लखनऊ। क्या यही है यूपी सरकार.. अपने ही कोरोना संक्रमित विधायक का नहीं करा पा रही इलाज, मैंने कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय फोन किया मगर क्या मजाल है जो फोन उठा लिया जाता। कोरोना संक्रमित होने के बाद गंभीर हालत में पहुंचे नवाबगंज के भाजपा विधायक केसर सिंह गंगवार के बेटे विशाल की ओर से सोशल मीडिया पर की गई।
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इस पोस्ट ने भाजपा में नीचे से ऊपर तक हलचल मचा दी। राज्य सरकार के इसका संज्ञान लेने के बाद रविवार को विधायक को नोएडा के यथार्थ अस्पताल ले जाया गया।
12 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए विधायक केसर
विधायक केसर सिंह 12 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे जिसके बाद उन्हें शहर के ही एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। यहां दो दिन इलाज के बाद वह होम आइसोलेट हो गए लेकिन अगले ही ऑक्सीजन का स्तर गिर जाने के बाद उन्हें दोबारा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
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बेटे विशाल के मुताबिक लगातार सेहत बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें हायर सेंटर ले जाने को कहा था। वह लगातार कोशिश करते रहे कि उनके पिता को किसी अच्छे अस्पताल में भर्ती होने की सुविधा मिल जाए लेकिन काफी कोशिश करने के बाद भी कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दी।
फेसबुक पर पोस्ट करने के बाद रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से विधायक के परिवार को एक संदेश मिला जिसमें कहा गया था कि, वे विधायक केसर सिंह को नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती करा सकते हैं। इसके बाद विधायक का परिवार दोपहर के वक्त उन्हें लेकर आनन-फानन नोएडा रवाना हो गया।
एक दिन पहले विधायक ने खुद की थी प्लाज्मा देने की अपील
विधायक केसर सिंह की हालत गंभीर होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें प्लाज्मा थेरेपी की सलाह दी थी। मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा उपलब्ध न हो पाने पर खुद विधायक ने शनिवार को फेसबुक पोस्ट कर बी पॉजिटिव ग्रुप के महीना भर पहले संक्रमण से स्वस्थ हुए व्यक्ति से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की थी।
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हल्द्वानी के एक व्यक्ति ने प्लाज्मा दान किया
बेटे विशाल ने बताया कि उन लोगों ने तमाम व्हाट्सएप ग्रुप में यह मेसेज भेजा लेकिन बरेली में प्लाज्मा भी नहीं मिला। रविवार को हल्द्वानी के एक व्यक्ति ने प्लाज्मा दान किया जिसके बाद उनके पिता की हालत में कुछ स्थिरता आई और अब वह उन्हें नोएडा ले जा रहे हैं।
कोरोना संक्रमित होने के बाद पिता की हालत लगातार खराब हो रही है। मैंने कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय फोन किया ताकि उन्हें कहीं अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया जा सके लेकिन वहां किसी ने फोन तक नहीं उठाया। इसी वजह से परेशान होकर मैंने फेसबुक पर पोस्ट की।