द लीडर. एआईएमआईएम चीफ बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर अपने यूपी दौरे की घोषणा कर दी है. अपने इस दौरे की शुरुआत वह इस बार 7 सितंबर को अयोध्या से कर रहे हैं, जहां रूदौली कस्बे में वंचित शोषित सम्मेलन को संबोधित करेंगे. उसके बाद उनका अन्य जिलों में कार्यक्रम लगा है.
पूरा कार्यक्रम
इसके बाद अगले दिन 8 सितंबर को उनका सुल्तानपुर का कार्यक्रम है. फिर दौरे के आखिरी दिन यानी 9 नवंबर को ओवैसी बाराबंकी जाएंगे. यूपी में ओवैसी की पार्टी उस भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल है, जिसमें ओम प्रकाश राजभर भी हैं.
यूपी चुनाव का मूड
सात सितंबर से शुरू होने वाले अपने तीन दिनों के दौरे में असदुद्दीन ओवैसी यूपी चुनाव का मूड जानना चाहते हैं. इस बार वे मुस्लिम, अति पिछड़े और दलितों को जोड़कर अपनी राजनीति आगे बढ़ाना चाहते हैं. ये काम बड़ा मुश्किल है.
समाजवादी पार्टी का दावा है कि वो मुसलमानों की पहली पसंद है. बीजेपी की मानें तो पिछड़ी जातियां उनके साथ है. दलितों की मसीहा मायावती खुद को बताती रही हैं. ऐसे में ओवैसी के लिए इनके वोट बैंक में सेंधमारी करना आसमान को मुट्ठी में कर लेने जैसा है.
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ओवैसी के लिए आसान नहीं होगा यह समीकरण
इसीलिए ओवैसी बिहार की तरह ही यूपी में भी एक गठबंधन के बैनर में चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने लखनऊ के अपने पिछले दौरे में चंद्रशेखर रावण से मुलाकात की थी. पश्चिमी यूपी के कुछ इलाकों में उनकी पार्टी आजाद पार्टी का ठीक-ठाक प्रभाव है.
यूपी के पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर का अच्छा खासा प्रभाव है. करीब 60 ऐसी सीटें हैं जहां राजभर वोटर चुनाव जिताने और हराने का दम रखते हैं. ओवैसी पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
जनता के मूड को भांपने आ रहे ओवैसी
ओवैसी पहले ही बता चुके हैं कि इस बार अखिलेश यादव का एमवाई समीकरण नहीं चलेगा. बता दें कि एम का मतलब मुस्लिम और वाई का मतलब यादव से है. ओवैसी बार-बार कह रहे हैं कि इस बार यूपी में A टू Z समीकरण चलेगा. इस बार के दौरे से ओवैसी उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर बन रहे जनता के मूड को भांपना चाहते हैं. वह मुस्लिम, अति पिछड़े और दलितों को जोड़कर एआईएमआईएम का आधार तैयार करना चाहते हैं.
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यूपी चुनाव में किस्मत आजमाने वाले हैं ओवैसी
बता दें कि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी यूपी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं. वे ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी संग मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. हालांकि चर्चा है कि ओवैसी के इस चुनावी गठबंधन का विस्तार हो सकता है. उनका गठबंधन भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद संग हाथ मिला सकता है.
ओवैसी की चंद्रशेखर से अहम मुलाकात हुई थी
हाल ही में असदुद्दीन ओवैसी की चंद्रशेखर से अहम मुलाकात हुई थी. उस मुलाकात में ओम प्रकाश राजभर भी शामिल हुए थे. उनके बीच किन मुद्दों पर चर्चा हुई, किन बातों पर सहमति बनी, ये सब साफ नहीं हो पाया था, लेकिन उसके बाद से ही अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
भीम आर्मी को यूपी में चाहिए साथ
बसपा प्रमुख मायावती द्वारा चंद्रशेखर को नजरअंदाज कर दिया गया है, अखिलेश ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है, ऐसे में भीम आर्मी को भी यूपी में किसी का साथ चाहिए. उसी साथ को पाने के लिए अगर चंद्रशेखर, असदुद्दीन ओवैसी संग कोई करार करें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
राजभर के साथ मिलकर लड़ेंगे चुनाव
दरअसल,उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है. ऐसे में ओवैसी उत्तर प्रदेश के सियासी समर में कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते. असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश में संकल्प भागीदारी मोर्चा के तहत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. उनके साथ ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा चुनाव लड़ रही है.
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हालांकि अब तक कई बिंदुओं पर दोनों ही पार्टी के बड़े नेताओं में कई विरोध भी सामने आए हैं. कभी ओपी राजभर जाकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर लेते हैं और यह बात कह देते हैं कि राजनीति में कुछ भी सम्भव है. इसके बाद ओवैसी की पार्टी को सफाई देनी पड़ती है.
कभी ओवैसी की पार्टी की तरफ से इस बात का ऐलान कर दिया जाता है कि वह यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. तो ऐसे में सुभासपा भी यह कहती है कि अभी सीटों पर कोई भी फाइनल मोहर नहीं लगी है. हालांकि ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर इस बात को बार-बार कहते रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ वह जाने को तैयार हैं.
चुनाव नतीजों से तय होगा यूपी में ओवैसी का भविष्य
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में इस बात का भी एहसास साफ हो जाएगा कि मुस्लिम छवि की AIMIM पार्टी को यूपी के मुसलमान कितना पसंद या नापसंद करते हैं. हाल के पश्चिम बंगाल के हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को कुछ ज्यादा हाथ नहीं लगा था. तो क्या ओवैसी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने में कामयाब हो पाएंगे, क्योंकि इससे पहले ओवैसी बहराइच और पूर्वांचल के कई जिलों के दौरे पर रह चुके हैं.
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