कई राज्यों में रूठे बादल, मानसून रहा फीका : जानें आपके राज्य में कितनी बारिश हुई

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | भारत में इस साल मानसून ने कई करवटें बदलीं। जहां कई राज्यों में मूसलाधार बारिश देखने को मिली तो वहीं कई राज्यों में बारिश की एक बूँद को लोग तरस कर रह गए। कम बारिश की वजह से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली समेत कई इलाकों में इस कदर बारिश हुई कि सड़कों पर बाड़ जैसे हालात बन गए। आइये जानते हैं कि साल 2021 में भारत में मानसून ने कहां-कहां दस्तक दी और कहां-कहां ज़मीन एक बूँद को तरस गई।

क्या कहते हैं आंकड़े ?

वैसे तो मानसून सीजन में 96% से 104% के बीच की बारिश सामान्य मानी जाती है, लेकिन इस बार यह 96% के ही आसपास रहने के आसार हैं। स्थिति ये है कि अगस्त में सामान्य से 24.1% तक कम बारिश हुई है। पूरे मानसून के दौरान देश में 880 मिमी बारिश होती है। एक जून से 31 अगस्त के दौरान देशभर में सामान्य रूप से 710.4 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस बार 645 मिमी ही बारिश हुई यानी मानसूनी बारिश में अब तक 9% की कमी है।

राज्यों के हिसाब से देखें तो अब तक 20 राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है। गुजरात में सामान्य से 47%, राजस्थान में 10% और मध्य प्रदेश में 7% कम बारिश हुई। वहीं 10 राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। बाढ़ से जूझ रहे बिहार में सामान्य से 17% तो तेलंगाना में सामान्य से 28% ज्यादा बारिश हो चुकी है।


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यहां मानसून कम

  • छत्तीसगढ़ : -15%
  • त्रिपुरा : -15%
  • अरुणाचल प्रदेश : -15%
  • मेघालय : -13%
  • राजस्थान : -10%
  • उत्तर प्रदेश : -8%
  • मध्य प्रदेश : -7%
  • उत्तराखंड : -5%
  • झारखंड : -5%
  • गोवा : -4%
  • मणिपुर : -59%
  • गुजरात : -47%
  • जम्मू – कश्मीर : -30%
  • ओडिशा : -29%
  • पंजाब : -24%
  • नागालैंड : -24%
  • केरल : -22%
  • मिजोरम : -20%
  • असम : -19%
  • हिमाचल प्रदेश : -18%

यहां मानसून ज्यादा 

  • तेलंगाना : 28%
  • तमिलनाडु: 26%
  • आंध्र प्रदेश :21%
  • दिल्ली : 20%
  • सिक्किम: 18%
  • बिहार : 17%
  • हरियाणा: 14%
  • पश्चिम बंगाल : 7%
  • महाराष्ट्र : 3%
  • कर्नाटक : 3%

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121 साल का रिकॉर्ड 

मौसम विभाग के 121 साल के रिकॉर्ड में अगस्त में जिन 15 वर्षों में 16% से ज्यादा की कमी रही है, उनमें से 9 वर्षों (1902, 1905, 1911, 1920, 1930, 2001, 2005, 2009, 2015) में अल-नीनो और नेगेटिव आईओडी (इंडियन ओशन डायपोल) रहा है। इस साल अल-नीनो न्यूट्रल रहा, लेकिन निगेटिव आईओडी के चलते अगस्त में बारिश 24.1% तक कम रही। सन 1901 से अब तक केवल 23 बार दक्षिणी पश्चिमी मानसून के दौरान निगेटिव आईओडी रहा है।

सितंबर में सामान्य से 10% ज्यादा बारिश के आसार

सितंबर में सामान्य से 10% ज्यादा बारिश होने के आसार हैं। इस महीने में देशभर में औसतन 170 मिमी बारिश होती है। मध्य भारत के कई इलाकों में सामान्य से अधिक और उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से कम बारिश की संभावना है।

दिन कम हुए और बारिश की तीव्रता बढ़ी

बारिश के कम दिन होने का मतलब यह नहीं है कि बरसात तीव्र हो रही है. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जगह सूख रही है। इसी के चलते तीव्रता और बारिश के दिनों का अध्ययन एक साथ किया जाना चाहिए। कई राज्य ऐसे हैं, जहां 50 फीसदी बारिश के लिए लगने वाले दिनों में कमी है। जबकि, यहां भारी और अति भारी बारिश में इजाफा नहीं देखा गया है। इनमें असम, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का नाम शामिल है।


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हिंद महासागर के गर्म तापमान ने सोखी बारिश

IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि अगस्त में आमतौर पर डिप्रेशन के दो क्षेत्र विकसित होते हैं जो इस बार बने ही नहीं। इसके अलावा कम से कम 4 कम दबाव के क्षेत्र बनते हैं, वो भी केवल 2 ही बने। इससे पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में टायफून गतिविधियां कम रहीं और मानसून ट्रफ ज्यादातर दिनों में अपनी सामान्य स्थिति से उत्तरी दिशा में बनी रही। इसके चलते मध्य भारत के इलाकों में बारिश में कमी बनी रही। ये सब कुछ खास तौर से निगेटिव इंडियन ओशन डायपोल की वजह से हुआ।

हिंद महासागर प्रभावित करता है मानसून 

इंडियन ओशन डायपोल पश्चिमी हिंद महासागर का पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में बारी-बारी से गर्म या ठंडा होना है। जब पश्चिमी सिरा पूर्वी की तुलना में गर्म होता है तो उसे पॉजिटिव फेज कहते हैं, जब दोनों में अंतर नहीं रहता तब इसे न्यूट्रल फेज कहते हैं और जब पश्चिमी सिरा ठंडा हो जाता है तो उसे निगेटिव आईओडी फेज कहते हैं, जैसा अभी चल रहा है।


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