WHO ने नए कोरना वेरिएंट का नाम ओमिक्रोन क्यों रखा ? जाने इसके पीछे की वजह

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द लीडर | कोरोना के नए वेरिएंट के सामने आने के बाद सभी देश सतर्क हो गए हैं. कोरोना के नए वेररिएंट का नाम ‘ओमिक्रोन रखा गया है.’ इस वेरिएंट के आने के बाद सभी देश अलग-अलग कदम उठा रहे हैं. ओनीक्रोन का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में आया था, जिसके बाद दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में इसके मामले देखे गए हैं. इस नए वेरिएंट के आने के बाद कई देशों ने साउथ अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट पर रोक लगा दी है.

अब सवाल उठने लगा है कि WHO ने Nu या Xi के बजाए वेरिएंट का नाम ओमिक्रॉन क्यों रखा? हालांकि, इसके पीछे भी खास वजह है. जानकारों का मानना है कि संगठन की तरफ से यह कदम किसी को भी बदनामी से बचाने के लिए किया गया है. हालांकि, जीनोम सीक्वेंसिंग और शोध जैसे अन्य इस्तेमाल के लिए इन वेरिएंट्स के साइंटिफिक नाम का उपयोग भी जारी है. अब समझते हैं कि पूरा माजरा क्या है.

WHO अब तक ग्रीक अल्फाबेट के हिसाब से वेरिएंट्स का नाम तय कर रहा था, ताकि इन्हें लेकर आसानी हो. ग्रीक अल्फाबेट में लैम्बडा के बाद Nu और Xi आता है. इन दोनों के बाद ओमिक्रॉन का नंबर आता है. दुनिया कयास लगा रही थी कि नए वेरिएंट का नाम इन दोनों में से ही कुछ रखा जा सकता है. गुरुवार को द टेलीग्राफ को एक अधिकारी ने जानकारी दी कि ऐसा ‘ऐसा क्षेत्र को कलंक से बचाने के लिए किया गया था.’


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द टेलीग्राफ के वरिष्ठ संपादक पॉल नुकी ने सूत्र की बात ट्विटर पर साझा की. उन्होंने बताया, ‘एक WHO सूत्र ने इस बात की पुष्टि की है कि ग्रीक अल्फाबेट के Nu और Xi शब्दों को जानबूझकर छोड़ा गया है. Nu को शब्द ‘न्यू’ के साथ परेशानी से बचने और Xi को क्षेत्र को कलंक से बचाने के लिए छोड़ा गया है.’ खास बात है कि चीन के राष्ट्रपति का नाम शी जिनपिंग है.

आपको बता दें अभी तक वायरस के जितने भी वेरिएंट्स आए हैं वह सभी ग्रीक एल्फाबेट की सीरीज़ के हिसाब से रखे गए हैं. ग्रीक एल्फाबेट में 24 वर्ड्स होते हैं जिसका 15वां अक्षर ‘ओमिक्रोम’ है. इस सीरीज़ किसी भी वैरिएंट को दर्शाने के लिए  Xi और Nu लफ्ज़ों का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

दरअसल कोरोना की शुरुआत से ही डब्ल्यूएचओ पर चीन के दबाव में काम करने के आरोप लगते रहे हैं. अमेरिका से लेकर यूरोप के कई देश कहते रहे हैं कि WHO चीन का पक्ष ज्यादा लेता है. जब इस नए वेरिएंट के नामकरण की बारी आयी तो ग्रीक वर्णमाला के 15 अक्षर ओमिक्रोन को चुना गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पहले WHO ने जानबूझकर वेरिएंट के नामकरण में दो अक्षर क्यों छोड़े?

  • ग्रीक वर्णमाला का 13वां अक्षर-  NU (V)
  • ग्रीक वर्णमाला का 14वां अक्षर- जाई (XI)
  • दोनों अक्षरों को छोड़ दिया गया
  • Nu यानि नए को उच्चारण की वजह से छोड़ दिया गया ताकि नया वायरस का कनफ्यूजन ना हो
  • लेकिन 14वां अक्षर- जाई (XI) छोड़ने पर विवाद हो गया

WHO ने नए वेरिएंट को लेकर क्या कहा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस नए वेरिएंट को लेकर चिंता जाहिर की है और इसे तकनीकी शब्दावली में वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VoC) यानी ‘चिंता वाला वेरिएंट’ बताया है. WHO ने चेतावनी दी है कि इस म्यूटेशन के चलते संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. यह काफी तेजी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है.


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वायरस का समय के साथ म्यूटेट होना सामान्य बात है, लेकिन यह तब चिंताजनक हो जाता है, जब वह तेजी से फैलने लगे, नुकसान पहुंचाने लगे और वैक्सीन की प्रभावशीलता से बाहर हो जाए. बता दें कि WHO को इस वेरिएंट की जानकारी पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से मिली थी.

क्या ‘ओमीक्रॉन’ ला सकता है कोरोना की तीसरी लहर?

वैज्ञानिकों ने ओमीक्रॉन वेरिएंट से तीसरी लहर के आने की आशंका जताई है. हालांकि इस पर अभी अध्ययन होना बाकी है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह वेरिएंट डेल्टा से 7 गुना ज्यादा तेजी से फैल रहा है. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसके संक्रमण का प्रसार भी डेल्टा (Delta Variant) के मुकाबले ज्यादा है. पहचान होने से पहले ही जाने से पहले ही यह वेरिएंट 32 बार म्यूटेट हो चुका है. भारत में फिलहाल इस वेरिएंट वाले किसी मामले की पुष्टि नहीं है.

हमें अब क्या एहतियात बरतने चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र के देशों से सतर्कता बढ़ाने और जन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने को कहा है. डब्ल्यूएचओ ने शादी या अन्य समारोहों, उत्सवों और भीड़ वाले आयोजनों में सभी एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है. डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि हमें किसी भी कीमत पर लापरवाही नहीं करनी है. उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए व्यापक और जरूरत के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक उपाय जारी रखने चाहिए.

उन्होंने चेताया है कि सुरक्षात्मक कदम जितने जल्दी लागू किए जाएंगे, देशों को उतने ही कम प्रतिबंध लागू करने होंगे. कोविड जितना फैलेगा, वायरस को उतना ही म्यूटेट होने यानी स्वरूप बदलने का अवसर मिलेगा और यह महामारी उतने ही ज्यादा दिनों तक बनी रहेगी.


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