान को अपने आप से ये सवाल पूछना चाहिए कि उसे अपने मज़हब में सुधार और आधुनिकता चाहिए या वो पिछली सदियों के वहशीपन के साथ रहना चाहते हैं.

जावेद अख्तर ने क्या कहा था ?

राइटर जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू के दौरान तालिबान पर कमेंट करते हुए कहा था कि, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसी तंजीमें भी तालिबान की तरह ही हैं. उन्होंने आगे कहा कि, अगर इन्हें ज़रा सा मौका मिले तो ये हद पार करने में संकोच भी नहीं करेंगे लेकिन भारत की संविधान इनके लिए रुकावट बन रहा है.


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अफगानिस्तान में तालिबान का राज ?

अफगान में तालिबान ने कब्जा कर अपनी सरकार बना ली है. 20 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान में वहीं शरिया कानून, कोड़े मारने की सजा, सड़कों पर कत्लेआम और दाढ़ी बढ़ाने, संगीत सुनने, महिलाओं पर पाबंदियों जैसे मध्ययुगीन फरमानों का दौर लौट आया है. देश के अधिकांश हिस्सों पर फिर तालिबान का कब्जा है और लोग खौफ में है. बता दें कि, इतिहास शायद ही किसी मुल्क की किस्मत में इतने अजीबो-गरीब तरीके से वक्त के पन्ने पलटता हो, जितना अफगानिस्तान की पहाड़ी-पथरीली जमीन ने देखी है. कभी रूस के समर्थन से चल रहे जहीर शाह के शासन में आधुनिकता की ओर बढ़ रहा अफगानिस्तान 1990 के दशक में तालिबान के मध्ययुगीन शासन को भी देख चुका है. इसके बाद 9/11 के हमले के बाद अमेरिकी और नाटो देशों की सेनाओं ने तालिबान के शासन से मुक्ति दिलाई. तो वहीं अब बीस साल में अपने पैरों पर खड़ा होना मुल्क सीख ही रहा था कि, तालिबान ने फिर सिर उठा लिया. और एक बार एक तालिबान पर कब्जा कर लिया.


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